Mayawati News: क्या मायावती कर पाएंगी लोक सभा चुनाव में टेकऑफ!

Mayawati News: पार्टी के लगातार सिकुड़ते जनाधार से कार्यकर्ताओं और नेताओं में बेचैनी है। निकाय चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद अब बीएसपी अगले साल होन वाले आम चुनाव की तैयारियों में जुट गई है।

Update:2023-06-20 10:04 IST
Mayawati News (photo: social media )

Mayawati News:कभी उत्तर प्रदेश की सियासत में शीर्ष पर रही बहुजन समाज पार्टी आज तीसरे एवं चौथे स्थान के लिए कांग्रेस समेत अन्य छोटी पार्टियों से संघर्ष कर रही है। पार्टी के लगातार सिकुड़ते जनाधार से कार्यकर्ताओं और नेताओं में बेचैनी है। निकाय चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद अब बीएसपी अगले साल होन वाले आम चुनाव की तैयारियों में जुट गई है। पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती ने कल यानी बुधवार 21 जून को राजधानी लखनऊ में बड़ी बैठक बुलाई है।

मायावती ने ट्वीट कर कल होने जा रही बैठक की जानकारी दी है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, उत्तर प्रदेश व देश में तेज़ी से बदल रहे राजनीतिक हालात, उससे सम्बंधित ख़ास घटनाक्रमों एवं समीकरणों के साथ ही आगामी लोकसभा आम चुनाव की तैयारी आदि को लेकर बीएसपी यूपी स्टेट, सभी मण्डल तथा सभी ज़िला स्तर के वरिष्ठ पदाधिकारियों की महत्त्वपूर्ण रणनीतिक बैठक कल लखनऊ में आहूत की जा रही है।

क्या सपा के दांव के कारण एक्टिव हुई मायावती ?

पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का साल 2012 के विधानसभा में मिली शिकस्त के बाद से जो सियासी बुरा दौर शुरू हुआ, वो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा। पहले और दूसरे नंबर की पार्टी रही बसपा अब तीसरे – चौथे नंबर पर जा चुकी है। समाजवादी पार्टी के साथ अलायंस भी वो कमाल नहीं दिखा सकी, जो पड़ोसी राज्य बिहार में राजद-जदयू के गठबंधन से हुआ। यही वजह है कि मायावती अबकी बार अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी हैं।

अकेले चुनावी समर में उतरने की तैयारी कर रही मायावती को सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के नए सियासी दांव से चिंता होने लगी है। दरअसल, अब तक एमवाय (मुस्लिम-यादव) समीकरण के तहत राजनीति करने वाली सपा अब नए समीकरण पर काम कर रही है। जिसका जिक्र अखिलेश यादव ने पिछले दिनों पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (पीडीए) के रूप में किया था। ध्यान से देखें तो सपा की इस नई कवायद से सबसे अधिक बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ही प्रभावित होगी।

अखिलेश यादव की रणनीति मायावती के कैंप में मौजूद बचे खुचे मुस्लिम, दलित और पिछड़े तबकों के वोटरों को अपने पाले में रिझाने का है। हालांकि, वो भाजपा के पाले में गए पिछड़ी जातियों और दलितों को भी अपने पाले में लाने की बात करते हैं। लेकिन जानकार मानते हैं कि उनका असल निशाना मायावती के वोटबैंक पर है। बसपा के कई नेताओं का सपा में जाना इस पर काफी हद तक मुहर भी लगाता है। मायावती ने अबकी बार निकाय चुनाव में बड़ी संख्या में मुस्लिमों को टिकट देकर उन्हें एकबार फिर अपने पाले में करने की नाकाम कोशिश कर चुकी हैं।

मायावती को सपा की रणनीति का आभास

पूर्व मुख्यमंत्री को सपा की रणनीति का आभास हो गया है, यही वजह है कि कल उन्होंने अखिलेश यादव के पीडीए वाले बयान पर जोरदार पलटवार किया था। मायावती ने ट्वीट कर लिखा था, सपा द्वारा एनडीए के जवाब में पीडीए (पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक) का राग, इन वर्गों के अति कठिन समय में भी केवल तुकबन्दी के सिवाय और कुछ नहीं। इनके पीडीए का वास्तव में अर्थ परिवार, दल, एलाइन्स है जिस स्वार्थ में यह पार्टी सीमित है। इसीलिए इन वर्गों के लोग जरूर सावधान रहें।

राजनीतिक जानकार बीएसपी सुप्रीमो मायावती द्वारा कल यानी 21 जून को बुलाई गई बैठक को इसी से जोड़कर देख रहे हैं। माना जा रहा है कि इस बैठक में सपा द्वारा पिछड़ों, दलितों और मुस्लिमों को अपने पक्ष में गोलबंद करने की हो रही कोशिशों के जवाब में किसी रणनीति पर चर्चा होगी। बता दें कि लोकसभा में फिलहाल बीएसपी के पास 10 सांसद हैं। अगर पार्टी अगले आम चुनाव में कम से कम इस संख्या को भी बरकरार नहीं रख सकी तो राष्ट्रीय राजनीति में मायावती के कद को बड़ा झटका लग सकता है और तब शायद पार्टी के लिए इससे उबरना भी मुश्किल हो जाएगा।

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