Eid Ul Adha 2024: लखनऊ के ऐशबाग ईदगाह और आसिफी मस्जिद में अदा की गई बकरीद की नमाज
Eid Ul Adha 2024: लखनऊ के ऐशबाग ईदगाह में सुन्नी समुदाय और आसिफी मस्जिद में शिया मुसलमानों ने बकरीद की नमाज अदा की।
Bakrid 2024 Lucknow: देश भर में ईद-अल-अजहा यानि बकरीद का त्योहार मनाया जा रहा है। सुबह से ही देश की तमाम मस्जिदों में नमाज अदा करने की भीड़ उमड़ रही है। लखनऊ में भी मुस्लिम समुदाय ने बकरीद की नमाज अदा की। ऐशबाग ईदगाह में सुन्नी समुदाय के लोगों ने बक़रीद की नमाज़ अदा की। त्योहार को देखते हुए पहले से ही सारी तैयारियां कर ली गई थी।
ऐशबाग ईदगाह में सुन्नी समुदाय ने अदा की नमाज
ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने बताया कि मैदान की सफाई और नमाजियों के वुजू के लिए पानी की व्यवस्था पहले से कर ली गई थी। नमाज में सख्त गर्मी से निजात के लिए अल्लाह की बारगाह में बारिश के लिए दुआ की गई। साथ ही उन्होंने बताया कि ईदगाह में नमाज अदा करने का सवाब बहुत ज्यादा है। मौलाना ने कहा कि ईद उल फित्र और ईद उल अजहा की नमाज के बाद खुतबा सुनना वाजिब है। खुतबे की आवाज सुनाई दे या न दें खुतबा खत्म होने तक खामोश और अदब के साथ बैठना चाहिय। नमाज के बाद कुर्बानी 17, 18 और 19 जूून को होगी।
शिया समुदाय ने आसिफी इमामबाड़े में पढ़ी नमाज
ऐशबाग ईदगाह के साथ ही शिया समुदाय के लोगों ने आसिफी इमामबाड़े में नमाज अदा की। भारी भीड़ को आसिफी मस्जिद में मौलाना रजा हैदर ने नमाज अदा कराई। लोगों ने नमाज अदा करने के बाद गले मिलकर एक दूसरे को मुबारकबाद दी।
क्यों मनाया जाता है ईद-अल-अजहा ?
ईद अल-अजहा या बकरीद एक इस्लामी पवित्र त्योहार है। इसे 'बलिदान का त्योहार' भी कहा जाता है, यह इस्लामी या चंद्र कैलेंडर के 12वें महीने धू अल-हिज्जा के 10वें दिन मनाया जाता है। यह वार्षिक हज यात्रा के अंत का प्रतीक है। यह पैगंबर अब्राहम की अल्लाह के लिए सब कुछ बलिदान करने की इच्छा की स्मृति के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व पर इस्लाम धर्म के लोग साफ-पाक होकर नए कपड़े पहनकर नमाज पढ़ते हैं और उसके बाद कुर्बानी देते हैं। ईद-उल फित्र पर जहां खीर बनाने का रिवाज है। वहीं बकरीद पर बकरे की कुर्बानी (बलि) दी जाती है।