इस तरह से तैयार होगा राम मंदिर, जानें क्या होंगी विशेषताएं
1528 से 1949 के बीच पहले भी 76 बार मंदिर निर्माण की कोशिशें की जा चुकी हैं। मंदिर निर्माण के लिए 2 लाख 75 हजार ईंटें देश-विदेश से एकत्रित की जा चुकी हैं।
-योगेश मिश्र
लखनऊ: अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का रास्ता सर्वोच्च अदालत के आदेश से भले ही बीते शानिवार को साफ हुआ हो। लेकिन मंदिर निर्माण की तैयारियां विश्व हिन्दू परिषद सहित अन्य तमात संगठन बीते 90 के दशक से कर रहे हैं। यही नहीं, 1528 से 1949 के बीच पहले भी 76 बार मंदिर निर्माण की कोशिशें की जा चुकी हैं। मंदिर निर्माण के लिए 2 लाख 75 हजार ईंटें देश-विदेश से एकत्रित की जा चुकी हैं। यानि तराशे गए पत्थरों के लिहाज से देखा जाए तो, मंदिर निर्माण का आधा काम पूरा हो चुका है। सवा लाख घन फीट पत्थर तराशे जा चुके हैं। जबकि इतने ही और पत्थरों की जरुरत मंदिर निर्माण को पूरा करने में लगेगी। अब तक जो पत्थर इकट्ठा हुए हैं, इनमें 6 करोड़ लोगों की भागीदारी हुई है। मंदिर का आर्किटेक्ट गुजरात के चन्द्रकांत सोमपुरा ने तैयार किया है। सोमपुरा गुजरात के पालीताड़ा के रहने वाले हैं। जबकि नींव की डिजाइन रूडकी विश्वविद्यलाय के प्रोफेसर ए.एस.आर्य ने बनाई है। अगले दो सालों में मंदिर बनकर तैयार हो जाने की उम्मीद है।
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चन्द्रकांत सोमपुरा हैं राममंदिर के आर्किटेक्ट
चन्द्रकांत सोमपुरा जो राममंदिर के शिल्पकार हैं। इनका परिवार मंदिर डिजाइन के लिए जाना जाता है। सोमनाथ मंदिर की डिजाइन भी इन्हीं के परिवार ने तैयार की थी। लंदन और गांधीनगर के स्वामी नारायण मंदिर की डिजाइन का श्रेय इन्हें ही जाता है। पहली बार जब उन्हें विश्व हिंदू परिषद ने राम मंदिर बनाने के लिए अयोध्या बुलाया था, तब उनके सामने सबसे बड़ी दिक्कत ये थी कि परिसर में वह कुछ भी लेकर नहीं जा सकते थे। नजीतनन उन्होंने अपने पैरों से पूरी जगह को नापा। इसी नाप के आधार पर मंदिर का डिजाइन तैयार किया। उन्होंने केवल दो साल के कम समय में ही इन्होंने लंदन का स्वामी नाथ मंदिर तैयार करवा दिया था। देश में कई बिड़ला मंदिर और पालनपुर का अम्बा माता मंदिर भी इन्होंने ही बनाया है। राममंदिर के लिए उन्होंने नागर शैली विकसित की है। उत्तर भारत में प्राय: नागर शैली में ही मंदिर का निर्माण होता है। जबकि देश में नागर, द्रविड और वैसर शैलियां मंदिर निर्माण में प्रयोग की जाती हैं। 1989 में प्रयागराज कुंभ में राम मंदिर का मॉडल पहली बार रखा गया था।
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राममंदिर निर्माण में नहीं होगा लोहे का प्रयोग
राममंदिर निर्माण में लोहे का प्रयोग नहीं होगा। यह दो तल का होगा। मंदिर पूर्वामुख होगा। लेकिन चार प्रवेश द्वार होंगे। मंदिर के पहले तल पर बाल स्वरुप भगवान श्री राम की करीब 6 फीट ऊंची प्रतिमा होगी। इसी तल पर रामलला विराजमान होंगे। दूसरे तल पर राम दरबार होगा, जिसमें राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान की प्रतिमाएं होंगी। मंदिर की प्रथम पीठिका यानि चबूतरा 8 फीट ऊंचा होगा। इसी पर 10 फीट ऊंचा परिक्रमा मार्ग होगा। 4'9 इंच ऊंची एक आधार पीठिका पर मंदिर का निर्माण होगा। प्रथम तल पर 106 खंभे होंगे। प्रत्येक स्तम्भ की परिधि 4 फीट रखी गई है। 270 फीट लंबाई, 145 फीट चौड़ाई और 141 फीट ऊंचा मंदिर का आकार होगा। दीवार की चौड़ाई छह फीट रखी गई है। फर्श संगमरमर की होगी और बाकी भरतपुर के बंसी डुंगरपुर के गुलाबी पत्थरों से मंदिर को सजाया जायेगा। इसे सैंडस्टोन का राजा मानते हैं। जो एक हजार से 12 सौ साल तक चल सकता है।
आधार से शिखर तक मंदिर चार कोण का होगा। जबकि गर्भगृह आठ कोण का होगा। भूतल पर मंदिर और ऊपर रामदरबार होगा। मंदिर में 221 स्तंभ बनाये जायेंगे। हर स्तंम्भ पर 16 देवी-देवताओं की आकृतियां उकेरी जायेगीं। दूसरे मंजिल पर 14 फीट 6 इंच स्तम्भों की ऊंचाई होगी, जबकि पहली मंजिल पर स्तम्भों की ऊंचाई 16 फीट 6 इंच होगी। इसमें संत निवास, शोध केन्द्र, कर्मचारी आवास, भोजनालय सब बनाये जाने का प्रावधान है। मंदिर की परिक्रमा वृत्ताकार होगी। सिंहद्वार, नृत्य मंडल, रंग मंडप, गर्भगृह सुंदर प्रवेशद्वार होंगे। भरत मंदिर, लक्ष्मण मंदिर, सीता मंदिर, गणेश मंदिर और कथाकुंज भी बनाए जाने का खाका तैयार किया गया है। अभी तक जो मंदिर का डिजाइन है उसके लिहाज से यह भारत का सबसे बड़ा मूर्तियों का मंदिर होगा।
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