कोर्ट ने दिया अधिग्रहीत जमीन का अधिक मुआवजा वापसी का निर्देश

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हापुड़ के गांव रसूलपुर बहलोलपुर में राष्ट्रीय राजमार्ग चैड़ीकरण के लिए अधिगृहीत जमीन से अधिक का प्राप्त मुआवजा वापस करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने याची रजनी व नीतू को एक करोड़ रूपये 4 माह में फिक्स डिपाजिट करने का निर्देश दिया है और प्रकरण प्रमुख सिविल कोर्ट को तय करने को कहा है।

Update: 2019-05-07 16:25 GMT
प्रतीकात्मक फोटो

प्रयागराज : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हापुड़ के गांव रसूलपुर बहलोलपुर में राष्ट्रीय राजमार्ग चैड़ीकरण के लिए अधिगृहीत जमीन से अधिक का प्राप्त मुआवजा वापस करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने याची रजनी व नीतू को एक करोड़ रूपये 4 माह में फिक्स डिपाजिट करने का निर्देश दिया है और प्रकरण प्रमुख सिविल कोर्ट को तय करने को कहा है।

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कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि वह जमा की गयी राशि बिना कोर्ट की अनुमति के बैंक से नहीं निकाल सकेगा। यह आदेश न्यायमूर्ति पी.के.एस. बघेल तथा न्यायमूर्ति आर.आर. अग्रवाल की खंडपीठ ने रजनी व अन्य की याचिका पर कोई अपनी राय दिए बगैर निस्तारित कर दिया है। एसडीएम ने याची को एक करोड़ 6 लाख 65 हजार 741 रूपये अतिरिक्त भुगतान वापसी का आदेश दिया जिसे चुनौती दी गयी है।

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याची का कहना था कि उसे क्षेत्राधिकार नहीं है। अधिगृहीत जमीन का शेयर तय किया जाना है। यह मामला प्रमुख सिविल कोर्ट को सौंपा गया है। याची ने भी स्वीकार किया कि उसने अधिक मुआवजा लिया है। विपक्षी जयवीर सिंह व अन्य की तरफ से अधिवक्ता आशीष कुमार सिंह का कहना था कि लेखपाल की मिली भगत से अधिक पैमाइश कराकर मुआवजा ले लिया जिसे वसूला जाय। जांच में लेखपाल की रिपोर्ट गलत पायी गयी है।

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