OP Rajbhar: टेंपो चालक से कद्दावर नेता बने ओमप्रकाश राजभर, जानिए कैसा रहा सियासी सफर, मंत्री बनाकर BJP को क्या होगा फायदा

OP Rajbhar: सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओमप्रकाश राजभर मौजूदा दौर में उत्तर प्रदेश के सियासत के सबसे चर्चित चेहरों में गिने जाते हैं। उन्होंने अपनी जिंदगी में काफी उतार-चढ़ाव देखे हैं और टेंपो चालक से लेकर प्रदेश सरकार में मंत्री तक का सफर तय किया है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2024-03-05 19:22 IST

Omprakash Rajbhar (Pic:Social media)


OP Rajbhar: योगी सरकार के कैबिनेट विस्तार में आज सुभासपा के मुखिया ओमप्रकाश राजभर ने कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली है। उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा से नाता तोड़ने और मंत्री पद छोड़ने के पांच साल बाद योगी सरकार में ओमप्रकाश राजभर की वापसी हुई है। आज हुए कैबिनेट विस्तार में भाजपा की ओर से एमएलसी दारा सिंह चौहान और सुनील शर्मा को मंत्री बनाया गया है। रालोद कोटे से अनिल कुमार ने कैबिनेट मंत्री पद के शपथ ली है।

ओमप्रकाश राजभर और दारा सिंह चौहान के मंत्री बनने की चर्चा पिछले साल से ही सुनी जा रही थी। दोनों नेताओं के मंत्री बनने से पूर्वांचल में लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा को सियासी फायदा मिलने की संभावना है। माना जा रहा है कि बीजेपी इन मंत्रियों के जरिए सपा मुखिया अखिलेश यादव के पीडीए की काट निकालने की कोशिश करेगी। योगी सरकार में दोबारा मंत्री बने ओमप्रकाश राजभर का सियासी सफर काफी संघर्षपूर्ण रहा है। ऐसे में उनके लंबे सियासी सफर के विभिन्न पहलुओं को जानना जरूरी है।

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टेंपो चालक से लेकर मंत्री तक का सफर

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओमप्रकाश राजभर मौजूदा दौर में उत्तर प्रदेश के सियासत के सबसे चर्चित चेहरों में गिने जाते हैं। उन्होंने अपनी जिंदगी में काफी उतार-चढ़ाव देखे हैं और टेंपो चालक से लेकर प्रदेश सरकार में मंत्री तक का सफर तय किया है। राजभर मूल रूप से वाराणसी जिले के फतेहपुर खोदा सिंधौरा के रहने वाले हैं। ओमप्रकाश राजभर का जन्म 15 अक्टूबर 1962 को हुआ था। उनके पिता का नाम सन्नू राजभर है,जो कोयला खदान में काम करते थे। पेशे से किसान राजभर ने 1983 में बलदेव डिग्री कॉलेज, बड़ागांव, वाराणसी से बीए की परीक्षा पास की थी। बाद में उन्होंने राजनीति शास्त्र में एमए की डिग्री हासिल की।

अपने छात्र जीवन के दौरान राजभर आर्थिक रूप से काफी कमजोर स्थिति में थे और इसी कारण छात्र जीवन के दौरान खर्च निकालने के लिए उन्होंने टेंपो भी चलाया। इसके अलावा उन्होंने गांव में सब्जी की खेती भी की। उनका विवाह राजमति राजभर के साथ हुआ और उनके दो पुत्र हैं जिनका नाम अरुण राजभर और अरविंद राजभर है। राजभर ने अपने दोनों बेटों को भी सियासी मैदान में उतार दिया है।

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बसपा के साथ सियासी पारी की शुरुआत

ओमप्रकाश राजभर ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत बसपा के संस्थापक काशीराम के साथ की थी। वे लंबे समय तक बसपा के साथ रहे मगर 2001 में उनका बसपा मुखिया मायावती के साथ विवाद हो गया और इस कारण उन्होंने बसपा से इस्तीफा दे दिया। राजभर ने भदोही का नाम बदलकर संत कबीर नगर रखे जाने पर नाराजगी जताई थी।

इसके बाद उन्होंने नई पार्टी बनाने का फैसला किया और अपनी नई पार्टी का नाम सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी रखा। सुभासपा ने 2004 से चुनाव लड़ने की शुरुआत की मगर यूपी और बिहार में पार्टी को कहीं भी कामयाबी नहीं मिल सकी।

भाजपा के साथ गठबंधन से खुली किस्मत

उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान राजभर भारतीय जनता पार्टी के साथ चुनावी गठबंधन में कामयाब हुए। 2017 के चुनाव में भाजपा ने राजभर को आठ सीटें दी थीं और इनमें से चार सीटों पर राजभर की पार्टी के प्रत्याशी जीत हासिल करने में कामयाब हुए। राजभर की पार्टी की इस कामयाबी ने सबको हैरान कर दिया था।

2017 में भाजपा ने अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश में बड़ी सियासी जीत हासिल की थी। चुनाव नतीजे की घोषणा के बाद राज्य में योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में नई सरकार का गठन हुआ था और इसमें ओमप्रकाश राजभर को कैबिनेट मंत्री बनने का मौका मिला था। राजभर को योगी आदित्यनाथ की सरकार में पिछड़ा वर्ग कल्याण और दिव्यांग जन कल्याण मंत्री बनाया गया, लेकिन गठबंधन विरोधी गतिविधियों के कारण उन्हें 2019 में बर्खास्त कर दिया गया।

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सपा के साथ गठबंधन मगर जल्द हो गए दूर

उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव में राजभर ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया था। सपा के साथ गठबंधन में राजभर की पार्टी को 18 सीटें मिली थीं। 2022 के चुनाव में राजभर की पार्टी 6 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही। हालांकि विधानसभा चुनाव के बाद राजभर की सपा मुखिया अखिलेश यादव के साथ ज्यादा दिनों तक पटरी नहीं बैठ सकी। उन्होंने सपा मुखिया पर व्यंग बाण छोड़ने शुरू कर दिए और धीरे-धीरे सपा और सुभासपा के बीच दूरियां बढ़ती गईं।

लंबे इंतजार के बाद अब बने मंत्री

बाद में राजभर ने सपा का साथ छोड़कर एनडीए में शामिल होने का फैसला किया। एनडीए में शामिल होने के बाद से ही राजभर लगातार योगी सरकार में जल्द मंत्री बनने के दावे करते रहे। हालांकि उन्हें मंत्री बनाए जाने का मामला काफी दिनों तक लटका रहा।

अभी हाल में उन्होंने बयान दिया था कि यदि मुझे जल्द मंत्री नहीं बनाया गया तो मैं होली का त्योहार नहीं मनाऊंगा। अब योगी सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनने का मौका मिला है। राजभर का असर पूर्वांचल की कई लोकसभा सीटों पर माना जाता है और ऐसे में उन्हें मंत्री बनाकर भाजपा ने पिछड़े वोट बैंक में अपनी पकड़ को और मजबूत बनाने का प्रयास किया है।

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