उच्च शिक्षा को अंतराष्ट्रीय मान्यता दिलाने में मदद करेगी न्यू एजुकेशन पॉलिसी, बोले नैक चेयरमैन
NAAC: चेयरमैन प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) उच्च शिक्षा को अंतरराष्ट्रीय मान्यता दिलाने में मदद करेगी। एनईपी भारत में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव का मार्ग प्रशस्त करेगी।
Naac Workshop in BBAU: बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में शुक्रवार को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NAAC) की क्षेत्रीय सलाहकार कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें 9 राज्यों से कुलपति, आईक्यूएसी डायरेक्टर, प्रधानाचार्य एवं शिक्षा अधिकारियों ने हिस्सा लिया। यहां नैक के चेयरमैन प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे मुख्य अतिथि रहे। इस दौरान नैक चेयरमैन ने कार्यशाला को संबोधित किया और केंद्र सरकार द्वारा लाई गई नई शिक्षा नीति पर प्रकाश डाला।
मजबूत शिक्षा प्रणाली के माध्यम से विकास सुनिश्चित होगा
मुख्य अतिथि प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) उच्च शिक्षा को अंतरराष्ट्रीय मान्यता दिलाने में मदद करेगी। एनईपी भारत में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव का मार्ग प्रशस्त करेगी। इसका तात्पर्य यह है कि हमारे पाठ्यक्रम और मूल्यांकन प्रक्रिया में इन मूल्यों को ध्यान में रखकर एक मजबूत शिक्षा प्रणाली के माध्यम से विकास सुनिश्चित किया जा सकता है। नैक डायरेक्टर प्रो. गणेशन कन्नाबिरन ने मूल्यांकन की नयी प्रणाली का विवरण दिया। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित सुधार विकसित भारत 2047 के दृष्टिकोण को प्राप्त करने के आधार पर तैयार किये गए हैं। मूल्यांकन का नया ढांचा "व्यवसाय करने में आसानी और सिस्टम में विश्वास" का प्रतीक है, जो कि बिना किसी डर या अवरोध के मान्यता के लिए स्व-निर्देशित प्रेरणा को सक्षम बनाता है।
राष्ट्र को मजबूत करने में शिक्षा का अहम योगदान
बीबीएयू के कुलपति प्रो. एन.एम.पी. वर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालयों को नियमित रूप से अपने आंकड़ों को एकत्रित एवं व्यवस्थित करते रहना चाहिए, जिससे मूल्यांकन के समय आने वाली चुनौतियों को दूर किया जा सके। साथ ही किसी भी राष्ट्र के सामाजिक एवं आर्थिक विकास के ढांचे को मजबूत करने में उच्च शिक्षा का अहम योगदान है और NAAC की नयी मूल्यांकन प्रणाली में इस बात को ध्यान में रखकर तय की गयी है। नैक सदस्य प्रो. शुचिता पाण्डेय ने कहा कि शिक्षा प्रणाली में मूल्यांकन हेतु बदलाव की आवश्यकता है। जिससे उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को गंभीरता से लेते हुए विभिन्न विश्वविद्यालय एवं शिक्षण संस्थान मूल्यांकन की प्रक्रिया में आगे आये। आगामी 5 वर्षों में देश के 90% छोटे- बडे़ शिक्षण संस्थानों को नैक मूल्यांकन प्रक्रिया में शामिल करना ही इस नये फ्रेमवर्क का उद्देश्य है। नैक के डिप्टी एडवाइजर डॉ. प्रशांत पी. परहाद ने बताया कि नैक विभिन्न राज्यों के उच्च शिक्षा विभागों और परिषदों के साथ मिलकर कार्यशालाओं का आयोजन कर रहा है, जिससे विभिन्न राज्यों से आये कुलपति, प्रधानाचार्य NAAC की आसान कार्यप्रणाली से अवगत हो और इस विषय को गंभीरता से लें। क्योंकि शिक्षा के स्तर को बढ़ाने का कार्य सरकार के साथ साथ स्वयं शिक्षण संस्थानों पर भी निर्भर करता है।
तीन तकनीकी सत्रों का आयोजन
कार्यशाला में तीन तकनीकी सत्र का आयोजन हुआ। पहले सत्र में नैक डायरेक्टर प्रो. गणेशन कन्नाबिरन ने "बाइनरी प्रत्यायन ढांचा" विषय पर विस्तृत चर्चा की। दूसरे सत्र में नैक के एडवाइजर डॉ. बी.एस. पोनमुदिराज ने नैक मूल्यांकन से संबंधित "मीट्रिक और माप" विषय के बारे में बताया। तीसरे सत्र में पैनल चर्चा का आयोजन किया गया। इस मौके पर बीबीएयू के आईक्यूएसी डायरेक्टर प्रो. राम चन्द्रा, डॉ. विनीता साहू, चण्डीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, हिमांचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख़, पंजाब, उत्तराखंड एवं उत्तर प्रदेश राज्यों के कुलपति, आईक्यूएसी डायरेक्टर, प्रधानाचार्य एवं शिक्षा अधिकारी उपस्थित रहें।