UP Byelection 2024: पुराने बसपाइयों के जरिए विधानसभा उपचुनाव फतह करने की फिराक में अखिलेश

UP Byelection 2024: सपा ने लोकसभा चुनाव के सियासी जंग के दौरान कांशीराम की प्रयोगशाला से निकले नेताओं पर भरोसा जताया था। वहीं रणनीति सपा यूपी विधानसभा उपचुनाव में भी अपनाने वाली है।

Update:2024-10-11 16:44 IST

यूपी विधानसभा उपचुनाव में पुराने बसपा नेताओं को अखिलेश यादव ने दिया टिकट (सोशल मीडिया)

UP Byelection 2024: उत्तर प्रदेश में विधानसभा की रिक्त चल रही दस सीटों के लिए जल्द ही चुनावी बिगुल बज जाएगा। ऐसे में सभी सियासी दल विजयश्री पाने के लिए अपने-अपने दांव चल रहे हैं। एक तरफ जहां समाजवादी पार्टी लोकसभा चुनाव के फॉर्मूले को फिर से अपनाने की कोशिश कर रही है। सपा ने विधानसभा उपचुनाव में अपने उम्मीदवारों के जरिए पीडीए मतलब पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग को साधने के लिए बिसात बिछाई है।

सपा ने लोकसभा चुनाव के सियासी जंग के दौरान कांशीराम की प्रयोगशाला से निकले नेताओं पर भरोसा जताया था। वहीं रणनीति सपा यूपी विधानसभा उपचुनाव में भी अपनाने वाली है। लोकसभा चुनाव में सपा ने पुराने बसपा नेताओं पर दांव खेलकर न केवल गैर-यादव ओबीसी समाज बल्कि दलित वोट बैंक को भी अपने पाले में लाकर खड़ा कर दिया था। सपा की इस नई ‘सोशल इंजीनियरिंग’ ने भाजपा को लोकसभा चुनाव में करारी मात दी थी। सपा के 37 सांसदों में 17 ऐसे सांसद हैं। जिनका बहुजन समाज पार्टी से पुराना ताल्लुक रह चुका है। वे बसपा से विधायक या फिर सांसद रह चुके हैं। यहीं फॉर्मूला अखिलेश यादव ने यूपी विधानसभा उपचुनाव में भी दोहराया है।

यूपी विधानसभा उपचुनाव के सपा ने घोषित किये छह उम्मीदवार

उत्तर प्रदेष में 10 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव होने हैं। उनमें गाजियाबाद सदर, मिल्कीपुर, कटेहरी, फूलपुर, मझवां, मीरापुर, खैर और कुंदरकी विधानसभा सीट शामिल हैं। लोकसभा चुनाव 2024 में नौ विधायकों के सांसद बन जाने के बाद यह सीटें रिक्त घोषित कर दी गयी थी। वहीं समाजवादी पार्टी के विधायक इरफान सोलंकी की सदस्यता रद्द हो जाने से एक सीट खाली हो गयी थी। मौजूदा समय में खाली हुई दस सीटों में से पांच सीटों पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है।

वहीं तीन सीटें भाजपा, एक सीट सहयोगी निषाद पार्टी और एक सीट राष्ट्रीय लोक के खाते की है। समाजवादी पार्टी ने रिक्त चल रही दस विधानसभा सीटों में से छह सीट पर प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर दिया है। सपा ने करहल से तेज प्रताप यादव, मिल्कीपुर से सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद, मझंवा से पूर्व सांसद रमेश बिंद की बेटी डा. ज्योति बिंद, फूलपुर से मुज्तबा सिद्दीकी, सीसामऊ से पूर्व विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी और कटेहरी से लालजी वर्मा की पत्नी शोभावती वर्मा को चुनाव मैदान में उतारा है। सपा ने मीरापुर, कुंदरकी, खैर और गाजियाबाद सीट पर उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। गौर करने वाली बात यह है कि सपा द्वारा घोषित किये गये छह उम्मीदवारों में से तीन बसपा पृष्ठभूमि से हैं।

