Lucknow News: नजफ़ से कर्बला तालकटोरा तक 21वीं रमजान को निकाला गया ताबूत का जुलूस
Lucknow News: मजलिस के बाद महिलाओं ने ताबूत को पुरुषों को सौप दिया। ताबूत रौजे नजफ से बाहर आते ही अजादारों में कोहराम मच गया पूरा माहोल गमगीन हो गया।;
21वीं रमजान को निकाला गया ताबूत का जुलूस (photo: Newstrack.com )
Lucknow News: लखनऊ शोर गिरिया है, कूफे में बरपा उठ रहा है जनाजा अली का, रो रहा है नबी का घराना उठ रहा है जनाजा अली का'। अमीर-उल-मोमेनीन हजरत अली (अ.स) की शहादत की याद में शनिवार को इमाम के ताबूत का जुलूस निकाला। यह जुलूस रुस्तम नगर स्थित रौजाए शबीह नजफ से निकलकर कर्बला तालकटोरा में जाकर समाप्त हुआ। जहां ताबूत को कत्लगाह में बड़ी अकीदत के साथ या अली मौला-हैदर मौला की सदाओं के बीच दफ्न किया गया। इसी के साथ हजरत अली की शहादत की याद में तीन दिन से चल रहा गम का सिलसिला खत्म हो गया।
जुलूस के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतिजाम किये गये थे। 19वीं रमजान को जब हजरत अली नमाज पढ़ने के दौरान सजदे में थे तो अब्दुर्रहमान इब्ने मुल्जिम ने उनके सर पर जहर से बुझी तलवार से वार किया था। जिससे वह जख्मी हो गये थे और 21 वीं रमजान को उनकी शहादत हो गयी थी। इसी सिलसिले में रौजाए शबीह नजफ में मौलाना यासूब अब्बास ने अलविदायी मजलिस को खिताब किया। मजलिस के बाद महिलाओं ने ताबूत को पुरुषों को सौप दिया। ताबूत रौजे नजफ से बाहर आते ही अजादारों में कोहराम मच गया पूरा माहोल गमगीन हो गया। हर आंख आंसुओं से लबरेज थी, कोई सर ओ सीना पीट रहा था।
हर आंख अश्कबार
इसके बाद हर आंख आंसुओं से लबरेज थी, कोई सर और सीना पीट रहा था। इसके बाद ताबूत रौजे से अपनी मंजिल कर्बला तालकटोरा के लिए रवाना हुआ। जुलूस में लोग हजरत अब्बास के अलम लिए चल रहे थे। ताबूत आते ही हर आंख अश्कबार हो जाती थी लोग अपने हाथ जोड़कर अपने मौला से गिरया कर रहे थे। ताबूत आगे निकलता अकीदतमंद ताबूत के पीछे चल पड़ते थे। यह सिलसिला पूरे रास्ते चलता रहा। ताबूत में एक लाख से अधिक लोगों का हुजूम जिसमें पुरूष, महिलाएं व बच्चे शामिल नंगे पैर बड़ी अकीदत के साथ अपने इमाम की शहादत के गम में आंसू बहाते चल रहे थे। जुलूस में शामिल अजादर इतनी गर्मी में रोजा होने के बावजूद अपने मौला के ताबूत को चूमने व कंधा देने के लिए बेकरार थे।
आयोजकों ने कत्लेगाह में आंसुओं का नजराना देकर दफ्न किया
जुलूस छोटे साहब आलम रोड, कर्बला दियानुतदौला, काजमैन, होते हुए मंसूर नगर तिराहा पहुंचा उसके बाद गिरधारी सिंह इंटर कालेज, बलोच पूरा चौराहे से मुड़कर हैदरगंज पहुंचा। जहां आयोजकों ने परम्परा के मुताबिक एक कुएं के पास कुछ पलों के लिए ताबूत को रोका जहां ताबूत पर काली चादर चढ़ायी और फिर ताबूत कर्बला तालकटोरा पहुंचा। जहां आयोजकों ने कत्लेगाह में आंसुओं का नजराना देकर दफ्न किया। ताबूत दफ्न होते ही हैदर मौला या अली मौला की सदाएं गूंजने लगी। लोगों ने दिनभर कर्बला तालकटोरा पहुंचकर हजरत अली की तुरबत पर फातेहा पढ़ा।