ऐसे तो आधुनिक हो चुकी मदरसा शिक्षा, जानें योगी सरकार के मदरसों हाल

Update:2018-01-05 13:42 IST

सुधांशु सक्‍सेना

लखनऊ : यूपी में तहतानियां, फौकानियां, आलिया और उच्च आलिया स्तर के कुल 19143 मदरसे हैं। ये वो मदरसे हैं, जिनके बारे में सरकार के पास सटीक जानकारी उपलब्‍ध है। इनमें से ज्‍यादातर मदरसे सरकार की उपेक्षा का उदाहरण हैं। बड़ी संख्‍या ऐसे मदरसों की भी है जो सिर्फ सरकारी मदद के दम पर किसी तरह धीरे-धीरे चल रहे हैं। हालांकि योगी सरकार ने मदरसा शिक्षा पर ध्‍यान देते हुए इसके लिए पोर्टल बनाया और इनके पाठ्यक्रम को आधुनिक बनाने की बात की तो सूबे के मदरसा शिक्षा के छात्र-छात्राओं में कुछ बेहतर होने की आस जगी है। क्या हाल है मदरसों का, प्रसतुत है "अपना भारत" की एक पड़ताल।

माडर्न पाठ्यक्रम से अनजान हैं मदरसे

लखनऊ में मडिय़ांव के मदरसा जामिया इस्‍लामिया मिसाबुल में जब अपना भारत की टीम पहुंची तो वहां गिने चुने बच्‍चे पढ़ते मिले। वहां बच्‍चों ने बताया कि यहां कक्षा 5 तक पढ़ाई होती है। लेकिन उन बच्‍चों को इतिहास, भूगोल जैसे कई विषयों की जानकारी तक नहीं थी। वहां पढऩे वाले छात्र सलीम ने बताया कि यहां उन्‍हें दो शिक्षक ही पढ़ाते हैं। अभी अक्षर ज्ञान ही सीख रहे हैं। मौके पर पढ़ाते मिले जावेद ने बताया कि उन्‍हें यहां पढ़ाने के लिए रखा गया है। अभी कोई माडर्न पाठ्यक्रम नहीं पढ़ाया जा रहा है। सीमित संसाधनों में ही बच्‍चों को पढ़ा रहे हैं। यहां करीब 50 बच्‍चे पढऩे आते हैं।

गलियों में खुले मदरसों को सरकार से उम्‍मीद

निशातगंज की संकरी गली में खुले मदरसा अली इन्‍बे तालिब में दिन के समय पहुंचने में बहुत मशक्‍कत करनी पड़ती है। हालत ये कि किसी को भी को यहां आकर इस मदरसे को ढंूढने में भी कड़ी मशक्‍कत करनी पड़े। एक जर्जर इमारत में बने इस मदरसे को चलाने वाले मौलवी शब्‍बीर ने बताया कि यहां पर पांच शिक्षक हैं। करीब 100 बच्‍चे यहां पंजीकृत हैं। लेकिन अभी बहुत कुछ बदलने की उम्‍मीद है। सरकारी पोर्टल पर रजिस्‍ट्रेशन कर दिया है। लेकिन कोई मदद नहीं मिली है। उम्‍मीद है जल्‍द ही मदरसों की तस्‍वीर बदलकर माडर्न होगी।

कुछ मदरसों में ही आधुनिकता का पाठ

लखनऊ के गोमतीनगर में उजरियांव में मदरसा आमिर निस्‍वां में बच्‍चों को धार्मिक तालीम के साथ गणित और इतिहास की जानकारी दी जा रही है। वहां पढ़ाने वाले सैययद मुजतबा ने बताया कि यहां करीब 70 छात्र और 120 छात्राएं पढ़ती हैं। इनके लिये चार शिक्षक हैं। यहां धार्मिक शिक्षा के साथ देश के इतिहास के बारे में भी बताया जाता है। इसके अलावा सामान्‍य गुणा- गणित से भी बच्‍चों को वाकिफ कराते हैं। उन्‍होंने मदरसा शिक्षा की बदहाल व्‍यवस्‍था पर दु:ख जताते हुए कहा कि सूबे में सिर्फ गिने चुने मदरसों में ही सही से पढ़ाई हो रही है। हमारे पास जो सरकारी मदद आती है, उसमें केवल पहले से चली आ रही व्यवस्थाओं को ही कायम रख पाना संभव है। नए इंतजाम करने में बहुत दिक्‍कत का सामना करना पड़ता है। धार्मिक शिक्षा के अलावा दूसरे विषयों की शिक्षा के लिए अलग से रुपया खर्च करना पड़ता है।

