Lucknow News: नशे के अवैध कारोबार में महिलाओं के साथ अब बच्चों ने संभाली कमान

Lucknow News: राजधानी लखनऊ स्थित थाना आलमबाग इन दिनों मादक पदार्थो की बिक्री का गढ़ बना हुआ है। थाना क्षेत्र में चरस, गांजा और स्मैक की बिक्री धड़ल्ले से जारी है। न्यूजट्रैक की टीम ने सच्चाई जानने के लिए इलाके में जाकर पड़ताल की है, देखें रिपोर्ट-

Report :  Sandeep Mishra
Published By :  Satyabha
Update: 2021-07-06 11:46 GMT

Lucknow News: राजधानी लखनऊ स्थित थाना आलमबाग इन दिनों मादक पदार्थो की बिक्री का गढ़ बना हुआ है। थाना क्षेत्र में चरस, गांजा और स्मैक की बिक्री धड़ल्ले से जारी है। हैरान करने वाली बात यह है कि इलाके में जहरीले मादक पदार्थ का कारोबार थाना आलमबाग पुलिस की सांठगांठ से चल रहा है। गांजा विक्रेता एक महिला ने बताया कि थाना आलमबाग व मवैया क्रॉसिंग चौकी पुलिस से उसकी सीधी सैटिंग हैं।

इस मामले की जानकारी होते ही न्यूजट्रैक की टीम खुफिया कैमरे के साथ थाना आलमबाग इलाके की इस मवैया क्रॉसिंग बस्ती की हकीकत जानने के लिये पहुंची। मादक पदार्थों की बिक्री के लिये मशहूर यह मवैया बस्ती रेलवे के स्पोर्ट्स स्टडियम व रेलवे क्रॉसिंग के बीच में बसी है। इस बस्ती में रहने वाले निम्न वर्ग के परिवारों की महिलाएं व छोटे-छोटे बच्चे तक गांजा, चरस, स्मैक की सप्लाई करते हैं। इन परिवारों के मुखिया लखनऊ शहर के लिस्टिड नशा माफियाओ से चरस, गांजा व स्मैक की खेप इस बस्ती में पहुंचाने का काम कर रहे है।


बरामद हुआ गांजा (फोटो न्यूजट्रैक)


मवैया बस्ती वासियों में नहीं है पुलिस का खौफ

थाना आलमबाग इलाके में बसी नशाखोरों की इस मवैया बस्ती में पुलिस का तो कोई खौफ है ही नहीं। न्यूजट्रैक टीम इस बस्ती में एक अनजान चेहरा थी, लेकिन इसके बावजूद इस बस्ती में नशा का कारोबार करने वाले परिवार हम से कतई नहीं डरे।बल्कि हमे नशे का ग्राहक समझ कर तत्काल हमसे पूंछने लगे कि कौन सा नशा चाहिए? जांच पड़ताल करने पर टीम को यह पता चला कि आम ग्राहकों को नशे की इस बस्ती में गांजा की 5 ग्राम की पुड़िया 50 रुपये, स्मैक की एक ग्राम की पुड़िया 100 -150 रुपये और चरस की दो ग्राम की एक गोट (पुड़िया) 100 रुपये में आसानी से प्राप्त हो रही है। इतना ही नहीं, अगर आपकी जेब गर्म है तो इस नशे की बस्ती में ग्राहकों को उनके ही घर मे बैठ कर नशा करने की भी सुविधा मिलती हैं।

इंस्पेक्टर व चौकी इंचार्ज का रोल आया सामने

अगर आपका नशे में उड़ने का मन है तो इस नशे की बस्ती में धन की दम पर चमड़े का जहाज उड़ाने की भी सम्पूर्ण सुविधा है। चमड़े के जहाज उड़ाने के लिये यहां उम्र के हिसाब से रेट फिक्स हैं। कुरदेने पर मवैया बस्ती में कुछ धाकड़ टाइप नशा एजेंटों ने बताया कि थाना आलमबाग इंस्पेक्टर व मवैया क्रॉसिंग पुलिस चौकी इंचार्ज से उनकी सीधी सैटिंग है। इस अवैध कारोबार को बस्ती में संचालित करने के एवज में पुलिस अधिकारियों को हर माह उनका सुविधा शुल्क पहुंचा दिया जाता है। इसी वजह से स्थानीय थाना व चौकी पुलिस इस बस्ती में आती तो है, लेकिन नशे के कारोबारियों को गिरफ्तार करने के लिये नहीं बल्कि अपने आवभगत के लिये।



नशे का बाजार बना यूपी, दिल्ली व राजस्थान

सूबे की राजधानी समेत कानपुर नगर, कानपुर देहात, औरैया, इटावा, फर्रुखाबाद, कन्नौज, एटा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, आगरा समेत देश की राजधानी दिल्ली व राजस्थान प्रान्त नशे के बड़े बाजार के रूप में तब्दील हो गए हैं। इन स्थानों में बिहार, उड़ीसा व छतीसगढ़ प्रान्तों से गांजा सप्लाई किया जा रहा है। नशा माफियाओं के खिलाफ सूबे की राजधानी लखनऊ समेत अन्य जनपदों में एसटीएफ (Special Task Force) व विभिन्न जनपदों की पुलिस ने अब तक जो भी बड़ी कार्रवाई की है, वे इस बात के प्रमाण हैं कि लखनऊ से लेकर पश्चिमी यूपी के जिले नशे के कारोबार के प्रमुख बाजार बन रहे हैं।

