क्यों बार-बार सुलग रहा है बीएचयू, पढ़ाई लिखाई की जगह खून-खराबा !

महामना मदन मोहन की बगिया बीएचयू एक बार फिर से सुलग रही है। सिंहद्वार से लेकर सीरगोवर्धन तक सन्नाटा पसरा है. छात्रों के शोरगुल से गुलजार रहने वाले कैंपस में अजीब खामोशी पसरी है।

Update:2019-04-03 19:39 IST

वाराणसी: महामना मदन मोहन की बगिया बीएचयू एक बार फिर से सुलग रही है। सिंहद्वार से लेकर सीरगोवर्धन तक सन्नाटा पसरा है। छात्रों के शोरगुल से गुलजार रहने वाले कैंपस में अजीब खामोशी पसरी है। इस खामोशी को रह-रहकर तोड़ती है पैरा मिलिट्री और पुलिस फोर्स के जवानों के बूटों की आवाज। हर शख्स यही पूछ रहा है कि बीएचयू को आखिर किसकी नजर लगी है ? आखिर क्यों बार-बार सुलग रहा काशी हिंदू विश्वविद्यालय ?

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एमसीए के छात्र गौरव सिंह को बाइक सवार कुछ छात्रों ने बिड़ला चौराहे के पास गोली मार दी। बदमाशों ने ताबड़तोड़ दस राउंड फायरिंग की। आनन फानन में गौरव को ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया लेकिन इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया।घटना से गुस्साए गौरव के साथियों ने हंगामा शुरू कर दिया लेकिन भारी पुलिस फोर्स के आगे वो हिम्मत नहीं जुटा पाए।मंगलवार की रात में गौरव का पोस्टमार्टम हुआ और अलसुबह उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया।

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इस मामले में गौरव के परिजनों की तहरीर पर पांच नामजद और दो अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या और साजिश रचने का मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए चार छात्रों को गिरफ्तार भी कर लिया। जिन लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराया गया है, उसमें बीएचयू की चीफ प्रॉक्टर रोयना सिंह का भी नाम है।

दरअसल गौरव के साथियों का आरोप है कि रोयना सिंह ने ही गौरव का मर्डर कराया है। घटना के बाद ट्रामा सेंटर के बाहर वो चीख-चीखकर रोयना सिंह का नाम ले रहे थे। बीएचयू के इतिहास में ये पहली घटना होगी, जिसमें चीफ प्रॉक्टर के खिलाफ छात्रों ने हत्या का मुकदमा दर्ज कराया है।

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चीफ प्रॉक्टर से क्यों खफा हैं छात्र

चीफ प्रॉक्टर रोयना सिंह से खफा होने के कई कारण हैं। दरअसल जब से रोयना सिंह चीफ प्रॉक्टर बनी हैं, वो उपद्रवी छात्रों के निशाने पर रही हैं। उनके कार्यकाल के दौरान आधा दर्जन से बार हुआ, जब कैंपस में छात्रों ने उपद्रव, मारपीट, तोड़फोड़ और आगजनी हुई। बताया जा रहा है कि गौरव सिंह भी दिसंबर 2017 में कैंपस में हुए उपद्रव और आगजनी के मामले में आरोपी थी।

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चीफ प्रॉक्टर की तहरीर पर उसके खिलाफ लंका थाने में आधा दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज हुए थे।इस मामले में उसे जेल भी हो चुकी थी। गौरव के ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए उसे सस्पेंड कर दिया था। बावजूद इसके वह अपने साथियों के साथ लाल बहादुर शास्त्री और बिड़ला हॉस्टल के अलग-अलग कमरों में रहता था।

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वर्चस्व की जंग में गई गौरव की जान

खबरों के मुताबिक गौरव और उसके साथियों का बिड़ली सी हॉस्टल के कुछ छात्रों से विवाद चल रहा था. इसका कारण कैंपस में वर्चस्व कायम करना बताया जा रहा था।अंदरखाने की खबर ये है कि दोनों ही गुट कैंपस में काम करने वाले ठेकेदारों और कंपनियों से वसूली करते थे। इसे लेकर दोनों पक्षों में ठन गई थी।रंजिश इतनी बढ़ी कि विरोधियों ने गौरव को मौत की नींद सुला दिया। गौरव लंका के अखरी गांव का रहने वाला था, उसके पिता बीएचयू में ही हेड क्लर्क हैं।

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इस घटना के बाद गौरव के साथियों में गुस्सा है। छात्रों का एक गुट चीफ प्रॉक्टर और अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर धरने पर बैठ गया। उनकी मांग है कि चीफ प्रॉक्टर को गिरफ्तार किया जाए। साथ ही वीसी इस मामले की संज्ञान लेते हुए छात्रों को सुरक्षा का आश्वासन दें।

