Retinoblastoma week in KGMU: 5 साल से कम बच्चों में होता है ये कैंसर, बीते दो दशकों में 250 को मिली निजात

Retinoblastoma week in KGMU: प्रौस्थोडॉन्टिक्स विभाग के डॉक्टर रघुवर दयाल सिंह ने जानकारी दी कि इलाज के उपरांत कैंसर खत्म होने के बाद आंख में विकृति होने पर, कृतिम आंख से सुधारा जाता है।

Report :  Shashwat Mishra
Published By :  Rakesh Mishra
Update:2022-05-10 18:27 IST

Retinoblastoma week celebrated in KGMU (photo credit-Newstrack) 

Retinoblastoma week in KGMU: राजधानी के किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्विद्यालय (KGMU) के नेत्र विभाग में रेटिनोब्लास्टोमा सप्ताह मनाया गया। जनमानस में जागरूकता हेतु मंगलवार को नेत्र विभाग में कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल (डॉ0) बिपिन पुरी की उपस्थिति में कैंसर से संबंधित जानकारी कार्यक्रम के माध्यम से उपलब्ध कराई गई। कुलपति ने आश्वासन दिया कि रेटिनोब्लास्टोमा से पीड़ित आँख के कैंसर के बच्चों को यथासंभव सहायता एवं इलाज के लिये केजीएमयू प्रतिबद्ध है। इस मौके पर नेत्र विभाग की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अपजीत कौर ने उपस्थित सभी लोगों को बताया कि रेटिनोब्लस्टोमा (आँख का कैंसर) के मरीजों में इलाज के उपरांत पुनर्वास का क्या महत्व है। 


250 से ज़्यादा बच्चों को मिली है निजात

नेत्र विभाग के डॉक्टर संजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि केजीएमयू कैंसर के क्षेत्र में पिछले दो दशकों से अग्रणी रहा है और लगभग 250 रेटिनोब्लस्टोमा (आँख का कैंसर) से ज्यादा बच्चे इस आँख कैंसर रोग से निजात दिला चुका है। उन्होंने बताया कि रेटिनोब्लास्टोमा 5 साल से कम उम्र के बच्चों के आंख के पर्दे में होने वाला कैंसर को कहते है, जिसकी पहचान जल्दी होने से ही इसका इलाज की सफलता निश्चित होती है।


रेटिनोब्लास्टोमा के लक्षण?

बाल रोग विभाग के डॉ निशांत वर्मा ने बताया यदि 5 साल से छोटे बच्चों की आंख में भैगापन हो या आंख की पुतली में सफेद चमक दिखाई दे, तो यह रेटिनोब्लास्टोमा (आँख का कैंसर) के प्रारंभिक लक्षण हो सकता है। ऐसे में नेत्र विशेषज्ञ से राय लेना बेहद जरूरी है। कैंसर की बीमारी बढ़ जाने पर रोगी की जान जाने की अत्यधिक संभावना होती है। अतः इन लक्षणों से साधारण जनमानस को अवगत कराने के लिए साल में एक बार रेटिनोब्लास्टोमा सप्ताह मई के दूसरे सप्ताह में मनाया जाता है।

कृतिम आंख लगाई जा सकती है

प्रौस्थोडॉन्टिक्स विभाग के डॉक्टर रघुवर दयाल सिंह ने जानकारी दी कि इलाज के उपरांत कैंसर खत्म होने के बाद आंख में विकृति होने पर, कृतिम आंख से सुधारा जाता है। यह कृतिम आंख, केजीएमयू में कैंसर पीड़ित रोगियों को उत्कृष्ट आँख की सुविधा नि:शुल्क प्रदान की जाती है। इसमें रोगियों को माप एवं कृतिम आंख की जांच के लिए मात्र तीन बार ही आना पड़ता है।

कॅनकिड्स संस्था करती है मदद

डॉ पुष्पा भाटिया, कॅनकिड्स संस्था, लखनऊ शाखा की संचालक हैं। इन्होंने कैनकिड्स संस्था के द्वारा कैंसर ग्रस्त बच्चों के इलाज में आर्थिक, सामाजिक, मानसिक और शैक्षिक मदद की योगदान की जानकारी दी। उल्लेखनीय है कि कैनकिड्स संस्था मरीज को इलाज के दौरान ट्रांसपोर्टेशन, रेन बसेरा, दवाइयां व जांच में सहायता करती। जिसका उत्तर प्रदेश कैंसर हेल्प लाइन नम्बर: 09811284406 है।

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