Meerut News: कांवड़ यात्रा पूरे शवाब पर, शिवमय हुआ हाईवे, डीजे पर थिरक रहे कांवडिये

Meerut News: कांवड़ यात्रा पूरे शवाब पर है। कांवड़ के रंगों से मेरठ शहर सराबोर हो गया है। सड़कों पर केसरिया सैलाब उमड़ा है। हाईवे से लेकर शहर के आम रास्ते शिवमय हो गए हैं। झांकियों की छटा देखते ही बन रही है।

Update:2023-07-13 14:20 IST
Kawad Yaatra in Full Swing, Meerut

Meerut News: कांवड़ यात्रा पूरे शवाब पर है। कांवड़ के रंगों से मेरठ शहर सराबोर हो गया है। सड़कों पर केसरिया सैलाब उमड़ा है। हाईवे से लेकर शहर के आम रास्ते शिवमय हो गए हैं। झांकियों की छटा देखते ही बन रही है। जगह-जगह शिविर लगे हैं जिनमें डीजे की धुन पर भोला-भोली भगवान शिव के भजनों पर थिरक रहे हैं। क्या महिलाएं, क्या बच्चे और क्या आम और क्या खास सब एक रंग में रंगे हुए हैं। इस बीच डीजे कांवड़ का तो क्या कहना। एक लाख से लेकर पांच करोड़ की डीजे कांवड़ शिव भक्तों की टोली लेकर आ रही है। ऐसा लगता है कि मानो डीजे कांवड़ियों के बीच कोई मुकाबला हो रहा है। तेज आवाज और रात में रंगीन रोशनी से जगमग कांवड़ देखने को लोगो का हुजूम उमड़ रहा है।

पिछले साल मेरठ के मोनू की डीजे कांवड़ काफी चर्चा का विषय रही थी। मोनू की कांवड़ और डीजे का सेटअप करीब तीन से चार करोड़ के बीच का बताया गया था। पिछले चार-पांच सालों में डीजे कांवड़ को लेकर तेजी से क्रेज बढ़ा है। यह चलन तेजी से बढ़ता जा रहा है। कांवड़ और डीजे का सेटअप पांच-सात लाख रुपये लेकर चार से पांच करोड़ तक के बताए जा रहे है। इंटरनेट मीडिया पर यह कांवड़ खूब वायरल हो रही है। इसके अलावा विशाल कांवड़ पर मनमोहक झांकियां श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रही हैं। शिवभक्त डाक कांवड़ियों के काफिले हरिद्वार से गंगाजल लाने के लिए शहर से होकर गुजर रहे हैं। डीजे की धुन और हर-हर महादेव के जयकारों से शहर गुंजायमान हो रहा है। कसाना डीजे और मोनू डीजे चर्चाओं में है। कसाना डीजे के संचालक उमेश कसाना के अनुसार डीजे कावंड़ यात्रा में इस बार 1500 लीटर तो डीजल ही लगेगा। डीजे कावड़ में कुल कितना खर्चा आया है इस बारे में कुछ न बोलते हुए उमेश कसाना इतना ही कहते हैं कि हमारे डीजे कावंड़ की आवाज 10 किमी दूर तक जाती है।

वर्षों पहले कांवड़ लाने जब कम श्रद्धालु जाते थे तब कांवड़ परंपरागत यानी कलश कांवड़ ही हुआ करती थी, लेकिन धीरे-धीरे जब इसमें भीड़ बढ़ती गई तो कांवड़ में झांकी और तरह-तरह की वेशभूषा ने स्थान लिया। उच्च फ्रीक्वेंसी वाले डीजे शामिल हुए। बच्चे-बूढ़े और महिलाएं भी कांवड़िया बनने लगे। लगातार बदलते स्वरूप ने आकर्षण बढ़ाया तो झांकी कांवड़ का खर्च बढ़ता चला गया। वर्षों पहले गिने चुने शिविर हुआ करते थे, लेकिन जब कांवड़िया बढ़े तो समाज भी अपनी जिम्मेदारी के साथ आगे आया।

जानकारों को अनुसार सामान्य झांकी कांवड़ को तैयार करने में कम से कम ढाई लाख रुपये खर्च हो जाते हैं। छोटी झांकी कांवड़ में भगवान की प्रतिमाएं, लाइटिंग, ट्रैक्टर-ट्राली या फिर हाथ से खींचने वाला रख तैयार किया जाता है। जब इसमें डीजे शामिल किए जाते हैं तब इसकी लागत बढ़ जाती है क्योंकि इस पूरी व्यवस्था के लिए ट्राली पर जेनरेटर रखना होता है। कुछ कांवड़िये झांकी के साथ मिनी ट्रक लेकर चलते हैं। इस ट्रक में जेनरेटर और डीजे होता है। डीजे कांवड़ की कीमत लाखों रुपये से लेकर पांच करोड़ अथवा इससे अभी अधिक पहुंच जाती है।

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