योगी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन की तैयारी, ये दल साथ मिल देंगे धरना

वक्ताओं ने कहा कि अस्पतालों में बेड की कमी, डाक्टरों, नर्सों आदि की असुरक्षा दूसरी गंभीर बीमारियों से मरते लोग सरकार की घोषणाओं को खोखला साबित कर रही हैं ।

Update: 2020-08-04 10:36 GMT

लखनऊ: प्रदेश की ध्वस्त कानून व्यवस्था, कोविड-19 वायरस से निपटने में सरकार की विफलता, प्रदेश में जनवादी अधिकारों और जनतंत्र को कुचले जाने के विरोध में और महामारी व लॉकडाउन से बेहाल जनता को फौरी राहत देने, बिजली बिल माफ करने आदि मांगों को लेकर वामपंथी जनवादी दलों ने प्रदेशव्यापी विरोध आवाहन के अन्तर्गत लखनऊ में सीपीआई (एम) कार्यालय 10 विधानसभा मार्ग परिसर के अंदर कोरोना महामारी संबंधित सतर्कता तथा सावधानी बरतते हुए सभा की और राष्ट्रपति एवं राज्यपाल को सम्बोधित ज्ञापन दिया। सभा में वामपंथी जनवादी दलों के प्रदेश तथा जिला पदाधिकारियों ने भाग लिया।

सीएम योगी को मुख्यमंत्री पद पर रहने का नैतिक अधिकार नहीं

सभा को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि योगी सरकार में प्रदेश में बेतहाशा बढ़ते जघन्य अपराधों, बलात्कार, सामूहिक बलात्कार की घटनायें, गरीबों एवं कमजोर तबकों पर दबंगों का बढ़ता उत्पीड़न और आत्महत्या के लिए मजबूर उत्पीड़ित लोग कानून व्यवस्था के ध्वस्त होने के सबूत हैं। इससे स्पष्ट है कि कानून व्यवस्था पर से योगी सरकार नियंत्रण खो चुकी है औए ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री को अपने पद पर बने रहने का नैतिक अधिकार नहीं है। कोरोना महामारी का आतंक और दहशत बढ़ती जा रही है।

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सरकार इसके सामने पराजित हो रही है। संक्रमण बढ़ रहा है और लोग बेमौत मारी जा रहे हैं। वक्ताओं ने कहा कि अस्पतालों में बेड की कमी, डाक्टरों, नर्सों आदि की असुरक्षा दूसरी गंभीर बीमारियों से मरते लोग सरकार की घोषणाओं को खोखला साबित कर रही हैं । प्रवासी मजदूरों को काम देने की सारी घोषणाएं हवा-हवाई साबित हुई हैं। काम के अभाव में बेरोजगारी प्रवासी युवक आत्महत्या करने लगे हैं। मजबूर होकर वापस पुनः दूसरे प्रदेशों में जा रहे हैं। मनरेगा में भी काम नहीं मिल रहा है।

सरकार से की ये मांगे

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मोदी और योगी सरकार लगातार कारपोरेट परस्त मजदूर-किसान विरोधी अध्यादेश ला रही है। विरोध एवं विरोधियों को बदले की भावना से कुचला जा रहा है। जनता को राहत देने में प्रदेश सरकार कतई गंभीर नहीं है। वामपंथी जनवादी दलों ने प्रदेश में बढ़ते अपराधों को रोकने, जनतांत्रिक अधिकारों एवं जनतंत्र का दमन रोकने, विरोध की आवाज उठाने वालों को जेल से रिहा करने, हर व्यक्ति को 7500 रूपये कैश एवं दस किलो अनाज मुफ्फत में देने, बिजली निजीकरण रोकने एवं बिल माफ करने, गरीब छात्रों के लिए आनलाइन पढ़ाई की सरकारी व्यवस्था करने एवं मनरेगा में 200 दिनों तक काम देने की मांग की।

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प्रमुख वक्ताओं में - माकपा प्रदेश सचिव डा0 हीरालाल यादव, सीपीआई के राज्य कार्यकारिणी सदस्य का फूलचंद यादव, राधेश्याम मौर्य, भाकपा माले प्रदेश सचिव सुधाकर यादव, लोकतांत्रिक जनता दल प्रदेश अध्यक्ष जुबैर अहमद कुरैशी, बाबर, सीटू प्रदेश महासचिव प्रेमनाथ राय, जनवादी महिला समिति नेता मधु गर्ग, रमेश सिंह सेंगर, एटक के महेन्द्र राय शामिल रहे।

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