Rain in Lucknow: बारिश ने खोली कई सरकारी विभागों के दावों की पोल, जलभराव और ट्रैफिक की समस्या से जूझ रहा शहर

Rain in Lucknow: लखनऊ में भारी बारिश से जनजीवन पूरी तरह अस्तव्यस्त हो गया, वहीं सड़क यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ। बारिश का असर ट्रेन सेवाओं पर भी पड़ा। रेलवे ट्रैक पानी में डूब जाने से कई ट्रेनें दो से तीन घंटे विलंब से रवाना हुईं।

Newstrack :  Network
Update: 2023-09-11 12:38 GMT

लखनऊ में भारी बारिश ने खोली कई सरकारी विभागों के दावों की पोल: Photo-Newstrack

Rain in Lucknow: लखनऊ में भारी बारिश से जनजीवन पूरी तरह अस्तव्यस्त हो गया, वहीं सड़क यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ। बारिश का असर ट्रेन सेवाओं पर भी पड़ा। रेलवे ट्रैक पानी में डूब जाने से कई ट्रेनें दो से तीन घंटे विलंब से रवाना हुईं। कई जगहों पर जलभराव इतना अधिक था कि सड़क पूरी तरह गायब हो गई थी। यह हाल राजधानी लखनऊ में तमाम जगह दिखायी दिया। बारिश से हुए जलभराव के कारण वाहन बंद हो जाने से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।


पुराने लखनऊ में नगर निगम द्वारा कूड़ा उठाने में लापरवाही की सजा लोगों को भुगतनी पड़ी । गलियों और सड़कों में जमा पालिथिन से नालियों को चोक कर दिया और निचले इलाकों को पानी में डुबो दिया।

तेज गड़गड़ाहट और मूसलधार बारिश

रविवार की देरशाम शुरू हुई बारिश इतनी भयावह थी कि राजधानी में आधे से अधिक लोगों की रात जागरण में बीती। रात 12 बजे के बाद बिजली की तेज गड़गड़ाहट मूसलधार बारिश ने लोगों को गहरी नींद से जगा दिया।


भयभीत लोग किसी खतरे की आशंका में उठकर बैठ गए। बारिश के दौरान बिजली गुल हो जाने से लोगों की बेचैनी और बढ़ गई। सुबह उजाला होने तक और उसके बाद भी बारिश की झड़ी जारी रहने से निचले इलाकों से अभी तक पानी नहीं निकल सका है।


सीजन की पहली मूसलधार बारिश ने राजधानी में नगरनिगम की सफाई व्यवस्था की पोल तो खोली ही साथ ही पालीथिन पर रोक के दावे भी हवा हवाई नजर आए। प्रतिबंधित पालिथिन ने सीवर और नाले नालियों को बुरी तरह से चोक कर दिया। नगर निगम पिछले काफी समय से राजधानी की सफाई व्यवस्था को पटरी पर लाने में लगा है। लेकिन अभी तक उसे कामयाबी नहीं मिल सकी है। जबकि मौजूदा समय में एक सितंबर से स्वच्छता पखवारा चल रहा है।


भारी बारिश ने लखनऊ विकास प्राधिकरण की हवा निकाल दी

इसी तरह से लखनऊ विकास प्राधिकरण और प्राइवेट कालोनाइजर्स द्वारा विकसित कालोनियों, अपार्टमेंट में जलनिकासी के मजबूत प्रबंध के दावों की हवा निकल गई। आपको बता दें कि राजधानी में बारिश की ताजा झड़ी ने 1985 में राजधानी में आई बाढ़ की याद ताजा करा दी है। जब गोमती के डूब क्षेत्र में विकसित की गई गोमतीनगर कालोनी के स्थायित्व पर सवाल उठने लगे थे।


इस बार कठौता झील की ब्रांडिंग करके एलडीए द्वारा बनाए गए चौदह मंज़िला ट्विन टावर हाउसिंग बिल्डिंग पंचशील अपार्टमेंट चर्चा में है। यह गोमती नगर विकल्प खंड में स्थित है। 2020 में तैयार हुई बिल्डिंग में अभी आधे फ़्लैट ही भरे हैं। किंतु तीसरी ही बरसात में पंचशील अपार्टमेंट्स की बाउंड्री ढह गई, नींव धसक गई और बेसमेंट में बीती आधी रात से कठौता झील के कैचमेंट एरिया का पानी भर रहा है। जोकि रहवासियों को भयभीत कर रहा है।


जैसे तैसे बीती भयानक रात

लोगों के लिए रविवार की रात किसी हारर फिल्म के शो की तरह बीती। इससे पहले भी इस अपार्टमेंट में वाशरूम में करंट उतरने की समस्या से रहवासियों को जूझना पड़ा था । जिसके बाद एलडीए ने सारे वाशरूम तुड़वा कर फिर से बनवाने का काम शुरू कराया जो कि अभी कंप्लीट नहीं हो पाया है। अब इस नई समस्या ने लोगों को नए सिरे से आशंकित कर दिया है।

यही हाल सुशांत गोल्फ सिटी के आसपास का है जहां जबर्दस्त जलभराव के चलते लोग घरों में कैद होकर रह गए हैं। राजधानी के लोगों के लिए ये बारिश सुकून की नहीं आफत की बारिश बनकर आई है।

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