मुस्तफा सिद्दीकी पर सपा ने जताया का भरोसा

समाजवादी पार्टी ने फूलपुर विधानसभा सीट से पूर्व विधायक मुस्तफा सिद्दीकी का उम्मीदवार घोषित किया है। मुस्तफा सिद्दीकी की सियासी पारी बतौर ग्राम प्रधान शुरू हुई। लेकिन उन्हें सियासत के चरम पर बहुजन समाज पार्टी ने पहुंचाया। मुस्तफा सिद्दीकी साल 2002 में पहली बार बसपा के टिकट पर सोरांव से विधायक बने। साल 2007 में वह इसी सीट से दोबारा विधानसभा पहुंचे। साल 2012 में फिर मुस्तफा सिद्दीकी बसपा के टिकट पर ही प्रतापपुर विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे। लेकिन इस बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और साल 2017 में प्रतापपुर विधानसभा सीट से दोबारा जंग में उतर गये और इस बार फतह हासिल किया।

साल 2022 के चुनाव से पहले मुस्तफा सिद्दीकी ने समाजवादी पार्टी के पाले में जाकर खड़े हो गये। सपा ने उन्हें प्रतापपुर की जगह फूलपुर से उम्मीदवार बनाया और वह चुनाव हार गये। उन्हें भाजपा प्रत्याशी प्रवीण पटेल ने चुनावी पटखनी दी। साल 2012 में इस सीट पर सपा के सईद अहमद ने जीत दर्ज की थी। साल 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रवीण पटेल फूलपुर से सांसद बन गये हैं। जिसके बाद यह सीट रिक्त हो गयी है। अब सपा अपनी खोई हुई सीट को दोबारा हासिल करना चाहती है। इसके लिए सपा ने मुस्तफा सिद्दीकी पर दांव लगाया है।

रमेश बिंद की बेटी डॉ. ज्योति बिंद मैदान में

समाजवादी पार्टी ने यूपी विधानसभा उपचुनाव के लिए मिर्जापुर की मझवां सीट पर पूर्व सांसद रमेश बिंद की सुपुत्री डॉ. ज्योति बिंद को मैदान में उतारा है। रमेश बिंद भी पुराने बसपा नेता हैं। वह दलित-ओबीसी की राजनीति करते हैं। सपा इसी जातीय समीकरण को साधने के लिए तीन बार विधायक रह चुके रमेष बिंद की बेटी पर भरोसा जता रही है। रमेश बिंद ने भी अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत बसपा से ही की थी।

साल 2002 में वह पहली बार बसपा के ही टिकट से विधायक बने थे। इसके बाद साल 2007 और 2012 में बसपा ने ही उन्हें विधानसभा पहुंचाया। साल 2014 में मिर्जापुर से लोकसभा चुनाव भी रमेश बिंद ने बसपा के टिकट पर ही लड़ा था। लेकिन वह हार गये थे। इसके बाद 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले वह बसपा छोड़ भाजपा में शामिल हो गये और भदोही से सांसद बन गये। 2024 के लोकसभा चुनाव में रमेश बिंद मिर्जापुर सीट से सपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे। लेकिन वह जीत को दोहरा नहीं सके। लेकिन मिर्जापुर में उनकी दलित-ओबीसी वोटबैंक पर पकड़ होने के चलते सपा ने उनकी बेटी डॉ. ज्योति बिंद पर भरोसा जताया है।

लालजी वर्मा की पत्नी शोभावती वर्मा पर लगाया दांव

समाजवादी पार्टी ने कटेहरी विधानसभा सीट पर सांसद लालजी वर्मा की पत्नी शोभावती वर्मा पर दांव लगाया है। लालजी वर्मा ने अपने सियासी पारी की शुरू यूं तो लोकदल से की थी। लेकिन साल 1996 में वह बसपा में शामिल हो गये थे। 26 साल तक बसपा में रहने वाले लालजी वर्मा अध्यक्ष मायावती के बेहद करीबी माने जाते थे। वह बसपा सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं।

इसके साथ ही वह बसपा के विपक्ष में रहने पर नेता प्रतिपक्ष की भूमिका भी निभा चुके हैं। साल 2022 के चुनाव से पहले लालजी वर्मा ने बसपा को दामन छोड़ दिया और साइकिल पर सवार हो गये। कटेहरी सीट से ही सपा के टिकट पर श्री वर्मा पहले विधायक बने और फिर सासंद चुन लिये गये। लालजी वर्मा के सांसद बनने के बाद रिक्त हुई कटहरी विधानसभा सीट पर सपा ने उनकी पत्नी शोभावती वर्मा पर दांव लगाया है।

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