Lucknow Murder Case: बंथरा में जातीय संघर्ष और वर्चस्व के नशे ने ली दो पीढ़ियों की जान, 32 साल पहले बाबा और अब पोते की हुई हत्या
Lucknow Murder Case: एक ही परिवार की दबंगई के चलते अपने बेटे और भाई को खो चुके इंद्रकुमार पांडेय उर्फ़ बब्बन दुखी मन और रूंधे हुए गले से कहते हैं कि 1992 का वो साल और 2024 का ये साल हम लोग कभी भूल नहीं पाएंगे।
Lucknow Murder Case: साल था 1992 और समय था शाम का लगभग 7 बजे। तब न गांवों में 24 घंटे बिजली की सुविधा थी और न ही तकनीक का दौर लेकिन लखनऊ का बंथरा गाँव उस वक्त भी गवाह बना था जातीय संघर्ष में हुई एक हत्या का जिसमें राजवीर सिंह ने घर में घुसकर निहत्थे बैठे शिवकमल पांडेय उर्फ़ मुनक्के को गोलियां मारकर मौत के घाट उतार दिया था। यह घटना एक बार फिर बंथरा वासियों के दिमाग में कौंध गई क्यों कि हत्या करने वाले राजवीर सिंह के पोते अवनीश सिंह उर्फ़ लवी ने बीते रविवार को स्वर्गीय शिवकमल पांडेय के भतीजे हितेश पांडेय (20) उर्फ़ ऋतिक की भी अपने साथियों के साथ मिलकर घर में घुसकर उसी अंदाज में जान ले ली जिस अंदाज में उसके दादा ने ऋतिक के बाबा की हत्या की थी। इन दोनों घटनाओं में आरोपी ठाकुर परिवार के थे और मृतक ब्राह्मण परिवार के थे। दोनों हत्याओं को सिर्फ वर्चस्व कायम करने के लिए ही अंजाम दिया गया, लेकिन वर्चस्व और जातीय दबदबा कायम करने चलते आरोपियों ने एक ही परिवार के दो चिराग बुझा दिए। रविवार को हुई इस घटना में एक बार फिर क्षेत्र में दोनों जातियों के बीच तनाव बढ़ गया है। इस तनाव से निपटने के लिए पीड़ित और आरोपियों के घरों के आसपास बड़ी संख्या में सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है।
शिवकमल हत्याकांड में नहीं हुई थी कार्रवाई
एक ही परिवार की दबंगई के चलते अपने बेटे और भाई को खो चुके इंद्रकुमार पांडेय उर्फ़ बब्बन दुखी मन और रूंधे हुए गले से कहते हैं कि 1992 का वो साल और 2024 का ये साल हम लोग कभी भूल नहीं पाएंगे। इन दोनों ही सालों में हम लोगों को कभी न भरने वाले जख्म दिए गए हैं। दोनों ही मामलों में पुलिस ने सिर्फ उसका साथ दिया जो पैसे और रसूख में मज़बूत था। पुलिस का रवैया न तब पीड़ित के पक्ष में था और न अब पक्ष में रहा। इंद्रकुमार कहते हैं कि हमारे भाई को घर में घुसकर गोलियां मारकर मौत के घाट उतार दिया गया लेकिन उस वक्त कोई आरोपी थाने तक नहीं गया, जेल जाने की बात तो बहुत दूर रही। उसी घटना के बाद से इनके हौसले बढ़े हुए थे। आखिरकार इन्होने एक बार फिर हमारे परिवार का चिराग बुझा दिया। पुलिस ने इस घटना में शुरुआत में वही रवैया अपनाया लेकिन बाद में जब सहायता के लिए लोग आगे आ गए तो उन्होंने मुकदमा दर्ज करने से लेकर अन्य कार्रवाइयां शुरू की।
पलायन कर गया था शिवकमल का परिवार
1992 में जब शिवकमल की घर में घुसकर हत्या कर दी गई तो उनका परिवार काफी दहशत में आ गया। परिजनों ने आरोपी पर कार्रवाई के लिए हर संभव प्रयास किए लेकिन कोई संतुष्टिजनक कार्रवाई नहीं हुई। नतीजतन उनका परिवार बंथरा छोड़कर पलायन कर गया। शिवकमल की पत्नी किरण पांडेय अपने बेटे राहुल, मोहित, रोहित और इकलौती बेटी रुक्कू को लेकर कानपुर चली गई। वर्तमान में स्वर्गीय शिवकमल का परिवार वहीं रहता है। इसी के बाद से आरोपियों के हौसले और बुलंद हो गए।