सुरक्षा के नाम पर करोड़ों का बजट

बीएचयू में छात्रों की सुरक्षा के लिए पानी की तरह पैसा बहाया जाता है. एशिया के सबसे बड़ा आवासीय विश्वविद्यालय में सुरक्षा के नाम पर हर साल लगभग 9 करोड़ रुपए से अधिक खर्च होते हैं। इसके बाद भी कैंपस में चोरी, छिनैती, रंगदारी और मारपीट की घटनाएं नहीं रुक रही हैं। सितंबर में छात्राओं पर लाठीचार्ज के बाद सुरक्षा को और चाकचौबंद करने की कोशिश की गई थी। पूरे कैंपस को सीसीटीवी कैमरे से लैस करने की बात कही गई।

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पहली बार महिला प्रॉक्टोरिय बोर्ड बनाने के साथ ही क्विक रिस्पॉस टीम का गठन किया गया।लेकिन तस्वीर नहीं बदली। ना तो कैंपस में छेड़खानी की घटनाएं रुक रही हैं और ना ही मारपीट।

आरटीआई से मिले जवाब के मुताबिक विश्वविद्यालय के मुताबिक पूरे कैंपस में 69 कैमरे लगे हैं लेकिन इनके रखरखाव का क्या बजट है इस का जवाब नहीं मिला है। इसी तरह कैंपस में 11 वाहनों पर सवाल सुरक्षाकर्मी हर वक्त कैंपस का चक्रमण करते रहते हैं।

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हालात ये है कि अब कैंपस में पुलिस चौकी या फिर पीएसी के जवानों की तैनाती की मांग उठने लगी है. छात्रों का मानना है कि उपद्रवियों से निबट पाने में प्रॉक्टोरियल बोर्ड फेल साबित हो रहा है।ऐसे में आखिर कब तक जानहथेली पर लेकर छात्र पढ़ाई करने के लिए मजबूर होंगे।

कब-कब कैंपस में हुआ बवाल ?

पिछले एक साल में बीएचयू के अंदर मारपीट, तोड़फोड़, रंगदारी और छेड़खानी की एक दर्जन से अधिका वारदात हो चुकी है। पिछले साल सितंबर महीने में शहर में प्रधानमंत्री की मौजूदगी में छात्राएं सड़क पर उतर गईं थीं। छेड़खानी की घटना के विरोध में छात्राओं ने आंदोलन शुरू किया तो उन पर लाठियां बरसाई गईं। इस घटना के बाद पूरे देश में बीएचयू की बदनामी हुई थी। हालात यहां तक बिगड़े की कुलपति को छुट्टी पर जाना पड़ा।

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इस घटना को लेकर आधा दर्जन से अधिक जांच चल रही है। लेकिन अभी तक जांच नतीजे तक नहीं पहुंची है। इतने बड़े आंदोलन के पीछे किसकी साजिश थी।छात्राओं को उकसाने वाले कौन लोग थे, इसे लेकर लीपापोती की गई। ना तो विश्वविद्यालय प्रशासन की जिम्मेदारी तय की गई और नहीं साजिशकर्ताओं का पर्दाफाश हुआ।

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नतीजा सबके सामने हैं। इसी तरह 20 दिसंबर को उपद्रवियों ने छात्रनेता आशुतोष सिंह ईशु की गिरफ्तारी के विरोध जमकर तोड़फोड़ और आगजनी की थी।सिंहद्वार से लेकर काशी विश्वनाथ मंदिर तक वाहनों में तोड़फोड़ करने के साथ आगजनी की थी. 22 दिसंबर को विश्वविद्यालय के पीआरओ राजेश सिंह को जान से मारने की धमकी दी गई तो सीनियर डॉक्टर से 15 लाख रुपए रंगदारी की मांग की गई। इस बीच छेड़खानी की घटनाएं भी सामने आती रही।

पिछले कुछ सालों में हुईं घटनाएं

-22 सितंबर 2017 छेड़खानी को लेकर सड़क पर उतरी छात्राएं

-23 सितंबर की रात छात्राओं पर लाठीचार्ज

-24 सितंबर लाठीचार्ज के बाद पूरे दिन छात्राओं का प्रदर्शन

-28 सितंबर सामाजिक विज्ञान संकाय में छात्रा के साथ मारपीट और छेड़खानी

-10 नवंबर आईआईटी में डीजे नाइट्स के आरोप में मारपीट और बवाल

-30 नवंबर ट्रामा सेंटर में इलाज के दौरान मौत से भड़के छात्र, जमकर की तोड़फोड़ और मारपीट

-20 दिसंबर को छात्र की गिरफ्तारी के विरोध में कई वाहनों को किया आग के हवाले और तोड़फोड़

-8 मई 2018 को बिड़ला और लाल बहादुर शास्त्री हॉस्टल के छात्रों में वर्चस्व की लड़ाई

-नवंबर 2018 में मेडिकल और बिड़ला हॉस्टल के छात्रों में मारपीट के बाद कैंपस में तोड़फोड़ और आगजनी

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