Lucknow: कांग्रेस का BJP सरकार पर निशाना, 8 वर्षों में बुन्देलखंडियों की पहचान के साथ किया क्रूर मजाक

UP Politics: यूपी कांग्रेस के प्रवक्ता विकास श्रीवास्तव ने कहा कि मोदी सरकार ने पिछले 8 वर्षों में बुन्देलखंडियों की मूलभूत समस्या और ऐतिहासिक व सांस्कृतिक पहचान के साथ क्रूर मजाक किया है।

Update: 2022-07-17 17:39 GMT

कांग्रेस प्रवक्ता का BJP सरकार पर निशाना। 

UP Politics News: बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे (Bundelkhand Expressway) का उद्घाटन होने के बाद उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (UP Congress) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी की बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है। यूपी कांग्रेस के प्रवक्ता विकास श्रीवास्तव ने बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे के लिए प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने पिछले 8 वर्षों में बुन्देलखंडियों की मूलभूत समस्या और ऐतिहासिक व सांस्कृतिक पहचान के साथ क्रूर मजाक किया है।

आज प्यासा और बेरोजगार बुंदेलखंडी एक्सप्रेस-वे पर महंगे डीजल-पेट्रोल यातायात पर खर्च कर दिल्ली, लखनऊ एवं पंजाब जैसे शहरों में दिहाड़ी मजदूरी करने को मजबूर हैं। प्रधानमंत्री द्वारा सौंपे गये एक्सप्रेस-वे और औद्योगिक कॉरीडोर की परिकल्पना अपने मकसद को तभी अंजाम दे पायेगी जब बुन्देलखण्डवासी अपनी मूलभूत आवश्यकताओं, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को बचाये रखने के लिए अपने निजी जीवन में समृद्ध होंगे। मौजूदा विषम परिस्थितियां, पेयजल संकट, सिंचाई, शिक्षा, स्वास्थ्य, परम्परागत रोजगार, वित्तीय व प्रशासनिक सहयोग के बगैर एक्सप्रेस वे और औद्योगिक कॉरीडोर की परिकल्पना जनता को मूलभूत विषयों से विमुख करने का षड़यंत्र है।

'मनमोहन सिंह सरकार में बुन्देलखण्ड पैकेज के तहत शुरू में 7,466 करोड़ रुपये का आवंटन'

कांग्रेस प्रवक्ता विकास श्रीवास्तव (UP Congress spokesperson Vikas Srivastava) ने कहा कि बुंदेलखंड के मूलभूत विकास को लेकर तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार (Manmohan Singh Government) द्वारा बुन्देलखण्ड पैकेज के तहत शुरू में 7,466 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया, बाद में 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) के दौरान भी इसे जारी रखते हुए पिछड़ा क्षेत्र अनुदान कोष (बी.आर.जी.एफ.) के तहत इसके लिए 4,400 करोड़ रुपये और दिए गए। इस पैकेज का लक्ष्य जल-संबंधी योजनाओं के तहत बड़ी एवं छोटी सिंचाई परियोजनाओं का क्रियान्वयन, नए कुओं का निर्माण, पुराने कुओं, टैंकों एवं तालाबों का गहरीकरण, कुओं से पानी निकालने के लिए ए.डी.पी.ई. पाइप का वितरण, ट्यूबवेल, चेकडैमों का निर्माण तथा मृदा एवं जल संरक्षण संबंधी कार्य किए गए। राशि का ज्यादातर हिस्सा क्षेत्र की जल संबंधी समस्याओं का समाधान करने में व्यय किया जाना था। जिसमें से मध्य प्रदेश ने इस आवंटित राशि का 73 फीसदी और उत्तर प्रदेश ने 66 फीसदी ही इस दिशा में खर्च किया गया है।

मोदी सरकार की सरकारी भ्रष्टाचार और अकर्मण्यता का शिकार बन चुका है: कांग्रेस प्रवक्ता

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि निर्गत बुंदेलखंड पैकज विगत 8 वर्षों (वर्ष 2014 से 2022 तक) के दौरान सत्तासीन मोदी सरकार (Modi Government) की सरकारी भ्रष्टाचार और अकर्मण्यता का शिकार बन चुका है। निर्मित किसान मंडियां खुलने का इंतजार करते-करते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश से गौशाला में तब्दील हो गई। महंगी खाद की किल्लत व कालाबाजारी की मार से बुंदेलखंडी बुरी तरह त्रस्त हैं। परम्परागत दलहन की फसलों का उचित मूल्य नहीं मिलने से यहां का किसान लगातार आत्महत्या कर रहा है। अब किसान ज्यादा पानी वाली फसल धान व गेंहू इत्यादि बोने पर ज्यादा जोर दे रहा है, जिससे पहले से ही सूखा प्रभावित यह क्षेत्र अब एक अतिरिक्त जलसंकट की भयावह स्थिति की ओर बढ़ रहा है। बुंदेलखंड पैकेज का लक्ष्य सिंचाई, पेयजल, कृषि, पशुपालन क्षेत्रों में सुधार कर पूरे इलाके का मूलभूत विकास करना था। लेकिन इस पैकज के तहत 2012 से 2017 के बीच बनने वाला सिंचाई, पेयजलापूर्ति का मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर आज अपनी दयनीय स्थिति की कहानी खुद ही बयां कर रहा है।

