LU शताब्दी समारोह: कुमार विश्वास ने जीता लोगों का दिल, सुनाई वाजपेयी की कविताएं
लखनऊ विश्वविद्यालय शताब्दी समारोह के पांचवे दिवस की संध्या में हिंदी के प्रसिद्ध गीतकार कुमार विश्वास की कविताओं ने सभी को दीवाना बना दिया। उन्होंने अपनी कविताओं के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की रचनाएं सुनाकर पर लोगों को तालियां बजाने के लिए मजबूर कर दिया।
लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय शताब्दी समारोह के पांचवे दिवस की संध्या में हिंदी के प्रसिद्ध गीतकार कुमार विश्वास की कविताओं ने सभी को दीवाना बना दिया। उन्होंने अपनी कविताओं के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की रचनाएं सुनाकर पर लोगों को तालियां बजाने के लिए मजबूर कर दिया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम में कवि डॉक्टर कुमार विश्वास
सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत कला संकाय के प्रांगण में सुप्रसिद्ध कवि डॉक्टर कुमार विश्वास का कार्यक्रम शुरू होने से पहले ही परिसर में भीड़ इकट्ठा होने लगी थी । कुमार विश्वास का कार्यक्रम शुरू होने से पहले युवा कवि एवं विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र पंकज प्रसून ने कोरोना के परिपेक्ष्य में कुछ छोटी पंक्तियों का वाचन किया। साथ साथ उन्होंने मशहूर शायर मरहूम राहत इंदौरी साहब का एक शेर भी सुनाया। इसके अलावा उन्होंने लखनऊ के संस्कृति से सम्बंधित कुछ रोचक पंक्तियाँ सुनाई।
डॉक्टर नील कंठ तिवारी को किया सम्मानित
पर्यटन और संस्कृति राज्य मंत्री डॉक्टर नील कंठ तिवारी के साथ कुलपति प्रोफेसर अलोक कुमार राय और कवि कुमार विश्वास से कला संकाय के प्रांगण में प्रवेश किया। मंत्री और कुलपति ने दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम की शुरुआत की। इस मौके पर कुलपति ने राज्य मंत्री डॉक्टर नील कंठ तिवारी को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।
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"गोमती का मचलता ये पानी भी है " पंक्तियों से शुरुआत कर डॉक्टर विश्वास ने लखनऊ शहर के खूबियों को संकलित कर सम्पूर्ण माहौल में उत्साह का संचार कर दिया। "जवानी में कई ग़ज़लें अधूरी छूट जाती हैं " का भी उन्होंने वाचन किया। तत्पश्चात उन्होंने सम्पूर्ण राष्ट्र के ह्रदय सम्राट दिवंगत आदरणीय अटल बिहारी वाजपई को स्मरण किया। इसके बाद उन्होंने अटल जी की सुप्रसिद्ध कविता "गीत नया गाता हूँ " सुनाया। फिर उन्होंने "हार नहीं मानूंगा, गीत नया गाता हूँ " भी सुना कर युवाओं में जोश भर दिया।
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डॉक्टर विश्वास ने इन कविताओं से लोगों का दिल जीता
डॉक्टर विश्वास ने "ये तेरा दिल समझता है", "मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है " जैसी कवितायेँ भी सुनाई। "पराएँ आंसुओं से आंखे नम कर रहा हूँ मैं ", "इस अधूरी जवानी का क्या फायदा, बिन कथानक कहानी का क्या फायदा" "वक्त के क्रूर कल का भरोसा नहीं, आज जी लो कल का भरोसा नहीं " "ताल को ताल की झंकृति तो मिले, रूप को भाव की आकृति तो मिले ", "अगर देश पर प्रश्न आये तो अपने आप के खिलाफ बोलो अपने बाप के खिलाफ बोलो"। उन्होंने कश्मीर पर "ऋषि की कश्यप की तपस्या ने तपाया है तुझे, ऋषि अगस्त ने हम वार बननाया है तुझ, मेरे कश्मीर मेरी जान मेरे प्यारे चमन " कविता सुना कर सम्पूर्ण श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया तथा समस्त श्रोताओं में देश भक्ति का संचार कर दिया।
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कार्यक्रम की समाप्ति पर कुलपति ने कुमार विश्वास को विश्वविद्यालय प्रांगण में आगमन तथा ओजस्वी प्रस्तुति के लिए समस्त विश्वविद्यालय परिवार की तरफ से धन्यवाद ज्ञापित किया और डॉक्टर विश्वास को स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर राकेश चंद्रा ने किया। इन मनोरम प्रस्तुति के समय विश्वविद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक, छात्र एवं मीडिया के प्रतिनिधि मौजूद थे।