Lucknow News : MLC कुंवर अक्षय प्रताप सिंह ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, 'पासी रेजीमेंट' बनाने की मांग की

Lucknow News : विधान परिषद सदस्य कुंवर अक्षय प्रताप सिंह “गोपाल जी” ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर पासी समाज को लेकर बड़ी मांग की है। उन्होंंने पीएम मोदी से भारतीय सेना में ‘पासी रेजिमेंट’ को शामिल करने का अनुरोध किया है।

Newstrack :  Network
Update: 2024-08-25 14:51 GMT

Lucknow News : विधान परिषद सदस्य कुंवर अक्षय प्रताप सिंह “गोपाल जी” ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर पासी समाज को लेकर बड़ी मांग की है। उन्होंंने पीएम मोदी से भारतीय सेना में ‘पासी रेजिमेंट’ को शामिल करने का अनुरोध किया है। अक्षय प्रताप ने इसके पीछे कारण बताते हुए लिखा है कि पासी समाज लंबे समय से भारतीय सेना में ‘पासी रेजिमेंट’ स्थापित करने की मांग कर रहा है।

विधान परिषद सदस्य कुंवर अक्षय प्रताप सिंह ने अपने पत्र के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी से सेना में पासी रेजिमेंट की स्थापना करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि देश में पासी समाज ने मुग़लों से लेकर अंग्रेजों तक लड़ाई लड़ी है। पासी समाज की 21 उपजातियां हैं, जिन्होंने मुग़लों से लंबा संघर्ष किया। इस समाज ने भारतीय संस्कृति एवं सनातन की रक्षा के लिए मुग़लों से अपनी जान की बाज़ी लगा दी। पासी समाज के लड़ाकों के साथ-साथ उसकी वीरांगनाओं ने भी अपने समाज और आबरू बचाने के लिए सुअर पालने शुरू किए। क्योंकि जहां सुअर होते थे, वहां मुगल अक्रांता जाने से परहेज़ करते थे। पासी समाज ने अपने पौरुष और रणकौशल से हिंदू समाज के रक्षक के रूप में लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी। आज़ादी के बाद से थानों में पासी जाति के चौकीदार नियुक्त किए जाते रहे हैं।

पासी समाज के योगदान को नजर अंदाज नहीं कर सकते

उन्हाेंने अपने पत्र में आगे लिखा, पासी समाज देश भर में है और आज भी अपने बलों, पौरुष के कारण सबसे बड़े मेहनतकश मज़दूर हैं। अपने शौर्य के बूते भारत की हरित क्रांति में पासी समाज के योगदान को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है। 1857 की क्रांति में राणा बेनी माधव बख़्श सिंह के नेतृत्व में लड़े जाने वाली लड़ाई में भी राणा की सेना के सेनापति बीरा पासी ही थे, जिन्होंने अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए थे। यह इस बिरादरी के लिए बहत दुखद है कि स्वाधीन भारत में पासी समुदाय की वीरता का सम्मान नहीं मिला है। 12वीं शताब्दी से स्वतंत्रता तक विदेशी आक्रांताओं से लेकर अंग्रेजों तक से लोहा लेने वाली इस जाति को सम्मान देने के लिए भारतीय सशस्त्र सेना में पासी रेजीमेण्ट गठित करने की मांग की है। 

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