UP News : काला फीता बांधकर निजीकरण का विरोध करेंगे विद्युतकर्मी

UP News : उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण के विरोध में 10 दिसम्बर को बिजली कर्मियों ने पूरे दिन काला फीता बांधकर कार्य करने का निर्णय लिया।;

Update:2024-12-09 18:53 IST

UP News : उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण के विरोध में 10 दिसम्बर को बिजली कर्मियों ने पूरे दिन काला फीता बांधकर कार्य करने का निर्णय लिया। उनका कहना है कि आगरा और ग्रेटर नोएडा के निजीकरण के प्रयोग की समीक्षा किए बिना प्रदेश में निजीकरण का कोई अन्य प्रयोग ना थोपा जाए। बता दें कि उत्तर प्रदेश के विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि ग्रेटर नोएडा और आगरा में किए गए निजीकरण के विफल प्रयोगों की समीक्षा किये बिना प्रदेश में निजीकरण का कोई और प्रयोग न किया जाए।

निजीकरण से पॉवर कारपोरेशन को 2434 करोड़ की हो चुकी क्षति

उनका कहना है कि 01 अप्रैल 2010 को आगरा शहर की बिजली व्यवस्था टोरेन्ट पॉवर को सौंपी गयी थी, निजीकरण के करार के अनुसार पावर कारपोरेशन टोरेन्ट पॉवर को बिजली देता है। वर्ष 2023-24 में पावर कारपोरेशन ने 4.36 रूपये प्रति यूनिट की दर से टोरेन्ट पॉवर को 2300 मिलियन यूनिट बिजली दी। पॉवर कारपोरेशन ने यह बिजली 5.55 रूपये प्रति यूनिट की दर से खरीदी थी। इस प्रकार पॉवर कारपोरेशन को वित्तीय वर्ष 2023-24 में लगभग 275 करोड़ रूपये की क्षति हुई। 14 वर्षों में निजीकरण के इस प्रयोग से पॉवर कारपोरेशन को 2434 करोड़ रूपये की क्षति हो चुकी है।

निजीकरण नहीं होता तो आगरा से मिलता लाभ

उनका कहना है कि आगरा लेदर कैपिटल है, एशिया का सबसे बड़ा चमड़ा उद्योग है और पर्यटन का केन्द्र होने के नाते सबसे अधिक पाँच सितारा होटल आगरा में ही है। यदि आगरा शहर की बिजली व्यवस्था पावर कारपोरेशन के पास बनी रहती तो पॉवर कापोरेशन को आज आगरा से 8 रूपये प्रति यूनिट से अधिक का राजस्व मिलता।

ग्रेटर नोएडा में भी हुआ नुकसान

उनका कहना है कि ग्रेटर नोएडा में करार के अनुसार, निजी कम्पनी को अपना विद्युत उत्पादन गृह स्थापित करना था जिसे उसने आज तक नहीं बनाया है। ग्रेटर नोएडा में इंडस्ट्रियल और कॉमर्शियल लोड 85 प्रतिशत है। इस प्रकार भारी कमाई का क्षेत्र निजी हाथों में चला गया है, जिससे पॉवर कारपोरेशन को बड़ी आर्थिक क्षति हो रही है। ग्रेटर नोएडा में निजी कम्पनी किसानों को मुफ्त बिजली नहीं दे रही है। इसके अतिरिक्त घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली देने में भी निजी कम्पनी की रूचि नहीं है। इससे उपभोक्ताओं को बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।

संघर्ष समिति ने प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं ऊर्जा मंत्री से अपील की है कि वे प्रभावी हस्तक्षेप करें जिससे पावर कारपोरेशन प्रबन्धन के निजीकरण के एकतरफा फैसले को कर्मचारियों के व्यापक हित में निरस्त किया जाये। संघर्ष समिति ने कहा है कि बिजली कर्मी सरकार का ध्यानाकर्षण करने हेतु 10 दिसम्बर को पूरे दिन काली पट्टी बांध कर कार्य करेंगे और बिजली व्यवस्था या कार्य में किसी प्रकार का व्यवधान नहीं होने देंगे।

संघर्ष समिति के पदाधिकारियों राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय,सुहैल आबिद, पी.के.दीक्षित, राजेंद्र घिल्डियाल, चंद्र भूषण उपाध्याय, आर वाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, देवेन्द्र पाण्डेय, आर बी सिंह, राम कृपाल यादव, मो वसीम, मायाशंकर तिवारी, राम चरण सिंह, मो0 इलियास, श्री चन्द, सरयू त्रिवेदी, योगेन्द्र कुमार, ए.के. श्रीवास्तव, के.एस. रावत, रफीक अहमद, पी एस बाजपेई, जी.पी. सिंह, राम सहारे वर्मा, प्रेम नाथ राय एवं विशम्भर सिंह ने एक मत से कहा कि हम काला फीता बांधकर अपना विरोध दर्ज करवाएंगे।

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