Lucknow News: मासिक धर्म कप से संक्रमण का जोखिम कम, IIM लखनऊ के साझा अध्ययन में सामने आई ये बातें

Lucknow News: आईआईएम लखनऊ की प्रो. प्रियंका शर्मा का कहना है कि मासिक धर्म कप के काफी फायदे हो सकते हैं, इसके बावजूद इसका उपयोग अभी बहुत सीमित है। बाकी विकासशील देशों की तरह भारत में भी अभी इसे लेकर तमाम सामाजिक भ्रांतियां और वर्जनाएं हैं।

Report :  Abhishek Mishra
Update:2024-09-19 18:00 IST

Lucknow News: मासिक धर्म कप यानी मेंस्ट्रुअल कप (Menstrual Cup) से माहवारी स्वच्छता के क्षेत्र में क्रांति लाई जा सकती है। अगर इसके उपयोग को बढ़ावा दिया जाए तो न सिर्फ माहवारी स्वच्छता बल्कि पर्यावरणीय अस्थिरता, अपशिष्ट और संक्रमण के जोखिम को भी कम किया जा सकता है। आईआईएम लखनऊ के एक साझा अध्ययन में यह बातें सामने आई हैं। जर्नल ऑफ सोशल मार्केटिंग में यह शोध पत्र प्रकाशित किया गया है।

आईआईएम लखनऊ ने किया साझा अध्ययन 

आईआईएम लखनऊ की प्रोफेसर प्रियंका शर्मा ने सिम्बायोसिस सेंटर फॉर मैनेजमेंट स्टडीज नोएडा के डॉ. रिंकू संजीव और सिम्बायोसिस इंटरनेशनल (डीम्ड यूनिवर्सिटी), पुणे की स्मृति शुक्ला संग मिलकर यह अध्ययन किया है। प्रो. प्रियंका ने बताया कि यदि मासिक धर्म कप के उपयोग को बढ़ावा दिया जाए तो न सिर्फ माहवारी स्वच्छता बल्कि पर्यावरणीय अस्थिरता, अपशिष्ट और संक्रमण के जोखिम को भी कम किया जा सकता है।

मासिक धर्म कप का उपयोग अभी बहुत सीमित

आईआईएम लखनऊ की प्रो. प्रियंका शर्मा का कहना है कि मासिक धर्म कप (Menstrual Cup) के काफी फायदे हो सकते हैं, इसके बावजूद इसका उपयोग अभी बहुत सीमित है। बाकी विकासशील देशों की तरह भारत में भी अभी इसे लेकर तमाम सामाजिक भ्रांतियां और वर्जनाएं हैं। नीति निर्माताओं का लक्ष्य मासिक धर्म कप के उपयोग को बढ़ावा देना है। उन्होंने बताया कि इसके लिए भावनात्मकता पर जोर देकर, मासिक धर्म कप के मूल्य और उनके स्थायी लाभों को प्रदर्शित करने, पर्यावरणीय अपशिष्ट को और अधिक प्रोत्साहित करने की जरूरत है।

सेनेटरी पैड का विकल्प है मासिक धर्म कप

मासिक धर्म कप सेनेटरी पैड का एक विकल्प है। इसमें मासिक धर्म के प्रवाह को रोकने के बजाय उसे जमा किया जाता है। आठ से 10 घंटे बाद कप को हटाया जाता है। इसे दोबारा इस्तेमाल के लिए साफ किया जाता है। संक्रमण रहित होने के साथ ही यह पर्यावरण के लिए भी अनुकूल है।

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