लेफ्टिनेंट मीनाक्षी की मौत: दुर्घटना नहीं, अस्थाना को बचाने की मनगढ़ंत कहानी

पुत्री की रहस्यमय मौत को दुर्घटना बताने वाली सेना के खिलाफ पिता देवेन्द्र सिंह भंडारी ने साहसिक संघर्ष करके न्याय दिलाया। सेना कोर्ट ने मामले की दुबारा जांच और परिवार को पचास लाख के साथ लेफ्टिनेंट मीनाक्षी को मिलने वाले सभी लाभ चार माह के अंदर देने का आदेश दि

Update: 2018-01-31 14:53 GMT
लेफ्टिनेंट मीनाक्षी की मौत: दुर्घटना नहीं, अस्थाना को बचाने की मनगढ़ंत कहानी

लखनऊ: पुत्री की रहस्यमय मौत को दुर्घटना बताने वाली सेना के खिलाफ पिता देवेन्द्र सिंह भंडारी ने साहसिक संघर्ष करके न्याय दिलाया। सेना कोर्ट ने मामले की दुबारा जांच और परिवार को पचास लाख के साथ लेफ्टिनेंट मीनाक्षी को मिलने वाले सभी लाभ चार माह के अंदर देने का आदेश दिया है।

एऍफ़टी बार के महामंत्री विजय कुमार पाण्डेय ने बताया कि तेईस वर्षीय मीनाक्षी वर्ष 2008 में कमीशन प्राप्त करके लेफ्टिनेंट बनी। वह 2010 में कैप्टन बनने के बाद 2011 में वायु सेना हास्पिटल जैसलमेर पहुंचीं। जहां उनकी मांग पर सिंगल अधिकारी आवास दिया गया। इसके बगल में कैप्टन दिव्या रहती थीं, 20 अप्रैल 2011 को जब वह ड्यूटी पर पंहुचीं तो ग्रुप कैप्टन दिनेश अस्थाना ने शारीरिक शोषण का प्रयास किया जिसे उसने अपनी मां से बताया उसके माता-पिता ग्रुप कैप्टन दिनेश अस्थाना से मिले लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकलाl

पिता को अचानक मिली जलने की सूचना

इसके बाद अचानक एक दिन रात्रि के डेढ़ बजे याची/पिता देवेन्द्र सिंह भंडारी के पास कैप्टन दिव्या ने फोन पर बताया कि लेफ्टिनेंट मीनाक्षी 85-90 प्रतिशत जल गईं हैं, उन्हें जोधपुर से पुणे भेजा गया है।पत्नी सहित याची वहां पहुंचा।बता दें कि ग्रुप कैप्टन दिनेश अस्थाना भी वहां पहुंचा लेकिन उसने किसी प्रकार की सांत्वना नहीं दी और 24 जनवरी 2012 को लेफ्टिनेंट मीनाक्षी की मृत्यु हो गई।उसकी मृत्यु से संबंधित कोई भी दस्तावेज सेना और भारत सरकार द्वारा नहीं दिया गया और उसका पोस्ट-मार्टम नहीं किया गया यह आरोप मीनाक्षी के पिता (याची) ने लगाय़े थे।

मृत्यु से संबंधित दस्तावेज नहीं दिए गए

ए ऍफ़ टी बार के महामंत्री विजय कुमार पाण्डेय ने बताया कि पिता देवेन्द्र सिंह भंडारी ने 15 फरवरी को कमांडिंग आफिसर से अपनी स्व. पुत्री की पोस्ट-मार्टम रिपोर्ट, कोर्ट आफ इन्क्वायिरी एवं अन्य दस्तावेज मांगें लेकिन उन्हें नहीं दी गई तब पिता ने अंतिम-आदमी के लिए सुलभ सूचना अधिकार से जानकारी मांगी।जिसमें हीटर पार करते वक्त जलना बताया गया था लेकिन पैर जला ही नहीं था l

संदिग्ध है पूरा मामला

सेना कोर्ट ने कोर्ट आफ इन्क्वायरी के निष्कर्षों को संदिग्ध मानते हुए कहा कि आखिर किन कारणों से कैप्टन दिव्या के बयान पर विश्वास किया गया, क्या 90 प्रतिशत जला व्यक्ति दरवाजे पर खड़ा रह सकता है? क्या स्कूटी पर बैठ सकता है ? कैप्टन दिव्या ने क्यों कहा कि लेफ्टिनेंट मीनाक्षी ने हीटर से जलने की बात उससे कही? जबकि गवाहों ने कहा है कि वह बोलने की स्थिति में ही नहीं थी ? के एन गुप्ता का यह कहना कि उसकी धडकनें तेज हो गईं थीं। कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि जो व्यक्ति जीवन से संघर्ष कर रहे साथी को बचाने का साहस नहीं रखता उसे तो सेना में रखा ही नहीं जाना चाहिए।

घटना में तीसरा व्यक्ति शामिल

विजय कुमार पाण्डेय ने बताया कि कोर्ट ने कैप्टन दिव्या और के एन गुप्ता के बयान को अविश्वसनीय बताते हुए कहा कि कोर्ट आफ इन्क्वायरी से स्पष्ट है कि उसकी शारीरिक और मानसिक हालत जानने का प्रयास तो किया गया लेकिन डाक्टरों से यह नहीं पूंछा गया कि उसने क्या बताया ? और डाक्टरों द्वारा मृत्यु के कारण में हीटर से जलना बताया जाना यह उजागर करता है कि वास्तविक तथ्य छुपाया जा रहा है क्योंकि जब वह बोल ही नहीं सकती थी तो दुर्घटनावश हीटर से जली कैसे पता चला? माँ-बाप को न तो बुलाया न सम्पर्क किया ? पैरों के निशान 90 प्रतिशत जल चुकी मीनाक्षी के हैं किस आधार पर बता दिया गया जबकि यह जानने का प्रयास क्यों नहीं किया गया कि आखिर कौन अंदर था, जबकि घटनास्थल को देखकर किसी के साथ हाथापाई और अनहोनी घटना का होना स्पष्ट है, फिंगर-प्रिंट क्यों नहीं लिए ? ड्यूटी के दौरान हुई घटना को मानने से इंकार कर दिया गया ? तीसरा व्यक्ति कौन था जानने का प्रयास क्यों नहीं किया गया ? 20 मिनट में जला शरीर लेकर हास्पिटल कैसे पहुंची दिव्या? कोर्ट आफ इन्क्वायरी ने अपनी सीमा के बाहर जाकर कार्य किया जबकि घटना में तीसरे व्यक्ति का हाथ है l ? पूरी घटना अविश्वसनीय है l

पचास लाख जुर्माना, सभी लाभ और दुबारा हो जांच

विजय कुमार पाण्डेय ने बताया कि कोर्ट ने निर्णय सुनाते हुए कहा कि लेफ्टिनेंट मीनाक्षी दुर्घटना नहीं बल्कि दूसरे या तीसरे व्यक्ति की उपस्थिति में रहस्यात्मक मौत है और मनगढ़ंत कहानी ग्रुप कैप्टन दिनेश अस्थाना को बचाने के लिए गढ़ी गई है मामले की दुबारा जांच हो और परिवार को पचास लाख के साथ लेफ्टिनेंट मीनाक्षी को मिलने वाले सभी लाभ चार माह के अंदर देने का आदेश दिया।

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