Lucknow Zoo: लखनऊ चिड़ियाघर का बदला पता, जानिए क्या होगा अब इसकी ऐतिहासिक इमारतों का

Lucknow Zoo: लखनऊ के नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान का अब पता बदलने जा रहा है। इसे कुकरैल क्षेत्र में शिफ्ट किया जाएगा। ध्वनि और वायु प्रदूषण समेत अन्य कारणों की वजह से चिड़िया घर को कुकरैल शिफ्ट किया जा रहा है।

Update:2023-04-18 22:18 IST
नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान, लखनऊ: Photo- Newstrack

Lucknow Zoo: लखनऊ के नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान का अब पता बदलने जा रहा है। इसे कुकरैल क्षेत्र में शिफ्ट किया जाएगा। ध्वनि और वायु प्रदूषण समेत अन्य कारणों की वजह से चिड़िया घर को कुकरैल शिफ्ट किया जा रहा है।

उत्तर प्रदेश की राजधानी में स्थित नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान को शिफ़्ट करने की तैयारी

वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान को शिफ्ट करने की तैयारियां जोरों पर चल रही है। लखनऊ चिड़ियाघर को अब गोमतीनगर से हटा कर कुकरैल में शिफ्ट किया जाएगा। यहाँ 150 एकड़ में चिड़ियाघर और 350 एकड़ में नाइट सफारी बनायी जाएगी।

लखनऊ चिड़िया घर शिफ्ट करने के कारण

लखनऊ चिड़ियाघर शिफ्ट करने का मुख्य कारण वायु व ध्वनि प्रदूषण माना जा रहा है। लखनऊ चिड़ियाघर के शहर के बीच में स्थित होने से गाड़ियों का आवागमन पूरे दिन बना रहता है जिससे वायु व ध्वनि प्रदूषण अधिक फैलता है। चिड़िया घर के निर्देशक विष्णु कैंट मिश्रा कहते है “सभी जानवरों को एक शांतिपूर्ण माहौल की आवश्यकता होती है और शहर के बीचोबीच स्थित होने से चिड़ियाघर में वायु और ध्वनि प्रदूषण का खतरा दिन ब दिन बढ़ रहा है। जिसके कारण इसके शहर से बाहर एक शांतिपूर्ण जगह पर कुकरौल में शिफ्ट किया जा रहा है।”

1921 में स्थापित हुआ था लखनऊ चिड़ियाघर

लखनऊ स्थित नवाब बाजिद अली शाह प्राणी उद्यान उत्तर प्रदेश का सबसे पुराना चिड़ियाघर है। वर्ष 1921 में स्थापित यह चिड़िया घर 29 हेक्टेर में फैला हुआ है। यहाँ 1000 से अधिक पशु -पक्षियों की प्रजातियां हैं।

दुनिया का सबसे विषैला साँप है यहाँ

लखनऊ चिड़ियाघर में सात प्रजाति के लगभग 40 सांप है। इनमें से दो दुनिया के सबसे विषैले सांप प्रजाति में शामिल है। लखनऊ चिड़ियाघर सांपों को लेकर खास चर्चा में रहा है। यहाँ आने वाले दर्शकों को सांप की प्रजातियां खूब आकर्षित करती है।

क्या होगा चिड़िया घर के अंदर स्थित ऐतिहासिक इमारतों का भविष्य

नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान के अंदर तमाम ऐतिहासिक इमारतें स्थित है जैसे- नगीनों वाली बारादरी, बैंडस्टैंड, बच्चों के लिए टॉय ट्रेन आदि। लखनऊ चिड़ियाघर के कुकरेल शिफ्ट होने पर लखनऊवासी और इतिहासकार इन ऐतिहासिक इमारतों को लेकर अपनी चिंता व्यक्त कर रहे है। नवाब अली शाह प्राणी उद्यान की स्थापना से पहले यह नवाब गाजीउद्दीन हैदर द्वारा स्थापित शाहीबाग उद्यान था। उद्यान की स्थापना के कुछ समय पश्चात् नवाब नसीरुद्दीन हैदर ने इसका नाम बदलकर बनारसी बाग कर दिया था। कुछ समय बाद 1862 में इसका तीसरी बार नाम बदलकर अवध क्षेत्र के ब्रिटिश कमिश्नर चार्ल्स विंगफील्ड के नाम से विंगफील्ड पार्क नाम रखा गया।

वर्ष 1921 में प्रिन्स वेल्स कि भारत दौरे के समय चार्ल्स विंगफील्ड पार्क को प्राणि उद्यान में परिवर्तित किया गया। 2015 में इसका नामकरण वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान हुआ।

इतिहासकार और प्रफ़ेसर अनीता डेविड कहती हैं “ नगीनों वाली बारदारी लखनऊ प्राणी उद्यान के बीच स्थित चिड़ियाघर के दिल की तरह मानी जाती है। नवाब नसीरूद्दीन हैदर किस समय अवधि वास्तुकला के हिसाब से इसका निर्माण किया गया था। चिड़ियाघर के लंबे सफर के बाद यह दर्शकों के लिए आराम फरमाने की एक उचित जगह थी। यह नवाबों के लिए भी एक मनोरंजन का स्थान था। अंग्रेजी शासन के दौरान चिड़ियाघर में स्थित बैंडस्टैंड अंग्रेजी सरकार के अधिकारियों के बैंड प्रस्तुति का उचित स्थान था। अब बैंड स्टैंड में चिड़ियाँ घर आए दर्शकों के लिए कैंटीन की सुविधा उपलब्ध है।”

लखनऊ प्राणि उद्यान के डायरेक्टर का कहना

लखनऊ चिड़ियाघर के पशु चिकित्सक और असिस्टेंट डायरेक्टर डॉक्टर उत्कर्ष शुक्ला कहते हैं “गिद्धों के बाड़ों के बाहर चलती बच्चों के लिए टॉय ट्रेन का उपयोग ब्रिटिश शासन के दौरान बंगाल और पश्चिम रेलवे के द्वारा टिंबर की लकड़ी के यातायात के लिए इस्तेमाल किया जाता था। इस प्राणी उद्यान के शिफ्ट होने के बाद प्राणि उद्यान और वन विभाग से संबंधित सभी अधिकारियों को भविष्य में एक जगह का निर्माण इस तरह हो की इसकी ऐतिहासिक इमारतें भविष्य की आने वाली सभी पीढ़ियों के लिए संरक्षित रहे।

इतिहासकार और आईटी कॉलेज की प्रोफेसर डॉक्टर वंदना जेरिन कहती है “जानवरों की सुरक्षा के लिए इस प्राणी उद्यान का शिफ्ट होना आवश्यक है लेकिन इसके अंदर सभी ऐतिहासिक इमारतों को पुरातत्व विभाग को सौंप देना चाहिए जिससे समय समय पर इनका नवीनीकरण होता रहे और भविष्य में आने वाली सभी पीढ़ियों के लिए यह संरक्षित रह सके।

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