UP Nikay Chunav 2023: सुभासपा के लिए सबक हैं निकाय चुनाव के नतीजे, 2024 में किस बड़े दल का मिलेगा साथ?

UP Nikay Chunav 2023: निकाय चुनाव में पूर्व मंत्री ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को उम्मीदों के मुताबिक जीत नहीं मिल सकी है। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले इस चुनाव में जीत काफी अहम थी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर निकाय चुनाव में परिणाम अनुकूल होते तो बड़े दलों से गठबंधन होने की स्थिति में वह ज्यादा सीटों की डिमांड कर सकते थे।

Update: 2023-05-14 14:33 GMT
निकाय चुनाव में सुभासपा को उम्मीदों के मुताबिक जीत नहीं मिल सकी है।

UP Nikay Chunav 2023: यूपी निकाय चुनाव के नतीजों में सभी दलों के लिए अहम संदेश छिपे हैं। ये परिणाम रणनीतिक रूप से चूके सपा के लिए नसीहत हैं तो प्रदेश में भगवा लहराने में कामयाब रही बीजेपी के लिए भी आत्ममुग्ध होने जैसी कोई बात नहीं है। चुनाव परिणाम बसपा और कांग्रेस को नये सिरे से रणनीति बनाने की ओर इशारा करते हैं तो पिछड़ी जाति की सियासत करने वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के लिए निकाय चुनाव के नतीजे एक सबक हैं। हालांकि, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआई और चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी ने दमदारी से अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।

छोटी पार्टियों को बात करें तो निकाय चुनाव में सबसे बड़ा झटका पूर्व मंत्री ओम प्रकाश की सुभासपा को लगा है। तमाम दावों के बावजूद राजभर की पार्टी को अपने ही गढ़ में करारी हार का सामना करना पड़ा है। सुभासपा ने 7 नगर निगम में मेयर, नगर पालिका परिषद व नगर पंचायत अध्यक्ष के 200 सीटों पर पार्टी के उम्मीदवार उतारे थे। इनमें से सुभासपा सिर्फ बलिया की रतसड़ नगर पंचायत अध्यक्ष की सीट ही जीत सकी है। हालांकि, 12 नगर पंचायत में सुभासपा कैंडिडेट दूसरे स्थान पर रहे हैं। इसके अलावा बलिया, बस्ती, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, अंबेडकरनगर, कुशीनगर और देवरिया आदि जिलों की निकायों में पार्टी के 16 पार्षद जीते हैं।

अरुण राजभर ने किया ट्वीट

सुभासपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण कुमार राजभर ने ट्वीट करते हुए लिखा, "सुभासपा 3 सीट जीती। 12 सीट पर पार्टी दूसरे स्थान पर रही। 64 सीट पर तीसरे स्थान पर रही। शहर में इतना जन समर्थन, जनता के समर्थन का स्वागत व आभार।" हालांकि, रिजल्ट से पहले उन्होंने न्यूजट्रैक से बातचीत में कहा था कि उनकी पार्टी का शहर में ज्यादा जनाधार नहीं है। कार्यकर्ता पार्टी के साथ जुड़े रहें इसलिए निकाय चुनाव में टिकट दिया गया है। उनका कहना है आगामी लोकसभा चुनाव में सुभासपा पूरे दमखम से चुनाव लड़ेगी।

सुभासपा के लिए जरूरी थी बड़ी जीत?

ओम प्रकाश राजभर खुद को अति पिछड़ों का नेता होने का दावा करते रहे हैं। अगले साल यानी साल 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में सुभासपा के लिए इस चुनाव में जीत काफी अहम थी। अटकलें हैं कि आगामी चुनाव में वह बीजेपी व अन्य किसी बड़े दल के साथ मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं। ऐसे में अगर निकाय चुनाव में परिणाम अनुकूल होते वह ज्यादा सीटों की डिमांड कर सकते थे।

राजभर को चाहिए बड़े दल का साथ?

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का गठन 27 अक्टूबर 2022 को हुआ था। 15 साल तक पार्टी का खाता नहीं खुल सका। 2017 में सुभासपा ने पहली बार किसी बड़ी पार्टी (बीजेपी) के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। इस चुनाव में न केवल पार्टी के विधायक बने, बल्कि उन्हें मंत्रीपद भी मिला। बाद में कई मुद्दों पर मतभेद के चलते उन्होंने बीजेपी से नाता तोड़ लिया। 2022 में सपा के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा। इसमें भी सुभासपा को 06 विधायक जीते। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सुभासपा के लिए बड़े दलों का था बेहद जरूरी है। फिलहाल, वह अकेले दम पर चुनाव जीतने में सक्षम नहीं दिखते। निकाय चुनाव के नतीजों ने इस धारणा को और मजबूत किया है।

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