उन्होंने बताया कि सामान्य नलकूप योजना के तहत बुंदेलखंड के हजारों किसानों ने इस्टीमेट के अनुसार बिजली कंपनियों को अपेक्षित धनराशि जमा कर दिया था। इस योजना के तहत प्रति नलकूप के प्रस्तावित बजट में 68 हजार रूपया सब्सिडी का धन बिजली कम्पनियों को राज्य सरकार से मिलना था, जिसे राज्य सरकार द्वारा बिजली कम्पनियों को आज तक मुहैया नहीं कराया गया है। जिससे किसानों को नलकूप योजना का लाभ मिलना तो दूर उनके द्वारा जमा की गयी धनराशि भी डूब गयी। इसके साथ ही बुन्देलखण्ड क्षेत्र के तमाम जनपदों में फसल बीमा की किस्त जमा कर चुके किसानों को बीमा का कोई लाभ नहीं मिला और बीमा कम्पनियां किसानों को करोड़ों रूपये का चूना लगाकर भाग गयी। ऐसी तमाम अनियमित्ताओं और भ्रष्टाचार के मामलों को बुन्देलखण्ड का किसान व आम नागरिक झेल रहा है और सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही।

बुन्देलखण्ड में पानी संकट से निपटने को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता ने घेरा

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि इस पैकेज के तहत पानी संकट से निपटने के लिए समूचे बुन्देलखण्ड में खोदे गए कुओं का आकलन करने के लिए खुद नीति आयोग की अगुवाई में टेरी (द एनर्जी एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट) द्वारा एक रिपोर्ट तैयार की गई। 2019 में आयी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सामान्य से कम बारिश होने की प्रवृत्ति और इनके भूजल स्तर को देखते हुए लंबे समय से इन कुओं की उपयोगिता सवालों के घेरे में है। बुंदेलखंड के तमाम जिलों से सरकारी रिकॉर्ड और रिपोर्टें सामने आई हैं कि प्रशासन ने इसके लिए हाइड्रोजियोलॉजिकल स्टर्डी नहीं कराई थी, जो इस बात को प्रमाणित कर सके कि जिस जगह पर कुएं खोदे गए हैं वह स्थान उचित है या नहीं। ऐसी ही नकारात्मक रिपोर्ट नीति आयोग ने चेकडैम को लेकर भी प्रस्तुत की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि गुणवत्ता और सही बनावट ना होने के चलते अधिकांश चेकडैम अपने मकसद को पूरा करने में असफल रहे हैं। स्थितियां स्पष्ट हैं इस पैकेज के तहत बनाया गया इंफ्रास्ट्रक्चर मेंटेनेंस और सुपरविजन के अभाव के साथ-साथ सरकारी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है। बुंदेलखंडवासियों को आज भी पेयजल संकट, सिंचाई और अपनी फसलों के उचित मूल्य जैसी तमाम सारी मूलभूत समस्याओं के लिए अपनी किस्मत का रोना पड़ रहा है। आज भी बुन्देलखण्ड का युवा, किसान बडे़-बड़े महानगरों और अन्य प्रान्तों में जाकर मजदूरी करके अपनी गुजर-बसर करने को मजबूर हो रहे हैं।

बुंदेलखंड भारत का वह मध्य भाग है, जिसमें उत्तर प्रदेश के 7 और मध्य प्रदेश के 6 जिले शामिल हैं। प्राकृतिक संसाधनों का भंडारण होने के बावजूद यह समूचा क्षेत्र देश के सबसे पिछड़े 200 जिलों में शामिल है और पानी की भयंकर समस्या और बेरोजगारी से जूझ रहा है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी बुंदेलखंड के अपने दो दिवसीय दौरे में 26000 करोड़ की हवा हवाई घोषणाओं के दम पर पुनः सत्ता हासिल कर ली। परंतु मौजूदा वित्तीय वर्ष के बजट में बुंदेलखंड और पूर्वांचल को मिलाकर मात्र 700 करोड़ का धन ही यहां के विकास कार्यो हेतु आवंटित किया गया, जो ऊँट के मुँह में जीरे के बराबर है।

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