बोले बेबस कश्मीरी युवा- कुछ लोगों के चलते पूरा कश्मीर बदनाम, हमें शांति पसंद है
कश्मीर का नाम लेते ही एक हिंसाग्रस्त युद्ध के मैदान में तब्दील इलाके की तस्वीर जेहन में उभरती है। स्वर्ग कहे जाने वाले इस राज्य में कुछ ऐसे युवा हैं जो कश्मीर की हिंसा के सख्त खिलाफ हैं। वे पूरे देश में घूमकर रोजगार करते हैं। उनकी तकलीफ यह है कि चंद दहशतगर्दों की कारगुजारियों के चलते उन्हें भी शक की निगाह से देखा जाता है।
गोरखपुर: कश्मीर का नाम लेते ही एक हिंसाग्रस्त युद्ध के मैदान में तब्दील इलाके की तस्वीर जेहन में उभरती है। स्वर्ग कहे जाने वाले इस राज्य में कुछ ऐसे युवा हैं जो कश्मीर की हिंसा के सख्त खिलाफ हैं। वे पूरे देश में घूमकर रोजगार करते हैं। उनकी तकलीफ यह है कि चंद दहशतगर्दों की कारगुजारियों के चलते उन्हें भी शक की निगाह से देखा जाता है।
एक ओर जहां कुछ उपद्रवी तत्व वहां हाथों में पत्थर उठा अशांति फैलाने का प्रयास करते हैं वहीँ कुछ हुनरमंद युवा अपने हुनर से कश्मीर के साथ ही देश की तरक्की में अपना योगदान दे रहे हैं।
ऐसे ही कुछ हुनरमंद कश्मीरियों के उत्पाद शहर के टाउनहाल मैदान में खादी ग्रामोद्योग प्रदर्शनी में धमाल मचा रहे है।
कश्मीर में हालात पर कुछ कश्मीरियों से बात की गई तो उनका कहना था कि कश्मीर के लोग अमन पसंद हैं और वहां शान्ति चाहते हैं। मगर कुछ शरारती तत्व वहां के अमन में अवरोध उत्पन्न करते हैं जिससे उन्हें भी शक की निगाह से देखा जाता है
मुस्ताक अली, वस्त्र उत्पादक, (अनंतनाग, कश्मीर)
कश्मीरी युवक मुस्ताक ने बताया कि कश्मीर में अमन पसंद लोग रहते हैं और वह हमेशा वहां शांति ही चाहते हैं। लेकिन वहां कुछ ऐसे भी पढ़े लिखे नौजवान है जो शांति की राह से भटक गए हैं। इसका सबसे बड़ा कारण बेरोजगारी है। जब उन्हें रोजगार नही मिलता है तो वह हाथों में पत्थर उठा लेते हैं। उन्होंने कहा कि अगर वहां के युवाओं को रोजगार आसानी से मिल जाए तो तो वहां किसी तरह की कोई हिंसा नही होगी।
शब्बीर अहमद (कश्मीरी मेवा विक्रेता) ने बताया कि कश्मीर के कुछ युवा बहकावे में आकर हाथों में पत्थर उठाकर वहां अशांति फैला हैं। पढ़े लिखे बेरोजगार। भारत सरकार को कश्मीर के विकास के बारे में सोचना चाहिए जिससे वहां रोजगार के साधन उपलब्ध हो जाए। अगर ऐसा हो गया तो कश्मीर के युवा कभी भी पत्थर नही उठाएंगे।