सपा के मुस्लिम वोट बैंक पर माया की निगाहें, पार्टी संगठन में किया ये बड़ा बदलाव
बसपा के पूर्व राज्यसभा सांसद मुनकाद अली को बसपा का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। जबकि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे आरएस कुशवाहा को बसपा की केंद्रीय इकाई का महासचिव बना दिया है। मायावती ने इन दोनों पदाधिकारियों से पूर्व का कार्यभार सौंपने के बाद, नई जिम्मेदारी संभालने को कहा है।
मनीष श्रीवास्तव
लखनऊ: इस साल हुये लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ कर लोकसभा में अपनी सीटों की संख्या शून्य से बढ़ा कर 10 तक पहुंचाने वाली बहुजन समाज पार्टी ने अब समाजवादी पार्टी के मुस्लिम वोट बैक पर निगाहें गड़ा दी है।
बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमों मायावती ने बुधवार को पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई में फेरबदल करते हुये जातीय समीकरणों को साधने की शुरूआत कर दी हैं।
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मुनकाद अली को बसपा का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया
बसपा के पूर्व राज्यसभा सांसद मुनकाद अली को बसपा का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। जबकि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे आरएस कुशवाहा को बसपा की केंद्रीय इकाई का महासचिव बना दिया है। मायावती ने इन दोनों पदाधिकारियों से पूर्व का कार्यभार सौंपने के बाद, नई जिम्मेदारी संभालने को कहा है।
मायावती ने लोकसभा में बसपा संसदीय दल के नेता दानिश अली को हटा कर उनकी जगह पिछड़े वर्ग से जौनपुर के लोकसभा सांसद श्याम सिंह यादव को लोकसभा में पार्टी के संसदीय दल का नेता बनाया है। जबकि अंबेडकर नगर सांसद रितेश पाण्डेय को लोकसभा में उप नेता बना दिया गया है। बसपा सुप्रीमों ने लोकसभा सांसद गिरीश चंद्र जाटव को लोकसभा में चीफ व्हिप के पद पर यथावत रखा है।
2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा का खाता भी नहीं खुल पाया था
दरअसल, इसी साल हुये लोकसभा चुनाव में सपा से गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरी बसपा को लोकसभा में 10 सीटों पर सफलता मिली थी। जबकि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा का खाता भी नहीं खुल पाया था। ऐसे में तमाम समीकरणों को देखते हुये मायावती ने अब जातीय समीकरणों को साधने की कवायद शुरू कर दी है।
यूपी में करीब 19 प्रतिशत मुस्लिम वोट तथा पिछडे़ वर्ग का करीब 40 प्रतिशत वोट है, जिसमे यादव वोट 10 प्रतिशत है। जबकि बसपा का परम्परागत वोट माना जाने वाला दलित वोट बैंक 21 प्रतिशत है। कुल मिलाकर करीब 40 प्रतिशत इस वोट बैंक पर मायावती की नजर है।
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इन सीटों पर मुस्लिम-यादव और दलित वोट 60 प्रतिशत से ज्यादा है
यूपी में आजमगढ़, घोसी, डुमरियागंज, फिरोजाबाद, जौनपुर, अंबेडकरनगर, भदोही, बिजनौर, मोहनलालगंज और सीतापुर की 10 लोकसभा सीटे ऐसी है जहां मुस्लिम-यादव और दलित वोट 60 प्रतिशत से ज्यादा है। 47 लोकसभा सीटों पर यह जातीय समीकरण 50 प्रतिशत से ज्यादा है। सी-वोटर के मुताबिक यूपी की हर लोकसभा सीट पर इस समीकरण के वोटों को प्रतिशत 40 से ज्यादा है।
वर्ष 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ी सपा को 47 विधानसभा सीटों पर तथा अकेले ही चुनाव मैदान में उतरने वाली बसपा को 19 विधानसभा सीटों पर ही सफलता मिली थी। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन होने से बसपा 65 विधानसभा क्षेत्रों में सबसे आगे थी, जबकि सपा केवल 40 विधानसभा क्षेत्रों में आगे थी।
जाहिर है कि अगर बसपा सुप्रीमों मुस्लिम और यादव मतो को अपने पाले में करने में कामयाब रहती है तो उनके विधायको की संख्या में बढ़त हो सकती है। यही कारण है कि इस वर्ष हुये लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद बसपा सुप्रीमों का सारा फोकस उन समुदायों और जातियों पर है जो भाजपा के पाले में जाने से हिचकते है।
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यूपी में मुस्लिम वोट उसी पार्टी को जाता है जो भाजपा को हराने का बूता रखता हो
प्रदेश में मुस्लिम वोट बैंक ऐसा माना जाता है जो भाजपा के पक्ष में जाने से परहेज करता है। लोकसभा चुनाव 2019 में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुस्लिम बहुल सीटों पर बसपा को मिली कामयाबी को देखते हुये मायावती का मानना है कि लोकसभा चुनाव में केवल पांच सीटों पर सिमटी समाजवादी पार्टी के खेमे से अब मुस्लिम वोट को आसानी से ट्रांसफर कराया जा सकता है। मायावती जानती है कि यूपी में मुस्लिम वोट उसी पार्टी को जाता है जो भाजपा को हराने का बूता रखता हो। ऐसे मे मुस्लिम प्रदेश अध्यक्ष बना कर मायावती ने बसपा के दरवाजे मुसलमानों के लिए खोलते हुये साफ संदेश दे दिया है कि केवल बसपा ही भाजपा को टक्कर दे सकती है।
मायावती ने मुस्लिम-यादव-दलित समीकरण बनाने के लिए लोकसभा में संसदीय दल का नेता श्याम सिंह यादव को बनाया है। जबकि वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनवाने वाले ब्राहम्ण वोट को साधने के लिए रितेश पाण्डेय को लोकसभा में बसपा का उपनेता बनाया है।