Lucknow University: कुष्ठ रोग से साथी करते थे अनादर, फिर लिख दिया छात्र ने उपन्यास

वरुण शुक्ला ने बताया कि उन्होंने ‘बदसूरत फूल’ उपन्यास लखनऊ विश्वविद्यालय के ही छात्र पर लिखा है। उपन्यास में छात्र एक रोग से ग्रसित है। वह छात्र आजमगढ़ का रहने वाला है। वहां से लखनऊ विश्वविद्यालय पढ़ाई करने के लिए आता है। लेकिन कुष्ठ रोग से पीड़ित होने के कारण उसे काफी दिक्कतों और परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

Report :  Abhishek Mishra
Update: 2024-04-01 06:15 GMT

Lucknow University: लखनऊ विश्वविद्यालय के एक छात्र ने ‘बदसूरत फूल’ नाम का उपन्यास (Novel) लिखा है। यह छात्र एक्ट्रोडर्मल डिस्प्लेसिया (ED) नामक बीमारी से पीड़ित है। इस उपन्यास में छात्र ने कुष्ठ रोग से ग्रसित छात्र के जीवन में आने वाले संघर्षों को लिखा है।

वरुण ने लिखी तीन किताबें

एलयू के बीए द्वितीय वर्ष के छात्र वरुण शुक्ला ने एक उपन्यास लिखा है। ‘बदसूरत फूल’ नामक नोवेल में वरुण ने एक अन्य कुष्ठ रोग से पीड़ित छात्र के जीवन में आने वाली दिक्कतों और परेशानियों को बयान किया है। वरुण खुद एक्ट्रोडर्मल डिस्प्लेसिया यानी ईडी नाम की बीमारी से पीड़ित हैं। वह विश्वविद्यालय में स्नातक द्वितीय वर्ष के छात्र हैं। वरुण के मुताबिक साहित्य के प्रति उनकी रुचि काफी कम उम्र से रही है। उन्हें कविताएं, गाने और गजलें लिखने और पढ़ने का शौक रहा है। इसके पहले भी वरुण ने दो किताबें लिखी हैं। उन्होंने बताया कि पहली किताब 16 साल की उम्र में लिखी थी। जिसका नाम ‘परम शिवभक्त रावण’ था। इसके बाद उन्होंने ‘सब्र’ नामक काव्य संकलन लिखा। जोकि उनके द्वारा लिखी दूसरी किताब थी। ‘बदसूरत फूल’ उपन्यास वरुण को तीसरी किताब है।

संघर्षों की कहानी है ‘बदसूरत फूल’

स्नातक द्वितीय वर्ष के छात्र वरुण शुक्ला ने बताया कि उन्होंने ‘बदसूरत फूल’ उपन्यास लखनऊ विश्वविद्यालय के ही छात्र पर लिखा है। उपन्यास में छात्र एक रोग से ग्रसित है। वह छात्र आजमगढ़ का रहने वाला है। वहां से लखनऊ विश्वविद्यालय पढ़ाई करने के लिए आता है। लेकिन कुष्ठ रोग से पीड़ित होने के कारण उसे काफी दिक्कतों और परेशानियों का सामना करना पड़ता है। साथ में पढ़ने वाले छात्र भी उसका अनादर करते हैं। उन्होंने बताया कि साथियों के ऐसे व्यवहार से छात्र अपनी योग्यता में अविश्वास रखने लगता है। उपन्यास के मुख्य किरदार का नाम ‘वरद’ है। यह कहानी वरद के जीवन की परेशानियों के संघर्ष को बयान करती है। कहानी में यह भी बताया गया है कि कैसे उसके अंदर कैसे विश्वास वापस आता है और कैसे वह सफलता की ओर अपने कदम बढ़ाता है।

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