लाॅकडाउन: प्राइवेट नर्सिंग होम्स में लटका ताला, मोबाइल बंद कर घरों में छिपे डाॅक्टर
सरकार एवं जिले के प्रशासनिक अधिकारी ने प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले चिकित्सकों से अपील की है कि इस संकट की घड़ी में सभी चिकित्सक अपनी सेवाएं निशुल्क प्रदान करें, लेकिन इसका कोई असर चिकित्सकों पर नहीं नजर आ रहा है।
जौनपुर: देश ही नहीं बल्कि पूरा विश्व एक ओर तो कोरोना वायरस के संक्रमण से जूझ रहा है तो वहीं पर धरती के भगवान की संज्ञा से नवाजित प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले चिकित्सक अपने युनियन आईएमए की बात मान कर पीड़ित जनों का उपचार करने के बजाय अपने नर्सिग होम्स में ताला बंद करके घरों अन्दर छिप गए हैं और अपने मोबाइल को भी बन्द कर लिया है।
सरकार एवं जिले के प्रशासनिक अधिकारी ने प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले चिकित्सकों से अपील की है कि इस संकट की घड़ी में सभी चिकित्सक अपनी सेवाएं निशुल्क प्रदान करें, लेकिन इसका कोई असर चिकित्सकों पर नहीं नजर आ रहा है। वह केवल खुद को कोरोना वायरस से बचाने की जुगत में अपने राष्ट्रीय संगठन की बात मान कर अपने दायित्वों का निर्वहन नहीं कर रहे हैं। यही नहीं इस संक्रमण से निपटने के लिए लिए हर आम खास सरकार के आह्वान पर आर्थिक सहायता राशि प्रदान कर रहा है, लेकिन आईएमए द्वारा संभवतः कोई सहायता राशि नहीं दिया गया है।
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बता दें कि यहां जौनपुर जिले में लगभग 200 के आसपास प्राइवेट नर्सिंग होम हैं। कोरोना महामारी के संक्रमण काल में सभी नर्सिंग होम्स का सच जानने के लिए सर्वे किया गया तो पता चला कि लगभग सभी यानी शत प्रतिशत प्राइवेट नर्सिंग होम्स में ताला लगा नजर आया है। कुछ नर्सिंग होम में पहले से भर्ती मरीजों का उपचार तो अन्दर नर्सिंग होम के स्टाफ द्वारा किया जा रहा है लेकिन चिकित्सक तो पूरी तरह से छिप गये हैं।
ऐसे सभी चिकित्सकों को छिपने का कारण जो भी हो आज जब उनके सहयोग की जरुरत राष्ट्र को है तो नहीं नजर आ रहे हैं और देश को संक्रमण से मुक्त होने के बाद जब जन मानस को लूटने का समय आयेगा सभी चिकित्सक बिलों से बाहर आ जायेंगे। इसके लेकर बात करने के लिए यहां जनपद में आईएमए के जिलाध्यक्ष के सम्पर्क नंबर पर काल किया, लेकिन मोबाइल स्वीच आफ होने के चलते बात नहीं हो सकी है।
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चिकित्सकों के इस निर्णय से यहां जनपद में दो तरह के घोर संकट की स्थिति उत्पन्न हो गयी है। एक तो कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का उपचार केवल सरकारी अस्पताल में संभव हो पा रहा है। दूसरा आम अन्य रोगों से पीड़ितों एवं डिलीवरी आदि के मामलों में आवाम भटकने को मजबूर है।
सूत्रों की मानें तो जब शासन प्रशासन ने इन प्राइवेट चिकित्सकों से अपील किया कि वे भी कोरोना पीड़ितों के दवा इलाज में अपना सहयोग करें तो ये प्राइवेट चिकित्सक सीधे मना करने के बजाय नर्सिंग होमो में ताला बंद कर गायब हो गये हैं।
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इस पूरे हालात पर चर्चा के उपरांत एक चिकित्सक जो सरकारी सेवा से अवकाश ग्रहण करके अपना खुद का एक बड़ा नर्सिंग होम चला रहे हैं नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि इसमें सबसे खराब भूमिका आईएमए की है वहां से आह्वान कर लोगों को ओपीडी नहीं करने का निर्देश दिया गया है। चिकित्सकों को संगठन में रहना है तो राष्ट्रीय स्तर पर लिये गये निर्णयों का पालन करना पड़ेगा।
यहां यह भी बता दें कि शासन के प्रतिनिधि के रूप में जिले में तैनात जिलाधिकारी के द्वारा प्राइवेट चिकित्सकों से संकट की घड़ी में सरकार का सहयोग करने हेतु सोशल डिस्टेन्सिंग कायम रखते हुए मरीजों के उपचार की अपील की गई, लेकिन इसका कोई असर चिकित्सकों पर नहीं हुआ है।