UP News: मेडिकल कॉलेजों को 15 दिन के अंदर करनी होगी अपील, कई कॉलेजों में मूलभूत सुविधाएं नहीं

UP News: मान्यता प्राप्त करने के लिए मेडिकल कॉलेज अपनी कमियां दूर करने के बाद एनएमसी में अपील कर सकते हैं। फैसले के खिलाफ अपील के लिए 15 दिन का समय है। बता दें कि इन कॉलेजों में से अधिकतर कॉलेजों में भर्ती प्रक्रिया जारी है।

Report :  Abhishek Mishra
Update:2024-07-08 19:00 IST

UP News: उत्तर प्रदेश में बने 13 नए मेडिकल कॉलेजों को नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने मान्यता देने से मना कर दिया है। कमीशन ने कॉलेजों में चिकित्सा शिक्षकों एवं अन्य संसाधनों की कमी को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। बता दें कि यूपी के बिजनौर, लखीमपुर खीरी, सुल्तानपुर, कौशांबी, कुशीनगर, चंदौली, कानपुर देहात, ललितपुर, सोनभद्र, पीलीभीत, ओरैया, बुलंदशहर और गोंडा जैसे जिलों में स्वशासी राज्य मेडिकल कॉलेज बनाए गए हैं। कॉलेजों को फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए 15 दिनों का वक्त दिया गया है।

अपील करने के लिए 15 दिन का समय

मान्यता प्राप्त करने के लिए मेडिकल कॉलेज अपनी कमियां दूर करने के बाद एनएमसी में अपील कर सकते हैं। फैसले के खिलाफ अपील के लिए 15 दिन का समय है। बता दें कि इन कॉलेजों में से अधिकतर कॉलेजों में भर्ती प्रक्रिया जारी है। चिकित्सा शिक्षा एवं चिकित्सा स्वास्थ्य व परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा के अनुसार सभी कॉलेजों के प्रधानाचार्यों को निर्देश दे दिया है। तैयारी शुरू हो गई है। निर्धारित समय में अपील की जाएगी।

सीटें बढ़ाने की योजना को झटका

मेडिकल कॉलेज के बनने से चिकित्सा शिक्षा विभाग में एक साथ 1300 सीटें बढ़ने वाली थी। लेकिन अब इस योजना को झटका लगा है। जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश में सरकारी क्षेत्र की एमबीबीएस की 3828 और निजी क्षेत्र की 5450 सीटें हैं। नए बने कॉलेजों को मान्यता मिलने के बाद एमबीबीएस की 1300 सीटें बढ़ जातीं।

कॉलेजों में सीटी स्कैन व ब्लड सेपरेशन यूनिट नहीं

नेशनल मेडिकल कमीशन की ओर भेजे गए पत्र में बताया गया है कि कहां फैकल्टी के कितने फीसदी पद खाली हैं। पत्र के अनुसार कुशीनगर में 85.7 फीसदी, गोंडा में 84.70 फीसदी, सोनभद्र में 74 फीसदी, कौशांबी में 72.79 फीसदी, कानपुर देहात में 76.50 फीसदी, चंदौली में 65 फीसदी, ललितपुर में 64.70 फीसदी, औरैया में 68 फीसदी, बुलंदशहर में 48 फीसदी, सुल्तानपुर में 47 फीसदी पद खाली हैं। इसके अतिरिक्त मेडिकल कॉलेजों की भी यही दशा है। कई कॉलेजों में सीटी स्कैन मशीन, ब्लड सेपरेशन यूनिट आदि भी नहीं हैं।

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