इन जिलों में पकड़ी गई थी नशे की खेप

10 जून 2021 को इटावा में पुलिस 510 किलो गांजे की खेप के साथ शहर के टिक्सी महादेव मन्दिर से 7 तस्करों को गिरफ्तार किया था। बरामद गांजा गिरफ्तार तस्कर मैनपुरी इटावा, आगरा व मथुरा में सप्लाई के लिये ले जा रहे थे। इसी तारीख में फर्रुखाबाद पुलिस ने भी एक कुन्तल गांजे की खेप के साथ 4 लोगों को गिरफ्तार किया था। पकड़े गए तस्कर बरामद गांजा देश की राजधानी दिल्ली, हरियाणा व राजस्थान में बिक्री हेतु सप्लाई के लिये ले जा रहे थे। 14 जून 2021को कानपुर पुलिस ने 34.56 किलो गांजे की खेप के साथ हमीरपुर के तीन तस्करों को गिरफ्तार किया था। ये चारों तस्कर बरामद गांजा चकेरी, सनिगवां, जाजमऊ, नोबस्ता बाईपास, बर्रा-8, जरौली, किदवई नगर समेत कई स्थानों में सप्लाई के लिए ले जा रहे थे।

छात्रों को सप्लाई किए जाते हैं मादक पदार्थ

ऐसे ही 18 मार्च 2021 को एसटीएफ व कानपुर पुलिस ने एक कुन्तल गांजे की खेप के साथ तीन तस्करों को गिरफ्तार किया था। पकड़े गए इन तस्करों ने पुलिस व एसटीएफ को बताया कि वे इस गांजे की खेप को कानपुर नगर, कानपुर देहात, कन्नौज व उसके आसपास के जनपदो में सप्लाई करने जा रहे थे। 31 जून 2021 को एसटीएफ लखनऊ ने छह किलो गांजा व चार किलो चरस की खेप के साथ 3 तस्करों को गिरफ्तार किया था। ये तस्कर निजी विश्वविद्यालय व अन्य कॉलेज के स्टूडेंट को यह गांजा व चरस सप्लाई करने के लिये लाये थे। अभी कोरोना काल में विश्वविद्यालय व कॉलेज तो बन्द हैं, इसलिये यह गांजा व चरस हॉस्टल में रह रहे स्टूडेंट को सप्लाई किया जाना था।

नशे के कारोबार का नेटवर्क

देश की युवा पीढ़ी को बर्बाद कर रहे चरस, गांजा, स्मैक के इस जहरीले कारोबार में ज्यादातर सफेदपोश माफिया व ईनामी अपराधी शामिल हैं। बिहार, उड़ीसा, छतीसगढ़ जैसे प्रान्तों से उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान और महाराष्ट्र (मुख्य रूप से मुम्बई शहर), हरियाणा में चरस, गांजा व स्मैक की सप्लाई के काम में ये सफेदपोश माफिया व हिस्ट्रीशीटर अपराधी उन लोगों को भी शामिल रखते हैं जो मजदूर तबके के लोग शहरों में जॉब की तलाश में आते हैं। इसके साथ नशे के सफेदपोश व हिस्ट्रीशीटर माफिया अपने इस अवैध कारोबार में शिक्षित बेरोजगारों का भी खूब इस्तेमाल कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, चरस, गांजा व स्मैक की सप्लाई में ऐसे वाहनों का प्रयोग किया जा रहा है जो चेकिंग के समय पुलिस को किसी सरकारी विभाग की डिलीवरी वैन के रूप में नजर आते हैं। जिस वाहन से ये मादक द्रव्य सप्लाई किये जा रहे हैं उन वाहनों के आगे पीछे भी नशा माफिआयों के गुर्गे रेकी करते हैं।

युवाओं को बर्बाद करने की आतंकी साजिश

एक आंकलन के मुताबिक, सन् 1989 के बाद से सूबे में चरस, गांजा, अफीम व स्मैक के कारोबार में गुणात्मक बढ़ोत्तरी हुई है। ऐसा नही है कि 1989 से पहले चरस, गांजा, स्मैक और अफीम की उत्तर प्रदेश व देश के अन्य हिस्सों में बिक्री नहीं होती थी। लेकिन 1989 के बाद से सूबे के कुछ सफेदपोश लोगों ने अधिक धन बनाने के लालच में नशे के कारोबार को अपनी काली कमाई का मुख्य जरिया बना लिया। 19 89 के बाद से इस अवैध कारोबार को अप्रत्यक्ष राजनैतिक संरक्षण मिलने लगा था।तब से यह नशे का कारोबार खास तौर से लखनऊ समेत अन्य जनपदों में काफी अच्छे तरीके से फल फूल रहा है। कुछ जानकार लोगों का मानना है कि डी कम्पनी व पकिस्तान समर्थक आतंकी संगठनों की सरपरस्ती में देश में नशे के कारोबारी शामिल हैं। जिनका सिर्फ एक ही मकसद है भारत की युवा पीढ़ी व फोर्स सेवाओं से जुड़े लोगों को बर्बाद करना। एक आंकलन मुताबिक, उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा से जुड़े लोग भी इस समय चरस, गांजा, स्मैक के आदी होते जा रहे हैं। यह स्थिति बेहद चिंताजनक है।

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