Lucknow University: प्रो सूर्य प्रकाश दीक्षित बोले, भारतीय भाषाओं में रोजगार के अवसर पैदा करने चाहिए
Lucknow University: एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी लखनऊ विश्वविद्यालय के समाज शास्त्र विभाग के राधा कमल मुखर्जी हाल में आयोजित की गई।
Lucknow University: लखनऊ विश्वविद्यालय के शिक्षा शास्त्र विभाग और भारतीय भाषा समिति, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के संयुक्त तत्वाधान में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी विश्वविद्यालय के समाज शास्त्र विभाग के राधा कमल मुखर्जी हाल में आयोजित की गई। संगोष्ठी का विषय भारतीय भाषाओं के माध्यम से उच्च शिक्षा में चुनौतियां एवं अवसर था। संगोष्ठी के समन्वयन डॉ. अर्पणा गोडबोले व डॉ. आकांक्षा सिंह थे।
बच्चों को शुरुआती शिक्षा मातृभाषा में दिया जाना चाहिए: प्रो तृप्ता त्रिवेदी
कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में शिक्षा शास्त्र विभाग की अध्यक्ष प्रो तृप्ता त्रिवेदी द्वारा सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया गया। उन्होंने कहा कि बच्चों को प्राथमिक शिक्षा उनकी मातृभाषा में ही दिया जाना चाहिए। अपने देश की बोली भाषा कल्चर को बढ़ाएं विकसित करें और लोगों तक पहुंचाएं। इस अवसर पर हिंदी एवं आधुनिक भाषा विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. योगेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि समय आ गया है, उच्च शिक्षा हिन्दी माध्यम में शुरू हो।
प्राथमिक शिक्षा क्षेत्रीय भाषा में करना आसान: प्रो. केडी सिंह
प्रो. केडी सिंह ने अपने विचार रखते हुए कहा कि इस समय यह एक ज्वलंत समस्या है। उन्होंने कहा कि प्राथमिक शिक्षा क्षेत्रीय भाषा में करना आसान है। लेकिन उच्च शिक्षा में क्षेत्रीय या मात्र भाषा में करना मुश्किल। मात्र भाषा में सभी विषय से संबंधित जानकारी नहीं मिल पाती है। उन्होंने कहा की कई ऐसे देश हैं, जो अपने मात्र भाषा में उच्च शिक्षा दे रहे हैं और समृद्ध हैं। हमें भी इस दिशा में अग्रसर होना पड़ेगा। प्रो सिंह ने कहा कि हमें अंतरावलोकन और आत्मचिंतन की जरूरत है।
75 साल के बाद एक अच्छी पहल शुरू हुई: प्रो. सूर्य प्रकाश दीक्षित
मुख्य वक्ता प्रो. सूर्य प्रकाश दीक्षित ने बताया कि 75 साल के बाद एक अच्छी पहल शुरू हुई है। नयी शिक्षा नीति के माध्यम से मात्र भाषा मजबूत होगी। हर जीवित भाषा की कुछ विशेषता होती हैं। बोलचाल में उसका प्रयोग होता है। उसका साहित्य हो , उसका संचार व सोशल मीडिया में प्रयोग होता हो , शिक्षा में सहायक हो , वैश्विक ज्ञान में वृद्धि करे। भारत भाषा बहुल राष्ट्र है। भाषा व बोली को संरक्षित करने का प्रयास होना चाहिए। मौलिक चिंतन हमेशा अपनी ही भाषा में आता है। किसी भी भाषा के लिए उसका मानक उच्चारण, लिपि, व्याकरण एवं वर्तनी होनी चाहिए। यह सराहनीय है कि इस तरह की संगोष्ठी आयोजित हो रही है।
हमारी भाषा ही हमारी ज्ञान व परंपरा की होते हैं वाहक
इससे पहले कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में डॉ आकांक्षा सिंह सह आचार्य शिक्षा शास्त्र विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय ने संगोष्ठी का उद्देश्य प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि हमारी भाषा ही हमारी ज्ञान व परंपरा की वाहक होती हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारती ज्ञान व परंपरा की बात करती है। भारतीय ज्ञान वह परंपरा को संरक्षित करने का काम करती है। जब स्थानीय भाषा में लोगों को शिक्षा प्राप्त होने लगेगा तो उन्हें ज्ञान अर्जन में सुगमता होगी। नहीं तो उनकी ज्यादातर क्षमता भाषा सीखने में ही निकल जाती है और वे अच्छे से ज्ञानार्जन नहीं कर पाते हैं। भाषा हमारे विचारों को पोशाक देती है। भाषा में हमारे जीवन दर्शन और ज्ञान सब समाहित होते हैं।
संगोष्ठी में आये विचारों से भारतीय भाषाओं मे कार्य करने की मिलती है प्रेरणा
कार्यक्रम के अंत में संगोष्ठी की समन्वयन डॉ अर्पणा गोडबोले ने मुख्य अतिथियों समेत सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद दिया। डॉ गोडबोले ने कहा कि संगोष्ठी में आये विचारों से भारतीय भाषाओं मे कार्य करने की प्रेरणा मिलती है। ऐसी संगोष्ठियों का आयोजन आगे भी जारी रहना चाहिए। समापन सत्र की अध्यक्षता पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष प्रो मुकुल श्रीवास्तव ने की और प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए। कार्यक्रम का संचालन अर्चना पाल ने किया।