प्रियंका का योगी को पत्र: कहा उम्मीद है सीएम देंगे संवेदनशीलता का परिचय
प्रियंका ने पत्र में कहा है कि उन्हे उम्मीद है कि मुख्यमंत्री योगी अपनी संवेदनशीलता का परिचय देते हुए डॉ कफील को न्याय दिलवाने का पूरा प्रयास करेंगे।
लखनऊ: कांग्रेस महासचिव व यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने एक बार फिर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है। अपने पत्र में कांग्रेस महासचिव ने मुख्यमंत्री से संवेदनशीलता बरतते हुए डॉ कफील के साथ न्याय करने की अपील की है। प्रियंका ने अपने पत्र में गुरू गोरखनाथ के सबद का भी उल्लेख किया है।
प्रियंका ने सीएम योगी को पत्र लिख कर की न्याय की अपील
प्रियंका गांधी ने गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र में लिखा है कि वह डॉक्टर कफील खान का मामला आपके संज्ञान में लाना चाहती हैं। जो अब तक लगभग 450 दिन से ज्यादा जेल में गुजार चुके हैं। प्रियंका ने लिखा है कि डॉ कफील ने कठिन परिस्थितियों में निस्वार्थ भाव से लोगों की सेवा की है। उन्होंने पत्र में कहा है कि उन्हे उम्मीद है कि मुख्यमंत्री योगी अपनी संवेदनशीलता का परिचय देते हुए डॉ कफील को न्याय दिलवाने का पूरा प्रयास करेंगे।
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पत्र के अंत में कांग्रेस महासचिव ने गुरु गोरखनाथ की सबद का हवाला देते हुए लिखा है कि आपको मेरे इस निवेदन को मानने के लिए ये पंक्तियां प्रेरित करेगी। प्रियंका ने पत्र का अंत इस संदेश से किया है- मन में रहिणाँ, भेद न कहिणाँ, बोलिबा अमृत वाणी,अगिला अगनी होईबा,हे अवधू तौ आपण होईबा पाणीं। जिसका अर्थ है कि किसी से भेद न करो, मीठी वाणी बोलो। यदि सामने वाला आग बनकर जला रहा है तो हे योगी तुम पानी बनकर उसे शांत करो।
यूपी की कानून व्यवस्था को लेकर भी प्रियंका लिख चुकी हैं पत्र
इससे पहले बीते मंगलवार को भी कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिख कर यूपी में हुई अपहरण और हत्याओं की घटनाओं का जिक्र करते हुए यूपी की कानून व्यवस्था को ठीक करने का अनुरोध किया था। प्रियंका ने कहा था कि यूपी में बढ़ते अपराधों से यूपी की जनता परेशान है। इसके साथ ही प्रियंका ने गाजियाबाद के गुमशुदा एक व्यवसायी के मामलें में मुख्यमंत्री योगी से मदद का अनुरोध भी किया था।
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बता दें कि वर्ष 2017 के अगस्त माह में गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में अचानक ऑक्सीजन की सप्लाई खत्म होने से आईसीयू विभाग में भर्ती कई नवजात और बच्चों की जान चली गई थी। उस वक्त डा. कफील अस्पताल में ड्यूटी पर थे और उन्हे इस मामलें में विभागीय लापरवाही और भ्रष्टाचार के मामले में निलंबित कर दिया गया था, और जेल भेज दिया गया था।