KGMU ने अनाथ मरीज़ का कराया पुनर्वास: पुरनिया चौराहे पर मिला था घायल, 'उम्मीद' ने उठाई ज़िम्मेदारी
KGMU: एक लावारिस मरीज 12 दिसम्बर, 2021 को लखनऊ के पुरनिया चौराहे पर सड़क हादसे में घायल अवस्था में पड़ा हुआ, स्थानीय पुलिस को मिला था।
लखनऊ: राजधानी के किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्विद्यालय (KGMU) में बिहार के रहने वाले, एक मरीज़ को दोबारा ज़िंदगी शुरू करने का मौका मिल रहा है। मरीज़ क़रीब 3 महीने के इलाज के बाद, अब उम्मीद संस्था के माध्यम से अपनी एक नई शुरुआत करने की ओर तैयार है। बता दें कि, बिहार के रहने वाले इस शख़्स को इसकी सौतेली मां ने अपनाने से इनकार दिया। वहीं, यह पुलिस को पुरनिया चौराहे पर, घायल अवस्था में मिला था।
2 दिसम्बर, 2021 को पुरनिया पर घायल हालत में था मिला
एक लावारिस मरीज 12 दिसम्बर, 2021 को लखनऊ के पुरनिया चौराहे पर सड़क हादसे में घायल अवस्था में पड़ा हुआ, स्थानीय पुलिस को मिला था। उसके सिर में गंभीर चोट होने के कारण, उसे स्थानीय पुलिस द्वारा केजीएमयू (KGMU) के ट्रामा सेंटर के इमरजेंसी न्यूरोसर्जरी विभाग में उसी दिन भर्ती कराया गया। भर्ती के समय मरीज कोमा में था और उसकी स्थिति बहुत गंभीर थी। उसका आवश्यक इलाज और रखरखाव शुरू किया गया। डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ और कर्मचारियों की देखभाल और इलाज करने के बाद, यह मरीज धीरे-धीरे होश में आने लगा और पूरी तरह से स्वस्थ हो गया।
बिहार का रहने वाला है मरीज़
स्वस्थ होने के बाद, मरीज से उसका पता पूछा गया। तो वह खुद को बिहार के सिवान जिले के सोनबरसा गाँव का निवासी बता रहा था। साथ ही यह भी बताया कि वह कई वर्षो से लखनऊ के पुरनिया पर, एक मालिक के घर पर पेंटर एवं सहयोगी का काम करता है। मरीज़ को अस्पताल के स्टाफ के द्वारा 1 मार्च, 2022 को पुरनिया स्थित बताए गए पते पर ले जाया गया। लेकिन वहां पर इसके मालिक ने, उसको रखने के लिये साफ तौर पर मना कर दिया। मरीज के गांव में उनके ग्राम प्रधान से भी संपर्क किया गया, जिन्होंने यह सूचना दी है कि इस मरीज का अपना अब कोई रिश्तेदार गांव में बचा नहीं है। संभवतः इसके माता-पिता का देहांत हो चुका है और इसकी एक सौतेली मां और उसके बच्चे जीवित हैं। लेकिन वे इसे अपने घर में रखना नहीं चाहते।
केजीएमयू ने पुनर्वास का उठाया था ज़िम्मा
क्योंकि, मरीज पूर्ण रूप से स्वस्थ हो चुका था। अपनी देखभाल स्वयं कर सकता था और अपना काम भी शुरू कर सकता था, और इसके घर-परिवार का कोई भी सदस्य उपलब्ध नहीं था। इसलिए केजीएमयू प्रशासन द्वारा विभिन्न सामाजिक संस्थाओं से निवेदन किया गया कि यदि इसे कोई कुछ दिन के लिए सहयोग प्रदान कर के किसी पुनर्वास गृह में रख लें, तो इनका पुनर्वास संभव हो सकेगा।
उम्मीद संस्था ने उठाई ज़िम्मेदारी
वरिष्ठ पत्रकार पद्माकर पांडे के सहयोग से 'उम्मीद' नाम की एक संस्था ने यह जिम्मेदारी ली और उनके कार्यकर्ता मरीज से आकर 29 मार्च को मिले और अपनी जिम्मेदारी पर उसे पुनर्वास करने के उद्देश्य से, डिस्चार्ज करा कर ले गए। इस प्रकार के सामाजिक सहयोग के कार्य हेतु न्यूरो सर्जरी विभाग व पूरा केजीएमयू पद्माकर पांडे और उम्मीद संस्था की तारीफ़ कर रहा है।