रामचरितमानस केवल पढ़ने का ही विषय नहीं, बल्कि स्वयं में धारण करना भी चाहिए

मां विंध्यवासिनी ट्रस्ट के द्वारा सकारात्मक विचारों के द्वारा मानसिक तनाव को दूर करने का निरंतर प्रयास जारी है।

Newstrack :  Network
Published By :  Vidushi Mishra
Update:2021-05-30 19:53 IST

मां विंध्यवासिनी ट्रस्ट(फोटो-सोशल मीडिया)

Maa Vindhyavasini Trust: सदी की सबसे बड़ी चुनौतियों के मध्य मां विंध्यवासिनी ट्रस्ट के द्वारा सकारात्मक विचारों के द्वारा मानसिक तनाव को दूर करने का निरंतर प्रयास जारी है। ट्रस्ट के द्वारा ऑनलाइन रामचरितमानस प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम ऑनलाइन पेंटिंग कार्यक्रम ऑनलाइन नृत्य की श्रंखला लगातार सभी प्रतिभागियों को सकारात्मक भावनाओं के प्रति सजग बना रही है।

साथ ही साथ सदी की सबसे बड़ी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में संयमित होकर जीना भी सिखा रही है रविवार को आयोजित रामचरितमानस प्रश्नोत्तरी में आचार्य विपिन बिहारी महाराज जी ने काशी की पावन भूमि से ऑनलाइन सम्मिलित होकर कार्यक्रम को भव्यता प्रदान की और रामचरितमानस के विषय में सुंदर व्याख्यान के द्वारा सभी का ज्ञानोपार्जन किया। आचार्य जी ने बताया कि सरल शब्द का अर्थ क्या होता है?

रामचरितमानस सिर्फ पढ़ने का विषय नहीं

सरल अर्थात स अर्थात सीता ,राम अर्थात राम और ल अर्थात लक्ष्मण जब इन तीनों के गुण हम में समाहित होते हैं। तब हम सरल हो पाते हैं। सभी सरल होने का प्रयास करें। रामचरितमानस केवल पढ़ने का ही विषय नहीं है। यह संपूर्ण शोध है और यह शोध करने का ही नहींस्वयं में धारण करने की क्षमता का बोध भी है।

आचार्य जी के सुंदर व्याख्यान के पश्चात रामचरितमानस प्रश्नोत्तरी का कार्यक्रम किया गया। जिसमें प्रश्न करता के रूप में डॉक्टर शालिनी मिश्रा जी व साधना मिश्रा विंध्य जी उपस्थित रहीं कार्यक्रम में देश विदेश से प्रतिभागियों ने सम्मिलित होकर कार्यक्रम को भव्यता प्रदान की।

कार्यक्रम में विद्या शुक्ला जी, नीलम शुक्ला जी, कीर्ति तिवारी जी, वैभवी सिंहजी, समन्वय जी सर्वज्ञ जी, कल्पना भदोरिया जी, राघवेंद्र जी, कंचन लता जी ,डॉ जयंती कुमार जी, कल्पना सक्सेना जी, सुधा द्विवेदी जी, जिया द्विवेदी जी, आराध्या दुबे जी, रीमा ठाकुर जी, आकांक्षा जी, डॉ उषा जी,तथा चंद्रकला भागीरथी जी उपस्थित रहीं।

यह कार्यक्रम 11 अप्रैल से निरंतर प्रत्येक रविवार को आयोजित किया जा रहा है और सभी को मानसिक चेतना प्रदान करते हुए यह कार्यक्रम उत्तरोत्तर वृद्धि की ओर अग्रसित हो रहा है। मां विंध्यवासिनी संस्था की संस्थापिका साधना मिश्रा विंध्य जी ने अवगत कराया कि कार्यक्रम का उद्देश्य धर्म संस्कृति के द्वारा सभी में सकारात्मक भावों का प्रसार करना है।

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