विकास दुबे का खजांची: अवैध संपत्तियों की इतनी लंबी लिस्ट, पुलिस भी रह गई दंग
विकास दुबे के खजांची जय बाजपेई के आपराधिक इतिहास, अपराध से अर्जित की गई संपत्तियों और अपराध जगत से जुड़े लोगों से जय व उसके परिजनों के संपर्कों की जांच खुफिया विभाग भी कर रहा है।
लखनऊ: विकास दुबे मामले की जांच लगभग पूरी हो चुकी है। जांच में पता चला है कि जय बाजपेई और उसके भाइयों के नाम से पनकी और कल्याणपुर में भी संपत्तियां हैं। इन संपत्तियों को लेकर ईडी ने प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है। सूत्रों के अनुसार जय की इन संपत्तियों के बारे में भी जानकारी जुटाकर इन्हें कार्रवाई की जद में लाया जाएगा। इधर आईबी भी 7-8 माह में रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंपेगी।
कई आईपीएस और पुलिस अफसर होंगे शिकंजे में
इसमें उन आईपीएस और पुलिस अफसरों की कुंडली शामिल होगी, जिन्होंने समय-समय पर जय और उसके भाइयों को कानूनी शिकंजे से बचाने में मदद की है। जय बाजपेई और उसके भाइयों का कद पुलिस और राजनीतिक संरक्षण में बढ़ता चला गया। एसआईटी की जांच में भी ये तथ्य सामने आने के बाद टीम इन्हें संरक्षण देने वालों के खिलाफ सुबूत जुटाने में लग गई है।
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विकास दुबे का खजांची जय बाजपेई
विकास दुबे के खजांची जय बाजपेई के आपराधिक इतिहास, अपराध से अर्जित की गई संपत्तियों और अपराध जगत से जुड़े लोगों से जय व उसके परिजनों के संपर्कों की जांच खुफिया विभाग भी कर रहा है। अधिवक्ता सौरभ भदौरिया ने बताया कि विभागीय अधिकारियों ने बयान दर्ज कर लिए हैं।
एसआईटी ने जांच पूरी कर ली है
उन्होंने बताया कि एसआईटी ने जांच पूरी कर ली है। लगभग 5700 पेज की रिपोर्ट तैयार की गई है। सोमवार तक रिपोर्ट शासन को सौंपी जा सकती है। जयकांत बाजपेई के नाम पर चार जनवरी 2016 को मेसर्स अक्षय इंटरप्राइजेज नाम से फर्म का रजिस्ट्रेशन कराया गया। फर्म का पता 107/299 ब्रह्मनगर दर्ज कराया गया। हैंडलूम, टेक्सटाइल व ठेकेदारी के लिए बनी इस फर्म में कागजों में ही लेनदेन होते रहे। इसी तरह 25 अगस्त 2017 को 107/298 ब्रह्मनगर से रजिस्टर्ड फर्म मेसर्स लक्ष्मी इलेक्ट्रॉनिक्स में भी कागजी फर्जीवाड़ा चलता रहा।
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जय की पत्नी श्वेता बाजपेई के नाम से है रजिस्टर है फर्म
जय की पत्नी श्वेता बाजपेई के नाम 13 जून 2019 को 111/481 हर्षनगर के पते से रजिस्टर्ड फर्म लक्ष्मी कार एक्सेसरीज में भी खरीद और बिक्री का सभी काम सिर्फ कागजों में ही होता रहा। सौरभ का कहना है कि फर्म के नाम पर खातों से पैसों का हस्तांतरण दिखाया गया, जबकि पैसा अवैध कामों से कमाया।