Lucknow University: शोधार्थियों की मांगों को लेकर छात्र संगठनों का हल्ला बोल, अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की चेतावनी
Lucknow University: जेआरएफ शोधार्थी, एनएसयूआई, छात्रसभा, आईसा सहित अन्य छात्र संगठनों के कार्यकर्ता गेट नंबर एक पर एकत्रित हुए। अपनी मांगों के लेकर शोधार्थी धरने पर बैठ गए।
Lucknow University: लखनऊ विश्वविद्यालय में गुरुवार को जेआरएफ शोधार्थियों ने छात्र संगठनों की अगुवाई में प्रदर्शन किया। छात्रों ने बायोमेट्रिक उपस्थिति वापसी समेत कई मांगों को लेकर धरना दिया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यूजीसी ने शोधार्थियों के लिए बायोमेट्रिक प्रणाली लागू करने के लिए कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किए हैं। इसलिए यह व्यवस्था लागू करना अनुचित है। इससे अध्ययन कार्यों को छोड़ शोधार्थियों को अन्य कार्यों पर ध्यान देना होगा।
शोधार्थियों संग छात्र संगठनों ने किया प्रदर्शन
एलयू के गेट नंबर एक पर जेआरएफ शोधार्थी, एनएसयूआई, छात्रसभा, आईसा सहित अन्य छात्र संगठनों के कार्यकर्ता एकत्रित हुए। अपनी मांगों के लेकर शोधार्थी धरने पर बैठ गए। इसके बाद छात्र संगठनों के नेतृत्व में शोधार्थी प्रशासनिक भवन की ओर बढ़े। सूचना मिलने पर प्रॉक्टोरियल बोर्ड के सदस्य मौके पर पहुंचे। छात्रों से बातचीत कर उन्हें समझाने की कोशिश की। जब प्रदर्शनकारी नहीं माने, तो एलयू के मुख्य कुलानुशासक प्रो. राकेश द्विवेदी धरनारत छात्रों से मिलने पहुंचे। उन्होंने शोधार्थियों से बात कर मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया। प्रदर्शन कर रही छात्राओं ने प्रॉक्टर को ज्ञापन सौंपा।
फैसले से शोधार्थियों को अनावश्यक तनाव
प्रदर्शनकारियों ने बताया कि यह ध्यान देने योग्य है कि यूजीसी ने शोधार्थियों के लिए बायोमेट्रिक प्रणाली लागू करने के लिए कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किए हैं। इस प्रणाली को लागू करना न केवल अनुचित है बल्कि अवांछनीय भी है। इसके चलते शोधार्थी अपने अकादमिक कार्यों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय अपनी उपस्थिति दर्ज कराने पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। इसका असर उनके शोध उत्पादन पर पड़ा है और उन्होंने अनावश्यक तनाव का सामना किया है।
मांगे नहीं मानी तो करेंगे भूख हड़ताल
समाजवादी छात्रसभा के तौकील ने बताया कि प्रशासन हमें और अनदेखा नहीं कर सकता। यदि उन्होंने जल्द ही कार्रवाई नहीं की, तो हमें इस आंदोलन को अगले स्तर पर ले जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं रहेगा। शोधार्थी अमितेश ने कहा कि यदि प्रशासन लिखित रूप में आश्वासन प्रदान करने में विफल रहता है, तो शोधार्थियों ने स्पष्ट कर दिया है कि वे अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू करके अपने विरोध को बढ़ाने के लिए तैयार हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन को इन मुद्दों को तुरंत हल करना चाहिए, जो एक स्वस्थ शैक्षणिक वातावरण सुनिश्चित करने के लिए मौलिक हैं।
लिखित आश्वासन देने में विफल प्रशासन
एनएसयूआई के विशाल सिंह ने कहा कि बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली एक अनुचित और दमनकारी कदम है, जो शोधार्थियों की आवश्यकताओं की अनदेखी करता है। अगर प्रशासन इन बुनियादी मांगों के बारे में लिखित आश्वासन देने में विफल रहता है, तो हमारे पास अपना विरोध प्रदर्शन बढ़ाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा, जिसमें अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल भी शामिल है। उन्होंने कहा कि यह ऐसा कदम नहीं है जिसे हम हल्के में लेना चाहते हैं, लेकिन यह हमारे अधिकारों की रक्षा और एक सहायक शैक्षणिक माहौल सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। आइसा के निखिल कुमार ने कहा कि प्रदर्शन सिर्फ बायोमेट्रिक उपस्थिति के बारे में नहीं है, यह शैक्षणिक स्वतंत्रता के व्यापक मुद्दे पर है जो समझौते में आ रहा है। हम इस लड़ाई को तब तक जारी रखेंगे जब तक प्रशासन हमारी मांगों को नहीं सुनता। इस मौके पर शुभम खरवार, अखिलेश यादव, प्रशांत मिश्रा, पंकज विश्वजीत, अजय यादव सहित सैकड़ों शोधार्थी व अन्य मौजूद रहे।