ये केस तो महज बानगी भर हैं। सच तो यह है कि सूबे में केवल 10 प्रतिशत मदरसों में ही निश्चित पाठ्यक्रम के हिसाब से पढ़ाई हो रही है। वरना कहीं इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर की दिक्‍कत है तो कहीं शिक्षक ही नदारद हैं। कई मदरसे तो सरकारी रजिस्‍टर में दर्ज तक नहीं हैं।

गैर मान्‍यता प्राप्‍त मदरसों ने बढ़ाई परेशानी : मदरसा शिक्षा परिषद से जुड़े मनसबिया अरेबिक कालेज के संचालक अतहर अब्‍बास ने बताया कि मदरसा शिक्षा को सुधारना टेढ़ी खीर है। लाखों गैर मान्यता प्राप्‍त मदरसों को सही करना एक चुनौती है।

सरकार ने जारी किए 400 करोड़ रुपये : उत्‍तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के सदस्‍य अनवार आलम ने बताया कि इस सरकार में मदरसा शिक्षा को आधुनिक बनाया जा रहा है। मदरसा शिक्षा को आधुनिक बनाने के लिहाज से 400 करोड़ का बजट भी जारी किया गया है। लेकिन इस बजट से उन्हीं मदरसों को लाभ दिया जाएगा जो अपने यहां धार्मिक तालीम के साथ साथ रोजगारपरक आधुनिक शिक्षा दे रहे हों या देने के लिए प्रतिबद्ध हों। इसमें अनिवार्य रूप से गणित, अंग्रेजी, विज्ञान और कंप्‍यूटर की शिक्षा देनी होगी। ऐसा करने के पीछे मदरसों के बच्‍चों को रोजगार परक बनाने का उद्देश्‍य है।

सरकार ने शुरू किया पोर्टल, सैलरी भी ऑनलाइन : मदरसा शिक्षा परिषद के रजिस्‍ट्रार राहुल गुप्‍ता ने बताया कि सरकार ने मदरसों के पंजीकरण के लिए पोर्टल की शुरुआत की है। अब‍ प्रदेश के सभी मदरसों को अपना ब्‍यौरा ऑनलाइन मेनटेन करना होगा। इसमें शिक्षक, नॉन टीचिंग स्टाफ और स्टूडेंट्स की डिटेल्स के साथ इमारत की फोटो और क्लासरूम की माप की डिटेल भी देनी होगी। मानकों के अनुरूप ही इमारतों का विस्‍तार होगा। फर्जी शिक्षकों से बचने के लिए उनका ब्‍यौरा ऑनलाइन उपलब्‍ध करवाने की अनिवार्यता रखी गई है। अनुदान प्राप्‍त मदरसों के शिक्षकों के खाते में ऑनलाइन सैलरी सीधे ट्रांसफर की जाएगी।

स्किल डेवलपमेंट पर रहेगा फोकस : अल्‍पसंख्‍यक कल्‍याण विभाग के उपनिदेशक मोहम्‍मद तारिक ने बताया कि मदरसों में शिक्षा को माडर्न बनाने के साथ पाठ्यक्रम के नए स्‍वरूप को लागू किया जाएगा। इसमें व्‍यवसायिक शिक्षा और कौशल विकास के कार्यक्रम शामिल होंगे। आधार कार्ड को अनिवार्य किया जाएगा। प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मदरसा छात्रों को तैयार करने पर फोकस है। साफ्टवेयर के माध्‍यम से टीचरों और स्‍टूडेंट की डुप्‍लीकेसी पर अंकुश लगेगा।

