Lucknow News: चेलेशन थेरेपी से होगा विल्सन बीमारी का इलाज, PGI के डॉक्टरों किया शोध
Lucknow News: सीबीएमआर के डॉ. आशीष गुप्ता के मुताबिक विल्सन रोग (जिसे हेपेटोलेटिकुलर डिजनरेशन भी कहा जाता है) एक आनुवंशिक विकार है। इस बीमारी में शरीर में तांबा इकट्ठा होने लगता है। तांबे की अधिकता होने से लिवर बीमार होने लगता है।
Lucknow News: संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के डॉक्टरों ने शोध के जरिए बच्चों में होने वाली लिवर की बीमारी विल्सन के इलाज की नई थेरेपी खोज ली है। उनका दावा है कि इस आनुवांशिक बीमारी का कारगर इलाज चेलेशन थेरेपी से मुमकिन हुआ है। इस बीमारी में बच्चे के शरीर में तांबे की अधिकता होने लगती है। इससे लिवर पर अधिक असर पड़ता है। पीजीआई के डॉक्टरों ने बच्चों पर इस थेरेपी का शोध किया है। शोध पत्र को अमेरिकन जर्नल में जगह मिली है।
63 बच्चों के यूरिन नमूनों की हुई जांच
पीजीआई के पीडियाट्रिक गेस्ट्रोलॉजी के डॉ. मोइनक सेन शर्मा और पीजीआई के सेंटर ऑफ बायोमेडिकल रिसर्च (सीबीएमआर) के डॉ. आशीष गुप्ता ने मिलकर शोध किया है। डॉक्टरों के मुताबिक उन्होंने विल्सन बीमारी से पीड़ित 63 बच्चों के यूरिन के नमूने एकत्र किए, जिसकी जांच की गई। सीबीएमआर के डॉ. आशीष गुप्ता के मुताबिक विल्सन रोग (जिसे हेपेटोलेटिकुलर डिजनरेशन भी कहा जाता है) एक आनुवंशिक विकार है। इस बीमारी में शरीर में तांबा इकट्ठा होने लगता है। तांबे की अधिकता होने से लिवर बीमार होने लगता है। मरीज को उल्टी, कमजोरी, पेट में तरल पदार्थ का निर्माण, पैरों में सूजन, पीली त्वचा और खुजली शामिल हैं। करीब 50 हजार में एक बच्चे को यह बीमारी होती है।
नए उत्पादों का पता चला- डॉ. आशीष गुप्ता
डॉ. मोइनक व डॉ. आशीष गुप्ता ने बताया कि दुनिया में पहली बार डी-पेनिसिलमाइन जेनोबायोटिक मेटाबोलाइट्स के चार नए उत्पादों (पेनिसिलिन डाइसल्फाइड (पीडी), पेनिसिलिन सिस्टीन डाइसल्फाइड (पीसीडी), एस-मिथाइल पेनिसिलिन (एसएमपी) और एन-एसिटाइल पेनिसिलिन (एनएपी) की पहचान की गई। पीसीडी और एसएमपी का मात्रात्मक स्तर क्रमशः पीडी और एनएपी की तुलना में करीब तीन गुना अधिक था। रोग ग्रस्त लिवर अवस्था में पीसीडी की मात्रा पीडी से अधिक मिली है।