काशी विश्वनाथ धामः चुनार के पत्थरों से संवर रही रंगत, दिखी लाजवाब खूबसूरती
काशी विश्वनाथ धाम में मिले मंदिरों के जीर्णोद्धार और संरक्षण की जिम्मेदारी बीएचयू और संस्कृति मंत्रालय को सौंपी गई है। 19 इमारतों की पाइलिंग का काम लगभग 80 फीसदी पूरा हो गया है। साथ ही चुनार के गुलाबी पत्थरों से खूबसूरती उभर कर सामने आने लगी है।
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट श्री काशी विश्वनाथ धाम चुनार के गुलाबी पत्थरों से सजने लगा है। जयपुर में तराशे गए करीब 65 हजार क्यूबिक फीट गुलाबी पत्थर की पहली खेप पहुंचने के बाद पत्थरों का काम अब पूरा होने की ओर है। पत्थरों की दूसरी खेप भी अब आने लगी है।
काशी विश्वनाथ धाम दर्शनार्थियों को धर्म नगरी का अहसास कराएगा। काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण कार्य ने काफी तेज गति पकड़ ली है। धाम का गुलाबी स्वरूप अब धीरे-धीरे आकार ले रहा है। मंदिर के चौक का काम अब प्रगति की ओर है। गुलाबी पत्थरों की आभा अब दर्शनार्थियों को भी नजर आने लगी है। नक्काशीदार पत्थरों की खूबसूरती भी उभरकर सामने आ रही है। श्री काशी विश्वनाथ धाम में मिले मंदिरों के जीर्णोद्धार और संरक्षण की जिम्मेदारी बीएचयू और संस्कृति मंत्रालय को सौंपी गई है।
ऐतिहासिक दस्तावेज होंगे दुनिया के सामने
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट श्री काशी विश्वनाथ धाम की मणिमाला के मंदिरों का ऐतिहासिक दस्तावेज देश और दुनिया के सामने होगा। श्री काशी विश्वनाथ धाम में मिले प्राचीन मंदिरों के ऐतिहासिक दस्तावेजों को तैयार करने के लिए एएसआई भोपाल की टेंपल सर्वे की तीन सदस्यीय टीम ने काम शुरू कर दिया है। परियोजना में मिले प्राचीन मंदिरों का इतिहास, उनकी प्राचीनता, विशेषता के अलावा मंदिरों के निर्माता की जानकारियां जुटाई जा रही हैं। काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण के लिए खरीदे गए तीन सौ भवनों में 60 से अधिक छोटे बड़े मंदिर मिले हैं।
19 इमारतों पर चल रहा है काम
श्री काशी विश्वनाथ धाम के किनारे खड़ी की गईं टिन की ऊंची दीवारों के अंदर भारी-भरकम सुरक्षा के बीच कारीगर, इंजीनियर और मजदूर 5.3 लाख वर्गफुट में धाम को आकार देने में लगे हैं। मंदिर परिसर को लेकर गंगा घाट तक 24 इमारतें बनाई जाएंगी। इसमें से 19 इमारतोंं पर काम चल रहा है।
इसमें मंदिर परिसर, मंदिर चौक, जलपान केंद्र, गेस्ट हाउस, यात्री सुविधा केंद्र, म्यूजियम, आध्यात्मिक पुस्तक केंद्र, मुमुक्षु भवन अस्पताल का निर्माण शुरू हो चुका है। मंदिर चौक का हिस्सा सी सेप में निर्मित किया जाएगा। यहां से सीधे मां गंगा के दर्शन किए जा सकेंगे।
निर्धारित समय में पूरा होगा काम
अधिशासी अभियंता संजय गोरे ने बताया कि 650 मजदूर दो शिफ्टों में लगातार काम कर रहे हैं। 345.27 करोड़ रुपये की लागत से काशी विश्वनाथ धाम का निर्माण हो रहा है। अगस्त 2021 तक प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा।
मुख्य मंदिर का भी होगा विस्तार
काशी विश्वनाथ धाम प्रोजेक्ट में काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर का भी विस्तार किया जा रहा है। वर्तमान में 30 गुणे 45 मीटर के परिसर को 75 गुणे 45 मीटर का कर दिया जाएगा। इसमें प्रवेश के लिए चार द्वार बनाए जाएंगे। इस विस्तार में प्राचीन मंदिरों के विग्रह भी शामिल रहेंगे जो ध्वस्तीकरण केदौरान निकले थे।
भूकंप रोधी होगा भवन
भूकंप और भूस्खलन की स्थिति में भी मुख्य मंदिर परिसर की दीवार की मजबूती को बनाए रखने के लिए पीतल की प्लेटें प्रयोग में लाई जा रही हैं। वी आकार की छह इंच चौड़ी और 18 इंच लंबी छह सौ ग्राम वजन की पीतल की प्लेटों को पत्थरों से जोडऩे के लिए 12 इंच की गुल्ली लगाई जा रही है। गुल्ली का वजन भी चार सौ ग्राम केआसपास है। विशेष प्रकार के केमिकल लेपाक्स अल्ट्राफिक्स का इस्तेमाल पीतल और पत्थरों के बीच खाली जगह को भरने के लिए किया जा रहा है।
अब आ सकेंगे दो लाख श्रद्धालु
काशी विश्वनाथ धाम का निर्माण होने के बाद 2 लाख लोग आसानी से आ सकेंगे। जहां पहले श्रद्धालुओं के खड़े होने के लिए पांच हजार वर्गफीट की जगह भी नसीब नहीं होती थी, वहां इसके बनने के बाद दो लाख श्रद्धालु एक साथ आ सकेंगे।
काशी के मणिकर्णिका और ललिता घाट से कॉरिडोर की शुरुआत होगी। 5.3 लाख वर्गफुट में तैयार होने जा रहे इस इलाके में 70 फीसदी जगह हरियाली के लिए रखी जाएगी। धाम में घाट की ओर से आने के लिए ललिता घाट पर प्रवेश द्वार बनाया जाएगा। इसके अलावा सरस्वती फाटक, नीलकंठ और ढुंढिराज गेट से भी विश्वनाथ धाम में प्रवेश किया जा सकेगा।
34 फीट के होंगे चार गेट
मंदिर परिसर में गर्भगृह से लगा हुआ बैकुंठ मंदिर, दंडपाणि के साथ तारकेश्वर और रानी भवानी मंदिर रहेगा। इसके अलावा गर्भगृह से लगे बाकी विग्रहों को परिसर के पास ही बनाया जाएगा। परिसर में 34 फीट ऊंचाई वाले चार गेट होंगे। पूरे परिसर में मकराना और चुनार के पत्थर लगेंगे। परिसर लाइट से जगमगाएगा। यहां धार्मिक और आयुर्वेदिक महत्व के पेड़ भी होंगे।
जलासेन टैरेस से होंगे गंगा के दर्शन
कॉरिडोर के बाहरी हिस्से में जलासेन टैरेस बनाई जाएगी। इस टैरेस पर खड़े होकर गंगा जी के साथ ही मणिकर्णिका, जलासेन और ललिता घाट को भी निहारा जा सकेगा। 15 जनवरी से शुरू हुआ है काशी विश्वनाथ धाम का काम।