सहज योगिनी के शिविर में संतों को मिल रहा वीआईपी होटल जैसा नाश्ता व खाना

दिव्य कुंभ क्षेत्र में जहां आस्था हिलोरे मार रही है तो वहीं हर व्यक्ति संगम में डुबकी लगाकर पुण्य लाभ उठाने में लगा है। कुंभ में पुण्य लाभ उठा रहे संतों के लिए श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा का परम पूज्य सहज योगिनी माता जी श्री शैलजानन्द गिरी देवी के शिविर का वैभव किसी वीआईपी होटल से कम नहीं है।

Update:2019-01-24 18:29 IST

आशीष पाण्डेय

कुंभ नगर: दिव्य कुंभ क्षेत्र में जहां आस्था हिलोरे मार रही है तो वहीं हर व्यक्ति संगम में डुबकी लगाकर पुण्य लाभ उठाने में लगा है। कुंभ में पुण्य लाभ उठा रहे संतों के लिए श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा का परम पूज्य सहज योगिनी माता जी श्री शैलजानन्द गिरी देवी के शिविर का वैभव किसी वीआईपी होटल से कम नहीं है।

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गुरूवार को मैं कुंभ क्षेत्र के सेक्टर 16 में घूम ही रहा था कि तभी संतों का एक जत्था इस शिविर में जाता दिखा। कुछ संतों से पूंछा तो उन्होंने तपाक से कहा कि यहां संतों के खान पान सहित अन्य बेहतर सुविधाएं हैं। जिसे देखने के लिए मुझमें भी जिज्ञासा हुई। तो बस बाइक वहीं शिविर के बाहर खड़ी की तभी वहां बैठे सुरक्षा कर्मी ने टोका कि बाइक को दूसरे छोर पर खड़ी कर दें ताकि यहां कोई गाड़ियां न खड़ी करे। मैने भी गाड़ी को चिन्हित स्थान पर खड़ा किया और वहां के द्वार की सुंदरता को निहारने लगा। गेट से प्रवेश किया ही था कि वहां एक आकर्षक पहाड़ों की सीनरी और मां दुर्गा व भोलेनाथ की प्रतिमा एवं समीप में एक पानी का झरना दिखा जो वास्तव में बहुत खूबसूरत था।

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आगे बढ़ा तो वहां एक होटल की तरह मेज कुर्सियां सजी दिखी। जहां संत बैठकर भोजन कर रहे थे और बाकायदा उन्हें खिलाने के लिए कुछ लोग डटे हुए थे। इसी बीच शैलजा माता से मिलने की जिज्ञासा हुई आगे भी बढ़ा लेकिन तभी वहां क एक महिला कर्मचारी ने कहा रूकिए ! मैं ठहर गया और तभी उन्होंने शैलजा माता की एक शिष्या जिनका नाम सुशीला था उन्हें बुलाया वह तुरंत आई और अभिवादन किया। इसके बाद जब उनसे यहां की भव्यता और आकर्षक भोज के बारे में बात होने लगी तो उन्होंने बताया कि माता जी संतों को खिलाने में परम सुख प्राप्त करती हैं। इसलिए यहां खाने के लिए विशेष प्रबंध किया जाता है।

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प्रतिदिन यहां का मेन्यू बदल जाता है तो वहीं सुबह और शाम का मेन्यू भी अलग है। उन्होंने बताया कि सुबह चाय नाश्ता के बाद दोपहर में पंजाबी खाने की व्यवस्था होती है। जिसमें तंदूरी रोटी, पनीर टिक्का, दही बड़ा जैसे स्वादिष्ट व्यंजन परोसे जाते हैं तो वहीं शाम को दक्षिण भारतीय व्यंजन परोसा जाता है।जिसमें डोसा, इडली सांभर, सहित कई व्यंजन शामिल हैं। तभी मेरी नजर वहां लगे मून्यू पर गई, जिसमें खमन ढोकला, दही वड़ा, राज कचौरी, छोले भटूरे, नारियल पानी, चाय काफी सहित कई स्वादिष्ट व्यंजनों के नाम दर्ज थे।

 

वहां सैकड़ों की संख्या में संत इस जायके का आनंद उठा रहे थे तभी दूसरी तरफ घूमते ही अन्य सुविधाओं पर नजर गई। जिसमें संतों के लिए नि:शुल्क चिकित्सकों एवं दवाओं की व्यवस्थाएं दिखी। जहां नेत्र विभाग सहित कई चिकित्सकों द्वारा जांच कर अंग्रेजी दवाएं दी जा रही थी तो वहीं आयुर्वेद चिकित्सकों की भी व्यवस्था की गई थी। शायद इसीलिए यहां संतों का जमघट होता है और प्रतिदिन हजारों की संख्या में संत पहुंच रहे हैं।

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