अयप्पा मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में हुई महाकलश पूजा

 भगवान अयप्पा मंदिर का 20वां प्राण प्रतिष्ठा समारोह गोमती नगर विनीत खंड स्थित मंदिर परिसर में मनाया जा रहा है। मंगलवार को वहां कलश पूजन का मुख्य आयोजन हुआ। केरल से आए पुजारी ब्रह्मश्री केशवन नम्बूदरी ने विधि-विधान से आरती, रुद्राभिषेक, कलश पूजन आदि सम्पन्न करवाया।

Update:2019-03-19 19:32 IST

लखनऊ : भगवान अयप्पा मंदिर का 20वां प्राण प्रतिष्ठा समारोह गोमती नगर विनीत खंड स्थित मंदिर परिसर में मनाया जा रहा है। मंगलवार को वहां कलश पूजन का मुख्य आयोजन हुआ। केरल से आए पुजारी ब्रह्मश्री केशवन नम्बूदरी ने विधि-विधान से आरती, रुद्राभिषेक, कलश पूजन आदि सम्पन्न करवाया।

केरल के चेंडमेलम संग हुआ पूजन

फूलों से अलंकृत मंदिर के कपाट सुबह साढ़े पांच बजे भक्तों के लिए खुल गये थे। वहां प्रथम देव गणपति की पूजा करने के बाद महागणपति हवन हुआ। उस क्रम में सुबह की उषा पूजा सम्पन्न हुई।

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श्रीभूतबली की पूजा के बाद पंच गव्य अर्पित कर कलश पूजा गई। कलश पूजा में काली मंदिर में 25, अयप्पा मंदिर में 9 और श्रीराम मंदिर, भगवती मंदिर और गणपति मंदिर में एक एक कलश का पूजन विधि विधान से किया गया। दोपहर की मध्यान पूजा के बाद 51 दीपों से महादीपाराधना की गई। शाम को देवी मंदिर में सहस्त्र नाम पूजा की गई। पूजन में केरल के पारंपरिक वाद्य चेंडामेलम का भी वादन किया गया। इसके तीन वादक दल भी केरल से इस आयोजन के लिए खासतौर से लखनऊ आये हैं।

मुख्य आयोजन 21 को होगा

इस क्रम में बुधवार 20 मार्च को सुबह 5:30 बजे महागणपति पूजा, उषा पूजा, कलश पूजा की जाएगी। शिव मंदिर में यह पूजन 25 कलशों से सम्पन्न होगा। भगवान अयप्पा मंदिर में पूजन के बाद भगवान श्रीराम का पूजन किया जाएगा। मध्यान पूजन के बाद महादीपाराधना की जाएगी। शाम 5:30 बजे भूतबली पूजन के बाद दीपाराधना के बाद देवी मंदिर में पूजन किया जाएगा। उसी दिन शाम को समाज के बच्चे सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश करेंगे। मुख्य आयेाजन गुरुवार 21 मार्च को होगा। उस दिन सुबह 5:30 बजे से महागणपति पूजन के बाद ऊषा पूजा, श्रीभूतबली के पूजन के बाद भद्र काली मंदिर में 25 कलशों का पूजन सम्पन्न करवाया जाएगा। एक कलश का पूजन हनुमान मंदिर और भगवान अयप्पा मंदिर में 108 कलशों का पूजन किया जाएगा। महादीपाराधना के बाद दोपहर 1:30 बजे से अन्नदानम-भंडारा होगा।

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शाम 5:30 बजे श्रीभूतबली का पूजन, दीपाराधना, भगवती सेवा, भद्रकाली पूजा की जाएगी। शाम 7:30 बजे गुरुथी पूजन के माध्यम से बुरी आत्माओं से मुक्ति की प्रार्थना की जाएंगी। अंतिम दिन शुक्रवार 22 को महागणपति हवन, उषा पूजा, श्रीभूतबली पूजा, महादीपाराधना के बाद ध्वजावरोहण कर समारोह को विराम दिया जाएगा। चूड़ा, खील, गुड़, घी, अनार, नारियल और मिश्री से तैयार खास प्रसाद का वितरण किया जाएगा।

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