Lucknow News: लखनऊ नगर निगम ने मेट्रो को भेजा 8 करोड़ का बिल, मेट्रो का जमा करने से इनकार

Lucknow News: नगर निगम प्रशासन के मुताबिक शासन से मेट्रो को 5 साल की छूट मिली थी जो अब पूरी हो गई है, अब लखनऊ मेट्रो को कर देना पड़ेगा।

Update:2022-10-23 12:40 IST

Lucknow Metro (Pic: Social Media)

Lucknow News: नगर निगम अब मेट्रो से से भी गृह कर वसूल करेगा। नगर निगम प्रशासन के मुताबिक शासन से मेट्रो को 5 साल की छूट मिली थी वह मियाद पिछले साल ही पूरी हो गई है, अब उन्हें अपने सभी व्यवसायिक प्रतिष्ठानों आवासी कॉलोनियों और दफ्तरों का ग्रह कर देना होगा, जबकि मेट्रो प्रशासन ने गृह कर देने को तैयार नहीं है और इसे नगर निगम की गलत कार्रवाई बताया है। राजधानी लखनऊ में अभी अमौसी से मुंशीपुलिया तक 21 स्टेशनों के बीच मेट्रो का संचालन होता है। इन 21 स्टेशनों पर बने रेस्टोरेंट, पिज़्ज़ा-बर्गर सेंटर के साथ अन्य व्यवसायिक प्रतिष्ठानों से नगर निगम ने गृह कर वसूलने की तैयारी कर ली है। अब तक जो आंकड़े बताये गए हैं उसके मुताबिक करीब 8 करोड़ से अधिक का टैक्स बन रहा है। जिसकी लिस्ट मेट्रो प्रशासन ने तैयार कर ली है।

वहीं नगर निगम प्रशासन की इस कार्रवाई को मेट्रो प्रशासन गलत बता रहा है। उसके मुताबिक प्रदेश सरकार से जो मेट्रो का अनुबंध है उसमें टैक्स नहीं लगाया जाना है। 5 साल वाला कोई प्रतिबंध इसमें शामिल नहीं है। जबकि नगर निगम की ओर कहा गया है कि अगर मेट्रो गृह कर नहीं जमा करेगा तो उसका खाता सीज करने की तैयारी भी कर रहे हैं। यही नहीं नगर निगम प्रशासन मेट्रो स्टेशनों के अलावा उनके जो भी ऑफिस हैं या आवासीय कालोनियां हैं वहां पर भी हाउस टैक्स लगाने की तैयारी कर चुका है। लखनऊ में मेट्रो के संचालन को 5 साल पूरे हो चुके है। निगम के मुताबिक 5 साल तक मेट्रो को छूट दी गई थी उसके बाद अब उनसे ग्रह कर वसूला जाएगा। बात जोन 1 की करें तो केडी सिंह बाबू स्टेडियम से लेकर हुसैनगंज, हजरतगंज, सचिवालय स्टेशन पर करीब 1.54 करोड़ रुपए गृह कर बना है। जिसका बिल भी जारी कर दिया गया है। नगर निगम की इस कार्रवाई पर मेट्रो कंपनी सचिव पुष्पा गिलानी ने आपत्ति जताते हुए कर में छूट की मांग की है। पुष्पा बेलानी ने कहा है प्रदेश सरकार से जो मेट्रो का अनुबंध है उसमें टैक्स नहीं लगाया जाना। 5 साल वाला कोई प्रतिबंध नहीं है। ऐसे में मेट्रो पर लगाया गया टैक्स गलत है। गाजियाबाद का मामला अलग है क्योंकि वहां डीएमआरसी संचालन करती है।

मेट्रो प्रशासन की ओर से जारी बयान पर नगर निगम के मुख्य कर निर्धारण अधिकारी अशोक सिंह कहते हैं मेट्रो प्रशासन की आपत्ति का जवाब दे दिया गया है। शासन ने 5 साल की छूट दी थी जो दे दी गई है, यह पिछले साल ही पूरा हो गया है, अब टैक्स देना होगा। टैक्स नहीं देंगे तो सीलिंग कुर्की की कार्रवाई के तहत बैंक खाता सीज किया जाएगा। ऐसे में अब वित्तीय वर्ष 2022- 23 से टैक्स लगाया गया है। मेट्रो व्यवसायिक श्रेणी में आती है और गाजियाबाद नगर निगम मेट्रो से टैक्स लेता है। यहां मेट्रो ने पहले विवाद किया लेकिन बाद में टैक्स जमा किए। इसे लेकर समझौता भी हुआ है। उन्होंने बताया कि मेट्रो के पिलर पर विज्ञापन हो रहा है उसका ठेका भी उसने दिया है। 2 करोड़ से अधिक का प्रचार टैक्स वसूलने के लिए बिल जारी होगा।

घाटे में चल रही है लखनऊ मेट्रो

लखनऊ मेट्रो के वित्तीय रिकॉर्ड के मुताबिक बीते तीन वित्तीय वर्ष से ट्रेनों का संचालन घाटे में हो रहा है। वित्तीय वर्ष 2020-21 की रिपोर्ट के मुताबिक लखनऊ मेट्रो के संचालन से यूपीएमआरसी को 329 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। इससे पहले 2019-20 में 251.51 करोड़ और 2018-19 में 72.11 करोड़ रुपये का घाटा मेट्रो को हुआ। 

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