Lucknow University: छात्र संगठनों ने किया CAA का विरोध, कानून को बताया विभाजनकारी
Lucknow University: छात्रों का कहना है कि दिसम्बर 2019 में यह भेदभावकारी और विभाजनकारी कानून पास किया गया था। लेकिन आम चुनावों के पहले लागू करना राजनीतिक साजिश का संकेत है।
Lucknow University: लखनऊ विश्वविद्यालय में कई छात्र संगठनों ने एकजुट होकर सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (CAA)का विरोध किया। विरोध कर रहे छात्रों ने सीएए कानून को भेदभावकारी और विभाजनकारी बताया। विरोध प्रदर्शन में एनएसयूआई, आइसा और समाजवादी छात्रसभा शामिल रहे।
सीएए कानून का किया विरोध
LU में संविधान स्थल पर बुधवार को छात्र संगठनों ने एकजुट होकर सीएए यानी सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट कानून का विरोध किया। यहां छात्रों ने हाथ में तख्ती लेकर केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए कानून के खिलाफ विरोध किया। विरोध कर रहे छात्रों का कहना है कि दिसम्बर 2019 में यह भेदभावकारी और विभाजनकारी कानून पास किया गया था। लेकिन आम चुनावों के पहले लागू करना राजनीतिक साजिश का संकेत है। छात्र संगठनों का आरोप है कि इस कानून के अंतर्गत नागरिकों को नागरिकता के उचित दस्तावेज न दिखाने की स्थिति में अधिकारों से वंचित किया जाएगा।
सीएए कानून को बताया विभाजनकारी
Lucknow University आइसा इकाई के संयोजक हर्ष ने कहा कि यह कानून ऐसे समय पर लाया गया है जब दिल्ली के बॉर्डर पर किसान अपने हक के लिए लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि युवा सड़कों पर नौकरी मांग रहे हैं लेकिन सरकार ऐसा कानून लागू कर रही है। हम इस विभाजनकारी, मुस्लिम विरोधी और संविधान विरोधी कानून को वापस लेने मांग करते हैं। समाजवादी छात्र सभा के तौकील गाज़ी ने कहा कि जब समाज में विभिन्न समूहों की एकता बनती है। BJP सरकार इसको तोड़ने के लिए अलग अलग हथकंडे अपनाती रहीं है। क्योंकि इनकी राजनीति का आधारभूत ही सांप्रदायिक नफ़रत और विभाजन पर टिका है। उन्होंने कहा कि हम सभी संविधान को मानते है। भारत का संविधान सांप्रदायिक एकता और भाइचारे का प्रतीक है। प्रदर्शन के दौरान NSUI से शुभम ने कहा कि भारत का स्वतंत्रता इतिहास सभी वर्गों की एकता पर टिका है। उन्होंने कहा कि आज सत्ता में वही लोग शामिल हो गए हैं। जो उस समय कानून का विरोध कर रहे थे। साथ मिलकर इस सरकार को हटाना है। इस मौके पर कई छात्र संगठनों से जुड़े छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।