AKTU: अंतरिक्ष प्रदर्शनी का हुआ शुभारंभ, इसरो वैज्ञानिक बीएन रामकृष्ण बोले- चंद्रयान-2 की असफलता से ही सफल हुआ चंद्रयान-3 मिशन

AKTU: वैज्ञानिक बीएन रामकृष्ण ने कहा कि यह सफलता चंद्रयान-2 की असफलता के बाद आई। चंद्रयान-2 99 प्रतिशत सफल रहा। लेकिन आखिर वक्त में सॉफ्ट लैंडिंग नहीं हो सकी। इस मिशन के पूरा नहीं होने के बाद भी हम रूके नहीं और लगातार प्रयास किया।

Report :  Abhishek Mishra
Update: 2024-08-08 14:30 GMT

Space Exhibition in AKTU: डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय में गुरुवार को अंतरिक्ष प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया। यहां इसरो की विंग इस्ट्रैक के निदेशक और चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग में मदद करने वाले वैज्ञानिक बीएन रामकृष्ण मुख्य अतिथि रहे। उन्होंने कहा कि चंद्रमा पर भारत की सफल लैंडिंग को पूरा देश अंतरिक्ष दिवस के रूप में मना रहा है। अंतरिक्ष में इस सफलता ने दुनिया को भारत की अंतरिक्ष शक्ति और क्षमता से परिचित कराया। यह हमारे देश के लिए गर्व की बात है। पिछले साल 23 अगस्त को जब चंद्रयान-3 चंद्रमा पर उतरने वाला था तब सारे देश की धड़कनें बढ़ गई थीं। आखिर में हमने सफलतापूर्वक चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग कराई। 


 99 प्रतिशत सफल रहा चंद्रयान-2

वैज्ञानिक बीएन रामकृष्ण ने कहा कि यह सफलता चंद्रयान-2 की असफलता के बाद आई। चंद्रयान-2 99 प्रतिशत सफल रहा। लेकिन आखिर वक्त में सॉफ्ट लैंडिंग नहीं हो सकी। इस मिशन के पूरा नहीं होने के बाद भी हम रूके नहीं और लगातार प्रयास किया। चंद्रयान-2 की सॉफ्ट लैंडिंग में कहां कमी रह गई। इस पर गहन अध्ययन किया गया। हर एक प्रक्रिया का वैज्ञानिकों की टीम ने विश्लेषण किया। जहां कमी रह गई थी उसे दूर करने पर पूरा जोर लगा दिया गया। पूरी तैयारी के बाद चंद्रयान-3 को लांच किया गया और सफलता मिली। कार्यक्रम में बच्चों ने इस्ट्रैक के निदेशक से अंतरिक्ष, चंद्रयान और अन्य मिशनों से जुड़े सवाल भी पूछे। जिसका उन्होंने विस्तार से जवाब दिया। इस मौके पर एक्सपर्ट टाक का भी आयोजन किया गया। जिसमें इस्ट्रैक के डिप्टी डायरेक्टर टी सुब्रमण्यम गणेश, एस मदस्वामी, आसिफ सिद्दकी, एके शर्मा, एसके पाण्डेय सहित अन्य वैज्ञानिकों ने अपने अनुभव साझा किए। इस दौरान बच्चों के बीच स्पेस से जुड़े क्विज हुए। जिसमें बच्चों ने काफी उत्साह दिखाया। इस मौके पर डीन इनोवेशन एंड एन्टरप्रेन्योरशिप प्रो. बीएन मिश्रा, एसोसिएट डीन इनोवेशन डॉ. अनुज कुमार शर्मा, इनोवेशन हब के हेड महीप सिंह, वंदना शर्मा सहित कई स्कूलों के बच्चों ने अध्यापकों के साथ हिस्सा लिया।

इन मिशन पर कार्य कर रहा इसरो  

वैज्ञानिक बीएन रामकृष्ण ने कहा कि इसरो सूर्य के चक्कर लगा रहे एस्ट्रॉयड पर शोध करने पर काम कर रहा है। एस्ट्रॉयड में यदि विशेष धातु है तो उसे देश में कम खर्च में कैसे लाया जाए। इस पर वैज्ञानिकों की टीम रिसर्च कर रही है। कहा कि अभी हमने अंतरिक्ष विज्ञान में एक प्रतिशत से भी कम जानकारी हासिल की है। आने वाले समय में यह भी संभव है कि मनुष्य लाइट की गति से यात्रा करे। इस दिशा में भी शोध किया जा रहा है। बताया कि चंद्रयान-3 चंद्रमा पर 14 दिन के बाद शिथिल हो गया। दरअसल, लैंडर को इस तरह ही डिजाइन किया गया था। लेकिन आने वाले मिशनों में लैंडर को 14 दिन में ही बंद नहीं हो जाए इस तरह डिजाइन करने पर रिसर्च किया जा रहा है। वैज्ञानिक ने कहा कि इसरो अपने सेटेलाइट सिस्टम पर काफी रिसर्च कर रहा है। जिससे आने वाले समय में प्राकृतिक आपदाओं, कृषि आदि का बेहतर आंकलन किया जा सके। वैज्ञानिक बीएन रामकृष्ण ने बताया कि भारत पहला देश है जिसने चंद्रमा पर पानी होने की बात कही है। 


 60 देशों की सेटेलाइट लांच कर रहा इसरो 

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. जेपी पाण्डेय ने कहा कि 55 वर्ष की अपनी यात्रा में इसरो ने सफलता के साथ कई असफलताएं भी देखी हैं। मगर हार नहीं मानी। बिना रूके हमारे अंतरिक्ष वैज्ञनिकों ने दिन रात एक किया है। कहा कि देश के विकास में इसरो की महत्वपूर्ण भूमिका है। चंद्रयान-3 की सफलता ने पूरी दुनिया को भारत के वैज्ञानिकों की क्षमता से परिचित कराया। वैज्ञानिकों ने असफलता को सफलता में बदलने के लिए गजब की प्रतिबद्धता दिखाई। कुलपति ने कहा कि कभी दूसरे के सहारे अपने सेटेलाइट लांच करने वाला इसरो इस समय 60 देशों की सेटेलाइट लांच कर रहा है। इसरो की वित्तीय विंग ने आर्थिक रूप से भी कमाई भी कर रहा है। 

आर्यभट्ट सैटेलाइट, चंद्रयान के मॉडल्स लगाए 

अंतरिक्ष प्रदर्शनी को देखने के लिए कई स्कूलों के करीब एक हजार बच्चों ने प्रतिभाग किया। इस दौरान प्रदर्शनी में इसरो की ओर से चंद्रयान-3 लैंडर, इंडियन डीप स्पेश एंटीना, क्रियु मॉड्युल, रिसोर्स सैटेलाइट, क्रियु इंजन, मार्स आर्बिटर मिशन स्केल, जी सैटेलाइट, एस्ट्रो सैटेलाइट, जीएसएलवी, पीएसएलवी, आर्यभट्ट सैटेलाइट और नक्षत्रशाला के मॉडल्स लगाए गए थे। जिन्हें देख बच्चे रोमांचित हो गये। बच्चों ने इसरो वैज्ञानिकों से बात कर अंतरिक्ष और उनके मिशनों की जानकारी ली। बहुत से बच्चों ने अंतरिक्ष वैज्ञानिक बनने के सपने भी संजोए।


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