आम बजट के खिलाफ वामदलों का राष्ट्रव्यापी विरोध 12 फरवरी से

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी राज्य सचिव मण्डल ने बुधवार को बताया कि वामपंथी दलों सीपीआई(एम), सीपीआई, सीपीआई (एमएल), एआईएफबी और आरएसपी ने मोदी सरकार के जनविरोधी बजट के खिलाफ 12 फरवरी से 18 फरवरी तक राष्ट्रव्यापी विरोध करने का फैसला लिया है।

Update: 2020-02-05 11:40 GMT

लखनऊ: केंद्र की मोदी सरकार के बजट को जनविरोधी करार देते हुए वामपंथी दलों ने इसके विरोध में आगामी 12 से 18 फरवरी तक राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन करेगी। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी राज्य सचिव मण्डल ने बुधवार को बताया कि वामपंथी दलों सीपीआई(एम), सीपीआई, सीपीआई (एमएल), एआईएफबी और आरएसपी ने मोदी सरकार के जनविरोधी बजट के खिलाफ 12 फरवरी से 18 फरवरी तक राष्ट्रव्यापी विरोध करने का फैसला लिया है।

भारतीय अर्थव्यवस्था को नष्ट किया जा रहा

वामपंथी दलों ने कहा है कि मोदी सरकार के इस बजट में आम जनता की जीविका पर फिर एक बड़ा हमला किया गया है। जनता पर अप्रत्याशित बोझ लादा जा गया है और पूरी भारतीय अर्थव्यवस्था को नष्ट किया जा रहा है। दूसरी तरफ अमीरों और कारपोरेट्स को रियायत पर रियायत दी जा रही है। इससे हमारे देश में बेतहाशा आर्थिक असमानता बढ़ेगी।

 

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बजट में कृषि, खाद्य, मनरेगा, सामाजिक कल्याण, ग्रामीण विकास तथा स्वास्थ्य आदि क्षेत्रों में लगभग 9.5 लाख करोड़ की सरकारी खर्चे में कटौती की गयी है।

कारखानाबंदी और छंटनी रोकी जाए

वामपंथी दलों की मांग है कि जीवन बीमा सहित अन्य राष्ट्रीय संपत्तियों का निजीकरण करना बंद किया जाय। बेतहाशा बेरोजगारी पर रोक लगायी जाये और कारखानाबंदी और छंटनी रोकी जाए तथा न्यूनतम 21 हजार रुपये न्यूनतम वेतन दिया जाए। किसानों के सभी कर्जे माफ किये जायें। वामपंथी दलों ने बैठकों, सभाओं, पदयात्राओं तथा बड़े पैमाने पर पर्चे आदि के माध्यम से जनविरोधी बजट का विरोध करने का फैसला लिया है।

 

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गौरतलब है कि केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बीती पहली फरवरी को संसद में वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए आम बजट पेश किया था। इस आम बजट पर पूरे देश से मिलीजुली प्रतिक्रिया आयी थी। जहां कुछ लोगों ने इसे बेहतर बजट बताया था तो कुछ लोगों ने इसे देश को बर्बाद करने वाला बजट बताया था। इस बजट के जरिए वित्त मंत्री ने ग्रामीण क्षेत्र और मध्यम वर्ग को रियायते दी थी। तो वहीं कार्पोरेट जगत के लिए भी रियायते दी थी।

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