अवैध प्लॉटिंग और कई बेनामी संपत्तियों के मालिक हैं आरोपी
इंद्रकुमार बताते हैं की आरोपी शुरुआत से पैसे से बहुत मज़बूत रहे हैं। इनका आपराधिक इतिहास भी रहा है इस वजह से हम लोगों का इनसे जीत पाना संभव नहीं है। क्षेत्र में कई जगहों पर आरोपी अवैध तरीके से प्लॉटिंग का धंधा करते हैं। इसमें कई नेता भी शामिल हैं। स्थानीय नेताओं के दबाव की वजह से इन पर ठीक से कार्रवाई नहीं हो रही। इंद्रकुमार बताते हैं कि सरोजनीनगर में ही कई जगहों पर आरोपियों की बड़ी-बड़ी प्लॉटिंग साइट मौजूद हैं। ये लोग खुद को निर्दोष साबित करने के लिए पैसा पानी की तरह बहा सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि सोशल मीडिया पर भी ये लोग खुद को निर्दोष साबित करने के लिए पैसे के बल पर लोगों से अपने पक्ष में पोस्ट लिखवा रहे हैं।
परिजनों के प्रदर्शन और ब्राह्मण समाज के विरोध के बाद हुई कार्रवाई
घटना के बाद पुलिस ने पीड़ित परिवार की शिकायत तक दर्ज नहीं की। सोमवार की सुबह परिजनों ने ऋतिक पांडेय का शव रखकर अस्पताल में प्रदर्शन शुरू कर दिया। इसके बाद पुलिस ने आरोपी अवनीश सिंह उर्फ़ लवी, हिमांशु सिंह उर्फ़ रिशु, प्रत्यूष सिंह उर्फ़ भोली, प्रियांशू, अमन उर्फ़ सनी के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया। हालाँकि मुकदमा दर्ज कर पुलिस हाथ पर हाथ धरकर बैठ गई। इधर पीड़ित परिवार लगातार आरोपियों पर कार्रवाई की मांग करता रहा। आखिरकार, इस घटना के बाद क्षेत्र का ब्राह्मण समाज भी आक्रोशित होकर एकजुट हो गया। घटना का विरोध करते हुए लोगों ने प्रदर्शन, कैंडल मार्च और सोशल मीडिया पर भी मुहिम चलाई। इसके बाद पुलिस ने मामले को गंभीरता से लिया और आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई। इसके बाद मामले में एक नामजद अभियुक्त की गिरफ्तारी हुई। लोगों के आक्रोश को देखते हुए आखिरकार पुलिस ने 5 नामजद आरोपियों को गिरफ्तार किया। 9 अज्ञात आरोपी अब भी फरार चल रहे हैं।
यह थी पूरी वारदात
बीते रविवार की रात बंथरा के कुछ घरों में लाइट नहीं आ रही थी उसे ठीक करवाने के लिए आसपास के लोग ट्रांसफॉर्मर के पास पहुंचे थे। ट्रांसफॉर्मर के पास ही कुछ घरों में लाइट आ रही थी इस पर उक्त घरों के लोगों ने बिजली ठीक करने का विरोध किया। इस दौरान मृतक ऋतिक पांडेय भी वहां मौजूद था और उसकी आरोपियों से मामूली बहस हुई थी। बहस के बाद सब सामान्य हो गया था और सभी लोग वहाँ से अपने घर लौट गए। मृतक के पिता इंद्रकुमार ने पुलिस को दी गई तहरीर में बताया था कि रात करीब 10 :30 बजे अवनीश पुत्र शबोहन सिंह, हिमांशू सिंह, प्रियांशू, प्रत्यूष पुत्र कन्हैया सिंह, शनि पुत्र विनोद सिंह अपने कई साथियों को लेकर लाठी-डंडों व असलहों के साथ घर में घुस गया। आरोपियों ने नौकर मैकू रावत, बेटे अभिषेक उर्फ़ रमन और ऋतिक को बुरी तरह से पीटा। इसके बाद आरोपी मौके से फरार हो गए। अंदरूनी चोटें ज़्यादा गंभीर होने के कारण रात में अचानक ऋतिक की तबीयत बिगड़ गई। परिजन उसे लेकर अस्पताल जा रहे थे की इसी बीच ऋतिक की मौत हो गई। सोमवार को परिजनों ने अस्पताल में प्रदर्शन भी किया था। जिसके बाद साउथ जोन के अधिकारियों के निर्देश पर उक्त पांचों नामजद आरोपियों सहित 10 अज्ञात पर हत्या समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ।