Lucknow News: पहले दोषी, फिर पाए गए निर्दोष...चारबाग होटल अग्निकांड में सभी आरोपी बरी

Charbagh Hotel Fire Tragedy: इस अग्निकांड में मारे गए 9 लोगों की मौत का दोषी मानते हुए तत्कालीन संयुक्त सचिव, ओएसडी, कई एक्सईएन, एई-जेई, सुपरवाइजर और मेट समेत एलडीए के करीब 31 अफसर-कर्मचारी को दोषी ठहराया गया था।

Newstrack :  Network
Update: 2024-07-08 05:57 GMT

Charbagh Hotel Fire Tragedy (सोशल मीडिया) 

Charbagh Hotel Fire Tragedy: लखनऊ के चारबाग में अवैध रूप से बने दो होटल अग्निकांड के मामले में बड़ा फैसला आया है। इस फैसले अग्निकांड में मृतक के परिवारजनों को बड़ी निराशा लगी होगी। शासन स्तर पर दोबारा हुई जांच में इस मामले में आईपीएस लेकर सुपरवाइजर तक सभी आरोपित लोगों को निर्दोष करार दिया गया है। जांच में होटल अग्निकांड में हुई मौतों का न दोषी मनाते हुए सारे आरोपियों को बरी कर दिया और मामले की जांच समाप्त करने का आदेश दिया है। इस घटना से प्रदेश सरकार पर सवाल खड़े हुए थे, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तत्कालीन एडीजी राजीव कृष्णा और एलडीए वीसी प्रुभ नारायण सिंह को जांच करने के आदेश दिये गए थे। जांच में सभी आरोपियों को दोषी करार दिया गया था, लेकिन इस मामले में दोबारा हुई जांच में सभी को दोषी न मानते हुए बरी कर दिया गया है।

एडीजी की जांच में पाए गए थे 30 लोग दोषी

आज से छह साल पहले 19 जून, 2019 को चारबाग स्थित बने दो अवैध होटल एसएसजे इंटरनेशनल और विराट होटल में आग लगी थी। होटल में लगी आग इतनी भीषण थी कि आग को बुझाने के लिए आसपास के जिलों की दमकल विभाग की गाड़ियों को बुलाना पड़ा था। इस होटल अग्निकांड में 9 लोगों की मौत हुई थी। सरकार और एलडीए पर सवाल खड़े होने लगे थे। इस मामले में दोषियों को कड़ी सजा दिलवाने के लिए मुख्यमंत्री योगी ने तत्कालीन एडीजी राजीव कृष्णा और एलडीए वीसी प्रुभ नारायण सिंह को जांच के आदेश दिए थे। जांच में इस घटना के लिए सभी 30 असफर और इंजीनियरों को दोषी करार दिया था। एडीजी ने विस्तृत जांच करते हुए एलडीए के सभी दस्तावेज कब्जे में लिया था। एक-एक अधिकारी और कर्मचारी के बयान दर्ज किए गए। जांच में मदद करने की वाले कर्मचारी, अधिकारी और इंजीनियरों की भूमिका तय की गई।

ये लोग थे आरोपी

इस अग्निकांड में मारे गए 9 लोगों की मौत का दोषी मानते हुए तत्कालीन संयुक्त सचिव, ओएसडी, कई एक्सईएन, एई-जेई, सुपरवाइजर और मेट समेत एलडीए के करीब 31 अफसर-कर्मचारी को दोषी ठहराया गया था। एडीजी ने जिन सुपरवाइजर को दोषी करार दिया था। इसमें श्रीराम कश्यप, शीतला प्रासद, महेंद्र प्रताप सिंह, राम संजीवन, शिव प्रकाश तिवारी, बालकराम शामिल थे। एलडीए के तैनात एक आईपीएस राकेश मिश्रा और ओएसडी पीसीएस वीरेंद्र पाण्डेय को दोषी करार दिया था।

सारे हैं निर्दोष तो अग्निकांड का दोषी कौन?

हालांकि बाद में इसी मामले पर दोबारा हुई आवास विभाग की जांच में इन सभी को निर्दोष साबित कर दिया गया। साथ, विभाग ने जांच समाप्त करने के आदेश भी दिये। अब सवाल यह खड़ा हो रहा है कि एडीजी की पहली जांच में होटल अग्निकांड में होटलों के निर्माण से लाइसेंस देने तक खेल होने की पुष्टि हुई। सारा काम अवैध रूप से था। जांच में इन सभी की पुष्टि भी हुई, लेकिन शासन स्तर पर हुई जांच में जिस प्रकार से इन सभी लोगों को बरी कर दिया गया है, उस पर सवाल खड़े होने के लगे हैं। अगर इस मामले में ये सभी लोग निर्दोष पाए गए हैं तो अवैध रूप से बने होटल अग्निकांड में मारे गए 9 लोगों का दोषी कौन है? इसका जबाव क्या शासन या फिर सरकार के पास है, अगर तो वह पीड़ित परिवार को बताए?


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