प्रकृति की रक्षा हेतु वृक्षा रोपण का किया संकल्प

इस बात को भली भांति समझ चुके हैं कि यदि उन्होंने समय रहते प्रकृति और पेड़ पौधों की रक्षा के लिए अपनी जिमेदारी नहीं महसूस की विनाश होना तय है

Report :  Jyotsna Singh
Update:2024-07-07 21:02 IST

प्रकृति की रक्षा हेतु वृक्षा रोपण का किया सकल्प ( Photo- Newstrack)

Lucknow News: पेड़ पौधों की लगातार घटती संख्या के कारण पर्यावरण में आटी रहे बदलाव ने मानव जीवन पर अपना विपरीय प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया है। यही वजह है कि लोगों के भीतर अब पर्यावरण रक्षा हेतु चेतना जागृत हो चुकी है। लोग इस बात को भली भांति समझ चुके हैं कि यदि उन्होंने समय रहते प्रकृति और पेड़ पौधों की रक्षा के लिए अपनी जिमेदारी नहीं महसूस की विनाश होना तय है। इसी दिशा में उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी के मीडिया सेन्टर के छात्रों द्वारा आज सेंटर के समन्वयक आलोक श्रीवास्तव के निर्देशन में नगर के विभिन्न छेत्रों में लगभग 100 वृक्ष लगाए गए, पारा, निशातगंज बंधे से हनुमान सेतु तथा विभूतिखंड में लंबी आयु और वृहद वायु शोधन वाले पौधे जैसे पीपल, बरगद, पाकड़, नीम, अशोक, आम और जामुन के करीब 100 पेड़ लगाए गए।

इस अवसर पर उर्दू अकादमी के सचिव आदिल हसन ने कहा कि प्रकृति के प्रति हमारी जिम्मेदारी को मीडिया सेंटर के समन्वयक व छात्रों ने बखूबी अंजाम दिया है और भविष्य में अकादमी इस प्रकार के कार्यक्रमों को दिल खोल कर सहयोग करेगी।वहीं उर्दू अकादमी के मीडिया सेन्टर सेंटर के समन्वयक आलोक श्रीवास्तव ने कहा कि हमारी आने वाली पीढ़ी को एक सांस लेने लायक स्वस्थ पर्यावरण सौपने की हम सब की महती जिम्मेदारी है। उसके लिए बहुत जरूरी है कि हम इस दिशा में ज्यादा से ज्यादा व्रक्षा रोपण कर अपनी अपनी भूमिका निभाएं और दूसरों को भी प्रेरित करें।

ताकि जल्द से जल्द हम इस भयावह स्थिति से बाहर निकल सकें। पर्यावरण की रक्षा में अपना योगदान देने वाले पौधों जैसे वायु शोधन वाले पौधे जैसे पीपल, बरगद, पाकड़, नीम, अशोक, आम और जामुन को अधिक से अधिक संख्या में रोपा जाए। साथ ही इनकी बराबर देखभाल और निगरानी भी की जाए। अक्सर देखा जाता है लोग व्रक्षा रोपण के नाम पर बड़े बड़े आयोजन करते हैं और फोटो खिंचवाने तक अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं। ज्यादा तर उचित देख भाल न मिलने से वो सारे वृक्ष कुछ ही दिनों में सूख जाते हैं। प्रकृति रक्षा के नाम पर इस तरह के झूठे दिखावे से हमें बचना चाहिए। और इस चुनौती की गंभीरता को समझते हुए हमे ये काम महज़ दिखावे के लिए नहीं बल्कि संपूर्ण मानव जीवन की रक्षा हेतु संकल्पित होकर करना चाहिए।

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