Lucknow News: भारतीय ज्ञान परंपरा कई क्षेत्रों में रही समृद्ध, ज्ञान में हमेशा विश्वगुरु रहा भारत
Lucknow News: नवयुग कन्या महाविद्यालय में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन हुआ। सेमिनार का विषय 'भारतीय ज्ञान परंपरा एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020' है।
Lucknow News: नवयुग कन्या महाविद्यालय में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन हुआ। सेमिनार का विषय 'भारतीय ज्ञान परंपरा एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020' है। सेमिनार में विधान परिषद सदस्य पवन सिंह चौहान मुख्य अतिथि और लोहिया संस्थान के निदेशक डॉ. सीएम सिंह, एमएलसी संतोष सिंह, एलयू के रजिस्ट्रार डॉ. विनोद सिंह, प्रति कुलपति प्रोफेसर अरविंद अवस्थी और विशेष सचिव उच्च शिक्षा सीपू गिरि विशिष्ट अतिथि रहे।
भारतीय ज्ञान परंपरा कई क्षेत्रों में रही समृद्ध
राजेंद्र नगर स्थित महाविद्यालय के शिक्षा शास्त्र विभाग की ओर से यह दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार आयोजित हुआ। जिसमें एलयू हिंदी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित मुख्य वक्ता रहे। मुख्य वक्ता ने कहा भारतीय ज्ञान परंपरा ज्योतिष, वैदिक और दर्शन जैसे क्षेत्रों में बहुत समृद्ध रही है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य व्यवहारिक शिक्षा को ज्यादा बढ़ावा देना है।
उन्होंने कहा कि भारतीय शिक्षा का उद्देश्य या विद्या सा विमुक्तये है। जिसका अर्थ संकीर्णताओं से मुक्ति ज्ञान का प्रकाश करती है। अज्ञानता को शिक्षा दूर करती है। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के पांच तत्वों के बारे में बताया। मुख्य अतिथि पवन सिंह चौहान ने कहा कि आने वाले समय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 बहुत लाभदायक साबित होगी। पहले चलाने वाली मैकाले शिक्षा पद्धति से लोग क्लर्क बनते थे। लेकिन अब लोगों के लिए जीवन जीना आवश्यक हो गया है।
मूल्यों को स्थापित करने के लिए बने विद्यापीठ
बीबीएयू के शिक्षा शास्त्र विभाग के प्रो. राजशरण साही ने बताया कि भारत के मूल्यों और प्रतीकों को फिर स्थापित करने के लिए बीएचयू जैसे विद्यापीठों की स्थापना की गई। प्राचार्या प्रो. मंजुला उपाध्याय के मुताबिक दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में 400 से ज्यादा लोगों ने ऑनलाइन और ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन किए हैं। राज्य सूचना आयुक्त दिलीप कुमार अग्निहोत्री ने कहा कि वसुधैव कुटुम्बकम् हमारी ज्ञान परंपरा है। इसलिए नई शिक्षा नीति में व्यक्तित्व विकास और चरित्र निर्माण को लाया गया है।
सेमिनार में अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा के एनाटॉमी व सेल बायोलॉजी विभाग के प्रो.सत्यनारायण अंतराष्ट्रीय वक्ता रहे। उन्होंने कहा कि प्राचीन समय में वैदिक ज्ञान-विज्ञान अपने चरम पर था। यह आगे भी ऐसा बना रहेगा।
ज्ञान में हमेशा रहे विश्वगुरु
एमएलसी संतोष सिंह ने कहा कि पहले के समय में कहीं विश्वविद्यालय नहीं रहे। लेकिन भारत में नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालय थे। गुरुकुल शिक्षा का केंद्र थे। जहां जीवन जीने के कला सिखाई जाती थी। यहां लोहिया संस्थान के निदेशक डॉ. सीएम सिंह ने कहा कि हम ज्ञान के क्षेत्र में हमेशा विश्व गुरु रहे। गुलामी के कारण हम पुरातन ज्ञान पद्धति को पीछे छोड़कर आधुनिकता के दौड़ में शामिल हो गए। इस मौके पर डॉ. प्रवीण मिश्र, प्रो. शिल्पी वर्मा, प्रो. माधुरी यादव, प्रो. निधि सिद्धार्थ, डॉ. इन्द्रेश शुक्ला, हेमन्त कुमार उपाध्याय और ऋषभ कात्यायन सहित कई अन्य लोग मौजूद रहे।