मदरसा बोर्ड का पिछड़ापन दूर होगा : मदरसा बोर्ड के चेयरमैन एम ए सिद्दीकी ने बताया कि पिछले साल मदरसा बोर्ड की परीक्षाएं कराने में बोर्ड पिछड़ गया था। इस साल ऐसा नहीं होगा। इसके लिए अभी से तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। छात्रों के फार्म आनलाइन कर दिए गए हैं। अब मदरसों में पढऩे वाले मुंशी, मौलवी, आलिम, कामिल और फाजिल के छात्र अपना ब्‍यौरा ऑनलाइन भरेंगे। 20 जनवरी 2018 तक ये फार्म भरे जाने हैं। इसके बाद इन फार्मों की स्‍क्रूटनी होगी। इसके बाद मार्च के अंतिम सप्‍ताह या अप्रैल की शुरूआत में परीक्षाएं करवा दी जाएंगी। उम्‍मीद है अगले सत्र से मदरसा शिक्षा भी आधुनिकता के रंग में रंग जाएगी।

मंत्री बोले- गैर पंजीकृत मदरसों की होगी जांच

योगी सरकार के अल्‍पसंख्‍यक कल्‍याण मंत्री लक्ष्‍मी नारायण चौधरी ने बताया कि हमने मदरसा शिक्षा को सही दिशा देने के लिए एक पोर्टल लांच किया है। जिन्‍होंने इस पर पंजीकरण नहीं कराया है उनकी जांच होगी। सभी मदरसों को एक ही वक्‍त पर शुरू करना, उनका पंजीकरण , शिक्षकों की सैलरी ऑनलाइन देना आदि कई सुधार किए जा रहे हैं।

मदरसों की छ़ट्टियों पर सुधार के लिए चलाई कैंची : मंत्री लक्ष्‍मी नारायण चौधरी के अनुसार मदरसा शिक्षा को माडर्न करने की सरकारी कवायद जोर शोर से चल रही है। प्रदेश के पंजीकृत 19143 मदरसों को संवारा जा रहा है। सिलेबस से लेकर इन्फ्रास्‍ट्रक्‍चर और टाइमिंग तक पर फोकस किया जा रहा है। इसके लिए गैर जरूरी अवकाशों को समाप्‍त करके अध्‍यापन के दिनों में इजाफा किया गया है। मदरसों को साल भर में मिलने वाली 92 छुट्टियों की जगह अब केवल 86 दिन ही अवकाश मिलेगा। मदरसों में जुमे के दिन साप्‍ताहिक अवकाश होगा। इसके अलावा मदरसों में दशहरा, दीवाली, रक्षाबंधन, बुध पूर्णिमा और महावीर जयंती की भी छुट्टियां दी हैं। जाड़े की छुटिटयों के लिए 26 दिसंबर से 5 जनवरी तक का समय रखा गया है। मदरसा छुट्टियों की नई सूची में विशेष अवकाशों को खत्‍म कर दिया गया है। अभी तक दस विशेष अवकाशों का प्रावधान था, इन विशेष अवकाशों का मदरसा टीचर रमजान और मोहर्रम में इस्‍तेमाल करते थे।

सुबह 8 बजे से चलेंगे सब मदरसे : सभी मदरसों को 1 अप्रैल से 30 सितम्बर तक सुबह 8 बजे से 1 बजे तक संचालित किया जाएगा। इसके अलावा 1 अक्टूबर से 31 मार्च तक मदरसा 9 बजे से 2 बजे तक चलेगा।

निश्चित पाठयक्रम पर होगी पढ़ाई

मदरसा शिक्षा परिषद के रजिस्‍ट्रार राहुल गुप्‍ता ने बताया कि मदरसों में मजहबी किताबों के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। एनसीईआरटी पाठयक्रम पर विषयों को पढ़ाया जाएगा। इनमें आलिया यानि इंटरमीडिएट की कक्षाओं में गणित और विज्ञान को अनिवार्य बनाया जा रहा है। अभी तक मदरसों का सिलेबस दो भागों में होता है। पहला धार्मिक भाग और दूसरा पारंपरिक भाग। हम धार्मिक भाग के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं कर रहे हैं। इसके पारंपरिक भाग को एनसीईआरटी पाठयक्रम के हिसाब से बदल दिया जाएगा। इसमें सभी जरूरी विषय जैसे अंग्रेजी, विज्ञान, गणित, इतिहास, भूगोल को अनिवार्य किया जाएगा।

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