Lucknow News: ईसा से 2400 वर्ष पुरानी गंगा घाटी की ताम्र युगीन संस्कृति, शोध में खुलासा, सामने आई ये बातें
Lucknow News: इंडियन जर्नल ऑफ आर्कियोलॉजी के प्रमुख सम्पादक व पुरात्तवविद विजय कुमार ने बताया कि गंगा घाटी सदैव से भारतीय उपमहाद्वीप की संस्कृति का एक प्रमुख केंद्र रही है।
Lucknow News: गंगा घाटी की ताम्र युगीन संस्कृति ईसा से 2400 वर्ष पुरानी है। यह स्वयं में एक उन्नत सभ्यता थी, वैज्ञानिक तथ्यों से ये बात निराधार पाई गई कि यह सभ्यता पश्चिमी भारत या कहीं अन्यत्र से यहां आयी थी। यह ताम्रयुगीन सभ्यता पूरब से पश्चिम की ओर, यूपी के अयोध्या से पंजाब के जालंधर तक फैली हुई थी। उत्तर से दक्षिण यह हिमालय से यमुना नदी और राजस्थान के जयपुर तक विशाल भूभाग में फैली हुई थी। यह निष्कर्ष शोध में निकला है। जिसे इंडियन जर्नल ऑफ आर्कियोलॉजी लखनऊ, बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पेलियोसाइंसेज और शहजाद राय रिसर्च इंस्टीट्यूट बागपत के संयुक्त अध्ययन दल ने किया है।
उन्नत के मिले तमाम प्रमाण
इंडियन जर्नल ऑफ आर्कियोलॉजी के प्रमुख सम्पादक व पुरात्तवविद विजय कुमार ने बताया कि गंगा घाटी सदैव से भारतीय उपमहाद्वीप की संस्कृति का एक प्रमुख केंद्र रही है। इसके उन्नत होने के तमाम प्रमाण मिले है, जिसमें ताम्र अयस्क से तांबा निकालने और तांबे की ढ़लाई की उन्नत तकनीक सबसे महत्वपूर्ण है। तांबे का उपयोग इस सभ्यता के लोग हथियारों एवं अन्य उपकरणों को बनाने मे करते थे। यह तांबे के हथियार बहुत बड़ी संख्या में विभिन्न स्थानों मे जखीरे के रूप में पाए जाते रहे है।
शाहजहांपुर से मिला बड़ा जखीरा
पुरात्तवविद विजय कुमार का कहना है कि सबसे बड़ा जखीरा हाल में शाहजहांपुर जिले के निगोही क्षेत्र से प्राप्त हुआ है। जहां से यह प्राचीन तिथियां प्राप्त हुई है। इन अस्त्र-शस्त्रों की संख्या लगभग 250 है। इनका वजन लगभग 200 किलोग्राम है। इस युग में पूरा गांव सशस्त्र होता था और यह घातक हथियार बस्ती के बीच में स्थित शस्त्रागार में रखे जाते थे।