Nawab Wajid Ali Shah Birth Anniversary: अवध के नवाब जिन्होंने 300 शादियों का रिकॉर्ड बनाया, जानिए इनके बारे में सब कुछ
Nawab Wajid Ali Shah Birth Anniversary: वाजिद अली शाह एक भारतीय सम्राट थे जो 30 जुलाई 1822 को लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत में पैदा हुए थे। उन्हें लखनऊ के आखिरी नवाब और अवध के एक शानदार सम्राट के रूप में जाना जाता है।
Nawab Wajid Ali Shah Birth Anniversary: वाजिद अली शाह एक भारतीय सम्राट थे जो 30 जुलाई 1822 को लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत में पैदा हुए थे। उन्हें लखनऊ के आखिरी नवाब और अवध के एक शानदार सम्राट के रूप में जाना जाता है। नवाब वाजिद अली शाह को एक दयालु, उदार, करुणामय और एक अच्छे शासक के रूप में जाना जाता है, जो राज्य के कार्यों में ज्यादा रुचि रखते थे।वाजिद अली शाह ने अपने शानदार संस्कृति, कला, संगीत, और वाद्य संग्रहालय के लिए भी मशहूर थे। उनके समय की अवधी संस्कृति और कला को आज भी याद किया जाता है। वाजिद अली शाह ने 1856 में ब्रिटिश सरकार द्वारा अवध पर शासन का अंत होने से पहले अपने सात वर्षीय शासनकाल में अवधी संस्कृति और कला को प्रोत्साहित किया
नवाब वाजिद अली शाह का प्रारंभिक जीवन
नवाब वाजिद अली शाह का प्रारंभिक जीवन उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुआ था। उनके पिता का नाम मिर्ज़ा अख्तर अली था, जो नवाब गज़ीउद्दीन हैदर के राजदार थे। वाजिद अली शाह को बचपन से ही संस्कृति, संगीत, और कला में रुचि थी। उनके पिता के निधन के बाद, उन्हें नवाब बनाया गया और वे अवध के नवाब बने।
उनके समय में लखनऊ अवधी संस्कृति और कला का केंद्र था और वह अपने दरबार के साथ कला, संगीत, और सभ्यता का समर्थन करते थे। वाजिद अली शाह का प्रारंभिक जीवन उनके भव्य दरबार और राजसी जीवन के लिए महत्वपूर्ण था और उन्होंने अपने शासनकाल में अवध की सांस्कृतिक और कला की प्रशस्ति को बढ़ावा दिया।
केसरबाग बरादारी महल का कराया निर्माण
नवाब वाजिद अली शाह ने लखनऊ में एक शानदार संरचित महल का निर्माण करवाया था, जिसे "केसरबाग बरादारी महल" के नाम से जाना जाता है। यह महल उनके दरबार के लिए एक सुंदर आवास के रूप में बनाया गया था।
केसरबाग बरादारी महल का निर्माण 19वीं सदी के उपासकी में हुआ था और इसे विशाल सभ्यता, संस्कृति, और कला के प्रदर्शन के लिए उपयोग किया जाता था। महल के सुंदर बगीचे, मार्बल झील, और चारबाग के नक्शे उसकी खूबसूरती को और बढ़ाते थे।
केसरबाग बरादारी महल का निर्माण करवाने से वाजिद अली शाह ने अवध के संस्कृति और शान को समर्थन किया था और इसे अपने दरबार की मान-महिमा का प्रतीक बनाया था। आज भी केसरबाग बरादारी महल लखनऊ के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है और वहां के दर्शनीय स्थलों में से एक माना जाता है।
1857 की ग़दर और नवाब वाजिद अली शाह की जूतियाँ
वर्ष 1857 की ग़दर के समय जब अंग्रेज़ों ने अवध पर कब्ज़ा करने के लिए नवाब के किले पर हमला किया तो वह अबदार ही थे। डर की वजह से पूरी फ़ौज भाग गयी और 300 पत्नियां भी इधर उधर चली गयी। अंग्रेज़ों ने नवाब साहब को घेर लिया और पुछा दबा भाग गए मगर आप क्यों नहीं गए तो नवाब साहब बोले मुझे अपनी जूतियाँ नहीं मिली। उन्हें लाने वाला कोई नहीं था और बिना जूती के मैं कैसे और कहा जाता।
मोहब्बत की लम्बी कहानी
नवाब वाजिद अली शाह अपने संगीत प्रेम के लिए जाने जाते हैं। किसी ज़माने में भातखंडे विश्वविद्यालय में नवाब की पत्नियां रहती थी। जो परी नवाब की पत्नी बनती थी उसे महल कहा जाता था।
आठ वर्ष की उम्र में किया सेक्स
नवाब वाजिद अली शाह ने अपनी किताब इश्कनामा में बताया हैं की मर्द और औरत के बीच का फर्क उन्हें आठ वर्ष की उम्र के समझ आ गया था। यह ज्ञान उन्हें रहिमन नाम की रखा औरत ने करवाया था। नवाब ने कुल 300 शादियां करी थी और 112 निकाह। अरब व्यापारियों की गुलान औरतों से भी शादी करी और उन्हें अपना सिपाही बनाया।
नवाब वाजिद अली की प्रसिद्ध रचनाएँ
वाजिद अली शाह ने अनेक कविताएं, नाटक, गद्य, राग, ग़ज़ल में महारथ हासिल की थी। उनकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं- बाबुल मोरा छूटो जाये, दीवाने-अख्तर, हुसैन-ए-अख्तर, जोगी, शाह-पसंद, अफ्सेन-ए-इसाक आदि हैं।