Lucknow News : सोशलिस्ट पार्टी ने चारबाग़ रेलवे स्टेशन पर किया प्रदर्शन, सरकार के सामने रखी ये मांगे

Lucknow : सोशलिस्ट पार्टी के समर्थकों और कार्यकर्तायों राजधानी लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन पर अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। पार्टी कार्यकर्ताओं ने सामान्य और स्लीपर श्रेणी के डिब्बों में की गई कटौती के खिलाफ विरोध जताया है।

Update: 2024-07-24 11:18 GMT

Lucknow : सोशलिस्ट पार्टी के समर्थकों और कार्यकर्तायों राजधानी लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन पर अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। पार्टी कार्यकर्ताओं  ने सामान्य और स्लीपर श्रेणी के डिब्बों में की गई कटौती के खिलाफ विरोध जताया है। उनका कहना है कि सरकार को यात्रियों की संख्या के आधार पर डिब्बों की संख्या तय करनी चाहिए, न कि मनमाने तरीके से। सामान्य श्रेणी और स्लीपर श्रेणी के डिब्बों में की गई कटौती को बहाल करने की मांग की है।

सोशलिस्ट पार्टी के महासचिव संदीप पाण्डे ने कहा कि भारतीय रेल स्लीपर श्रेणी एवं सामान्य श्रेणी के डिब्बों में कटौती कर एयरकंडीशन डिब्बों की संख्या बढ़ा रही है। स्लीपर श्रेणी का किराया सामान्य श्रेणी के किराए से डेढ़ गुना से ज्यादा होता है व एसी तृतीय श्रेणी का किराया स्लीपर श्रेणी से दो से ढाई गुना होता है। आजकल बस का किराया सामान्य श्रेणी के किराए से तीन गुना से ज्यादा हो गया और लगभग रेलवे के एसी. तृतीय श्रेणी के किराए के बराबर हो गया है।

उन्होंने कहा कि यह सोचने का विषय है कि जिस देश में इंसान सामान्य श्रेणी में जानवरों की तरह सफर करने को तैयार होता है तो उसकी मजबूरी ही होगी कि वह उससे ज्यादा पैसे नहीं खर्च कर सकता। यदि सामान्य श्रेणी और स्लीपर श्रेणी के डिब्बों की संख्या कम की जाएगी तो भारत का आम यात्री कैसे यात्रा करेगा? यदि हमारे संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार अनुच्छेद 19 (घ) की कोई देश में कहीं भी यात्रा कर सकता है, का उल्लंघन है, क्योंकि रेलवे ही यात्रा करने का सबसे सस्ता साधन है।

ये हैं मांगे

- रेलवे में स्लीपर श्रेणी एवं सामान्य श्रेणी के डिब्बों में की गई कटौती को बहाल किया जाए। किसी श्रेणी में चलने वाले यात्रियों की संख्या के आधार पर डिब्बों की संख्या तय होनी चाहिए न कि मनमाने तरीके से।

- जलवायु परिवर्तन के गहराते संकट को देखते हुए धारे-धीरे एयर कंडीशन डिब्बे हटाए जाएं।


- यात्रियों के किराए में की जा रही बढ़ोतरी रोकी जाए। वरिष्ठ नागरिकों, विकलांगों आदि को दी जाने वाली छूट बहाल की जाए। टिकट रद्दीकरण के पुराने नियम बहाल किए जाएं।

- रेलवे की विभिन्न सेवाओं में किए जा रहे निजीकरण को रोका जाए। रेलवे सार्वजनिक सम्पत्ति है, किसी भी सरकार को यह अधिकार नहीं है कि संविदा कर्मचारियों की जगह नियमित कर्मचारियों से काम कराया जाए।

- खाली पड़ी जगहों पर तुरंत नियुक्तियां की जाएं, मनमाने तरीके से सेवाओं का निजीकरण न करें।

- आईआरसीटीसी को पूरी तरह भारतीय रेलवे के तहत लाया जाए। आईआरसीटीसी द्वारा संचालित निजी तेजस एक्सप्रेस को भारतीय रेल चलाए।

- भारतीय रेल 12 खरब रुपए खर्च करके कैमरे व निगरानी की व्यवस्था लागू करने जा रही है, उसका आम इंसान के लिए कोई उपयोग नहीं। इससे ज्यादा जरूरी है कि ट्रेन दुर्घटना रोकने के लिए अतिरिक्त लोको पॉयलटों की भर्ती की जाए।

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