Lucknow News: महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर से लड़ने में मदद करेगा अमेठी मॉडल, प्रदेश में लागू करने की सिफारिश

Lucknow News: लोहिया संस्थान की पूर्व निदेशक व पैथोलॉजी विभाग की अध्यक्ष डॉ. नुजहत हुसैन का कहना है कि मौजूदा समय में सर्वाइकल कैंसर के मामलों में काफी बढ़ोतरी देखी जा रही है। इस बीमारी के बढ़ने की सबसे बड़ी वजह व्यक्तिगत साफ सफाई और ह्यूमन पैप्लोमा वायरस हैं।

Report :  Abhishek Mishra
Update:2024-09-26 10:15 IST

Lucknow News: सर्वाइकल कैंसर को खत्म करने की कवायद तेज कर दी गई है। इसके लिए प्रदेश में अमेठी मॉडल को अपनाया जाएगा। इस मॉडल के मुताबिक सर्वाइकल कैंसर का पता लगाने के लिए घर घर जाकर सैंपल जुटाए गए। उसके बाद नमूनों की जांच कराई गई। बता दें कि बीमारी से लड़ने के लिए तैयार पायलट प्रोजेक्ट को अमेठी मॉडल नाम दिया गया। इसे पूरे यूपी में लागू करने की सिफारिश हो रही है। 

अमेठी मॉडल लागू करने के लिए भेजा प्रस्ताव

राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान और कल्याण सिंह कैंसर संस्थान ने अन्य प्राइवेट संस्थानों के साथ मिलकर सर्वाइकल कैंसर को हराने के लिए अमेठी मॉडल पर काम शुरू कर दिया है। नेशनल हेल्थ मिशन, चिकित्सा शिक्षा व स्वास्थ्य विभाग को प्रदेश में अमेठी मॉडल लागू करने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। 

ह्यूमन पैप्लोमा वायरस से बढ़ती बीमारी 

लोहिया संस्थान की पूर्व निदेशक व पैथोलॉजी विभाग की अध्यक्ष डॉ. नुजहत हुसैन का कहना है कि मौजूदा समय में सर्वाइकल कैंसर के मामलों में काफी बढ़ोतरी देखी जा रही है। इस बीमारी के बढ़ने की सबसे बड़ी वजह व्यक्तिगत साफ सफाई और ह्यूमन पैप्लोमा वायरस हैं। यदि इस बीमारी को शुरू में ही पकड़ लिया जाए तो इसका सही उपचार किया जा सकता है। कई मामलों में शर्म और झिझक से बीमारी सामने नहीं आ पाती है। डॉ. नुजहत हुसैन के मुताबिक पिछले साल अगस्त में अभियान शुरू किया। करीब एक साल में रिपोर्ट बनी है। काफी महिलाओं को कैंसर पता ही नहीं था। इस मॉडल से शुरुआत में कैंसर पकड़ना आसान है। समय पर जांच व इलाज कर कैंसर को हराया जा सकता है। 

क्या है अमेठी मॉडल 

अमेठी में अभियान के लिए जगदीशपुर रानीगंज के दो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) को चुना गया। हर सीएचसी ने 16 गांवों में अभियान चलाया। 32 गांवों में आशा, एएनएम, नर्स और कम्युनिटी हेल्थ वर्कर को जोड़ा गया। उन्होंने घर घर जाकर सैंपल लिए। इसके बाद इन्हें जांच के लिए भेजा गया। 30 से 65 साल की उम्र की महिलाओं से जांच के नमूने लिए गए। 

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